antarvasna, desi kahani
मेरा नाम संजीव है मैं कोलकाता के स्कूल में एक अध्यापक हूं, मैं सरकारी स्कूल में पढ़ाता हूं, मैं जिस स्कूल में पढ़ाता हूं वह पांचवी तक है। मेरी शादी को 12 वर्ष हो चुके हैं और मेरी पत्नी लता के साथ मेरी बहुत अच्छी बनती हैं, हम दोनों एक दूसरे को कॉलेज के समय से जानते हैं थे, हम दोनों का प्यार काफी पुराना है और लता मुझे काफी अच्छे से भी समझती है। मेरी एक लड़की है उसकी उम्र 10 वर्ष है, उसका नाम मीनाक्षी है, मैं अपनी लड़की से बहुत प्यार करता हूं, मैं हमेशा ही उसके बारे में सोचता हूं कि मैं उसे एक अच्छा जीवन दे सकूं, मैं उसे कभी भी कोई कमी नहीं करता और हमेशा उसकी खुशियों का ध्यान रखता हूं। मेरी पत्नी भी मुझे कहती है कि तुम मीनाक्षी से इतना प्यार मत करो, जब उसकी शादी हो जाएगी तो तुम्हे बहुत तकलीफ होगी, मैं उससे कहता हूं कि वह तो बाद की बात है लेकिन मैं मीनाक्षी को कोई भी कमी नहीं करना चाहता हूं।
मैं जिस स्कूल में पढ़ाता हूं उसी स्कूल में एक मैडम है, उनका नाम कोमल है, उनके और उनके पति के बीच में अच्छा रिलेशन नहीं है इसी वजह से वह मुझ पर बहुत डोरे डालते हैं लेकिन मैं उनसे बचने की कोशिश करता हूं परंतु उसके बावजूद भी वह मेरे साथ बैठी होती हैं, वह मुझे इतना ज्यादा परेशान करती हैं कि मुझे भी शर्म आ जाती है इसीलिए मैं उनसे दूरी बनाकर रखता हूं। मैं नहीं चाहता कि मैं अपनी पत्नी को धोखा दूं, मैं अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता हूं और उसी की वजह से मैं आज एक टीचर बन पाया हूं। मैं पढ़ने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं था लेकिन लता पढ़ने में बहुत अच्छी थी, वह मुझे बहुत सपोर्ट करती थी, हर बात में वह मुझे समझाती थी, उसी की बदौलत मैं सरकारी स्कूल में टीचर बन पाया, नहीं तो मैं शायद कहीं छोटी मोटी नौकरी कर के ही अपना गुजारा कर रहा होता लेकिन लता के मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया और उसके बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मुझे कुछ अच्छा करना चाहिए। मेरे मम्मी पापा भी लता को बहुत मानते हैं और वह दोनों ही लता की बहुत तारीफ करते हैं, वह कहते हैं कि जब से लता तुम्हारे जीवन में आई है तब से तुम्हारे जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया है, नहीं तो तुम पहले ऐसे नहीं थे, तुम बहुत आलसी थे। मैं अपनी मम्मी से हमेशा कहता हूं कि मेरे अंदर तो अब भी पहले जैसा ही आलस है लेकिन जब मैं लता और मीनाक्षी को देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे उन दोनों को जितना हो सके उतना खुश रखना है।
मेरे पापा भी स्कूल में टीचर थे लेकिन अब वह रिटायर हो चुके हैं, वह बहुत ही समझदार व्यक्ति हैं। मेरे बड़े भैया विदेश में रहते हैं, एक दिन मुझे उनका फोन आया, वह कहने लगे कि मैं अपने परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए कोलकाता आ रहा हूं, मैंने भैया से कहा कि आप लोग कोलकाता जाइए मेरी भी स्कूल की छुट्टियां पढ़ने वाली हैं, हम लोग साथ में रहेंगे तो मम्मी पापा को भी अच्छा लगेगा। मेरे भैया काफी समय से घर नहीं आए थे, मैंने जब यह बात अपने मम्मी पापा को बताई तो वह बहुत खुश हो गए और कहने लगे कि हम लोग तो कितने सालों से शांतनु से मिले भी नहीं हैं और उसके बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं, मैंने उन्हें कहा हां वह लोग अब बड़े हो चुके हैं, मेरे भैया की बड़ी लड़की कॉलेज भी जाने लगी है। जब वह लोग घर आए तो उस वक्त मेरी भी छुट्टियां पड़ चुकी थी, मैं जब अपने भैया से मिला तो मैं बहुत खुश हो गया और मैंने उन्हें देखते ही गले लगा लिया, मेरी भाभी भी हमसे मिलकर बहुत खुश थी उनकी बच्ची रिया तो इतनी बड़ी हो चुकी है कि वह मेरे कंधे तक आने लगी है। मैंने रिया से पूछा कि तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है, वह कहने लगी चाचा मेरा कॉलेज तो अच्छा चल रहा है, आप बताइए आपका स्कूल कैसा चल रहा है, मैंने उसे कहा कि स्कूल में क्या चलना है बस सुबह स्कूल के लिए निकल जाते हैं और दिन तक घर वापस आ जाते हैं। उस दिन तो वह लोग थके हुए थे इसलिए ज्यादा देर तक हम लोग साथ में नही बैठे लेकिन अगले दिन जब मैं अपने भैया शांतनु के साथ बैठा हुआ था तो वह कहने लगे कि तुम्हारे जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा है, मैंने भैया से कहा हां भैया सब कुछ ठीक चल रहा है। घर में बच्चों के आने से काफी रौनक हो गई थी, भैया का लड़का बहुत ही शरारती है वह बहुत ज्यादा शरारत करता है, उसने मेरे पापा का चश्मा भी तोड़ दिया था लेकिन पापा कहने लगे कोई बात नहीं, मैंने पापा से कहा मैं आपका चश्मा बनवा देता हूं।
