Antarvasna, hindi sex kahani मैं लखनऊ का रहने वाला एक बड़ा ही रंगीन मिजाज का हूँ सब लोग मुझे मेरी कॉलोनी में एमएम कह कर बुलाते हैं मेरा पूरा नाम मदन मिश्रा है ज्यादातर लोग मुझे एमएम कह कर ही बुलाते हैं। मैं बैंक मैं नौकरी करता था और अभी कुछ वक्त पहले ही मैं रिटायर हुआ हूं, मैं एक दिन घर पर ही बैठा था उस दिन मेरी पत्नी और मेरे बीच में ना जाने किस बात को लेकर झगड़ा हुआ। मैं काफी परेशान हो गया मैंने अपने लड़के अंकित से कहा अंकित बेटा मैं घर पर रहकर परेशान हो गया हूं मैं चाहता हूं कि मैं कुछ काम शुरू करूं तुम ही बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए जिससे कि मेरा मन भी लगा रहे और घर का माहौल भी खराब ना हो। वह मुझे कहने लगा पिताजी आपके अंदर तो कुछ अलग ही बात है और आप यदि कॉलोनी में ही कोई दुकान खोल ले तो बहुत बढ़िया रहेगा आपको तो सब लोग यहां पर जानते हैं।
मैंने अंकित के कंधे पर हाथ रखा और कहा बेटा तुमने बिल्कुल सही कहा अब मैं कॉलोनी में ही दुकान खोलूंगा और उससे मेरा समय दुकान पर कट जाया करेगा। मैं अपने बेटे की इस बात से बहुत खुश था और हमारी कॉलोनी के बाहर ही काफी समय से एक दुकान खाली पड़ी थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह दुकान है किसकी। मैंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया परंतु जब मैंने उस दुकान का पता करवाया तो वह मेरे एक परिचित की ही दुकान थी। मैंने जब उनसे यह बात कही कि मुझे यहां पर अपना काम शुरू करना है तो वह कहने लगे अरे मिश्रा जी आप क्या बात कर रहे हैं आप ही की दुकान है आप बताइए तो मैं उस पर पूरी सफाई करवा देता हूं उसके बाद आप वहां पर काम शुरू कर लीजिएगा। मैं इस बात से बहुत खुश हुआ उसके बाद तो मैंने वहां पर एक जनरल स्टोर खोल लिया हमारी कॉलोनी के सब लोग मेरे पास आया करते थे क्योंकि मेरा व्यवहार सब लोगों को बड़ा पसंद है और सब लोग पहले से ही मुझसे बहुत प्रभावित हैं। शाम के वक्त तो हमारे यहां पर इतनी भीड़ हो जाया करती थी कि दुकान के बाहर का माहौल कुछ और ही रहता था। इस बात से मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे दुकान से बिक्री भी हो रही थी और मेरा समय भी बीत जाया करता था।
मेरा बेटा अंकित भी बैंक में जॉब करता है और उसने मुझसे पूछा पापा दुकान कैसी चल रही है मैंने उसे बताया बेटा दुकान तो बहुत बढ़िया चल रही है और शाम के वक्त मेरा समय भी बीत जाए करता है मैं इस बात से बहुत खुश हूं। अंकित मुझे कहने लगा मैंने कहा नहीं था कि आप वहां पर दुकान खोल लीजिए दुकान बहुत ही बढ़िया चलेगी और आपके व्यवहार से तो हमारा पूरा मोहल्ला ही खुश है। मैं सुबह 7:00 बजे दुकान खोल दिया करता था और रात को देर रात तक दुकान में ही बैठा रहता था क्योंकि आसपास के लोग मेरे पास बैठने के लिए आ जाते थे इसलिए समय का पता ही नहीं चलता था कि कब समय बीत गया है। हालांकि मेरी उम्र 65 वर्ष की हो चुकी है लेकिन मैं अपना बहुत ख्याल रखता हूं मैं सुबह के वक्त हर रोज 5:00 बजे मॉर्निंग वॉक पर चला जाया करता और खाने पीने पर भी मैं पूरा ध्यान रखता हूं जिस वजह से मेरी सेहत आज भी अच्छी है। सब लोग मुझे कहते हैं कि आपने अपने आप को बढ़ा ही मेंटेन किया हुआ है मैं सब से कहता हूं कि यह सब बस मेरी मेहनत का ही नतीजा है। कुछ समय बाद दुकान के सामने एक स्कूल बनना शुरू हो गया स्कूल को बनने में करीब एक वर्ष हो गया था एक वर्ष बाद स्कूल तैयार हो चुका था और अब उसमें बच्चे भी आने लगे थे। वह कक्षा आठवीं तक का स्कूल था स्कूल में जो प्रिंसिपल आए थे वह मुझे भलीभांति जानते थे तो उनसे मेरी बहुत अच्छी मित्रता हो गई और स्कूल में जब भी कोई प्रोग्राम होता तो वह मुझे बुलाया करते थे। मैं कभी थिएटर भी किया करता था तो प्रिंसिपल साहब मुझे कहने लगे कि आप बच्चों को कभी थेटर क्लास भी सिखा दिया कीजिए। मैंने उनसे कहा सर क्यों नहीं इससे तो बढ़कर कोई बात ही नहीं हो सकती हालांकि उनके स्कूल में टीचर भी थे लेकिन फिर भी वह चाहते थे कि मैं बच्चों का थिएटर में थोड़ा बहुत मदद करूं।
बच्चे छोटे थे लेकिन स्कूल में बड़े ही अच्छे बच्चे थे वह सब बड़े ही एक्टिव थे और कुछ ही दिन में उनके स्कूल में प्रोग्राम होने वाला था उसी दौरान मैंने उन बच्चों के लिए एक नाटक तैयार किया। मैं चाहता था कि उसमें बच्चे अपना 100% दे और जैसा मैं चाहता था वैसा ही हुआ बच्चों ने दमदार तरीके से उस नाटक की प्रस्तुति की जिससे कि सब लोग खुश हो गए। प्रिंसिपल साहब मुझे कहने लगे कि मिश्रा जी आपके अंदर कुछ तो बात है अब मुझे स्कूल के सारे लोग जानने लगे थे बच्चों की जब भी छुट्टी होती तो वह मेरी दुकान से ही सामान लेकर जाया करते थे कुछ टीचर भी मुझे जानने लगे थे। उसी बीच मेरे लड़के अंकित की शादी के लिए एक रिश्ता आया और मुझे वह काफी पसंद था तो मैंने अंकित से इस बारे में बात की क्योंकि अंकित मेरा इकलौता लड़का है मैं नहीं चाहता कि उसकी शादी में किसी भी प्रकार की मैं कमी करूं मैं चाहता था कि पहले वह भी शादी के लिए तैयार हो जाए। अंकित मुझसे कहने लगा पापा आप