वह लोग काफी दिन तक घर पर ही थे, घर में काफी रौनक बनी हुई थी लेकिन जब वह लोग घर से गए तो घर काफी विरान सा लगने लगा, कुछ दिनों तक तो मुझे भी अच्छा नहीं लगा लेकिन मेरा स्कूल भी शुरू हो चुका था और मैं भी स्कूल में बिजी हो गया। एक दिन मम्मी मुझे कहने लगी कि बेटा तुम स्कूल जाते वक्त मेरे लिए एक साड़ी ले आना, मैंने मम्मी से कहा कि आप लता से कह दीजिए वह आपके लिए सारी ले आएगी, मम्मी कहने लगी लता भी आजकल घर से बाहर नहीं जा रही है इसलिए तुम ही मेरे लिए एक साड़ी ले आना, मैंने कहा ठीक है मैं आपके लिए साड़ी ले आऊंगा। मुझे साड़ी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए मैंने कोमल मैडम से कहा कि आप मेरे साथ चलिए। उस दिन तो जैसे उन्हें मौका ही मिल गया हो वह मेरे साथ साड़ी खरीदने के लिए चल पडी, जब मैं साड़ी ले रहा था तो उसी दुकान से वह अपने लिए पैंटी ब्रा लेने लगी। मेरा उस दिन मूड खराब हो गया मैंने सोचा आज मैं कोमल मैडम की चूत मार ही लेता हूं, उनकी चूत कुछ ज्यादा ही फड़फड़ा रही है।
उस दिन में कोमल मैडम के साथ उनके घर चला गया मैंने अपनी मम्मी के लिए भी साड़ी ले ली थी। जब मैं मैडम के घर गया तो उन्होंने मुझे वह पैंटी ब्रा पहनते हुए दिखाई मेरा पूरा मूड खराब था वह मुझसे चूत मरवाने के लिए तैयार बैठी थी। उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ऐसे लिया जैसे कि कोई लॉलीपॉप चूस रही हो वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से चूसने लगी, मैंने भी उनके मुंह के अंदर तक अपने लंड को डाल दिया और काफी देर तक वह मेरे लंड का रसपान करती रही। मैंने उनके बड़े और भारी स्तनों का रसपान किया जब मैंने उनकी चूत के अंदर उंगली डाली तो उनकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी, मैंने भी ज्यादा देर नहीं की और अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाल दिया। मैंने जब उनकी चूत में लंड डाला तो उनके मुंह से आह आह की आवाज निकली। वह मुझसे कहने लगी तुम मुझे बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दो मैंने भी उन्हें तेज गति से झटके देने शुरू कर दिए।
मैंने उन्हें इतनी तेजी से चोदा कि मेरा वीर्य 2 मिनट के अंदर ही उनकी योनि के अंदर गिर गया। वह कहने लगी तुम्हारे वीर्य तो बहुत जल्दी गिर गया। मैने उन्हें कहा आप मेरे लंड को पहले जैसा सख्त बना दीजिए। उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और पहले जैसा ही वह कठोर और सख्त हो गया। मैंने अपने लंड पर सरसों का तेल लगाते हुए उन्हें घोड़ी बनाया और उनकी गांड मारी। जब मेरा लंड उनकी गांड मे गया तो वह चिल्लाने लगी और आगे की तरफ जाने लगी। उनकी गांड से खून बाहर निकल रहा था, मेरा लंड भी उनकी गांड के अंदर था मैंने भी अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू किया, लेकिन उनकी गांड के छेद से खून बड़ी तेजी से बाहर निकल रहा था। मैंने उनकी गांड को पकड़ कर रखा था वह अपन चूतडो को मुझसे टकराने लगी और कहने लगी बहुत मजा आ रहा है तुम अब पूरी ताकत से मेरी गांड मारो। मैंने भी उनकी बड़ी गांड को पकड़ कर रखा और बड़ी तेजी से मैंने उन्हें धक्के दिए थे। मैं उन्हें इतनी तेज धक्के मारता उनकी चूतड़ों से बड़ी तेज आवाज निकलती, जब उनकी गांड और मेरा लंड का टकराव होता तो उससे एक अलग ही प्रकार की आवाज पैदा होती जो कि मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करती। मैंने भी उनकी गांड 5 मिनट तक मारी 5 मिनट बाद जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह कहने लगी तुमने आज मेरी गांड मारकर मेरी इच्छा पूरी कर दी, मैं कब से तुमसे अपने गांड मरवाने के लिए बैठी थी। मैंने उन्हें कहा अब से हर रोज में आपकी स्कूल में गांड मारा करूंगा, मुझे भी उनकी गांड का जैसे नशा सा हो गया था।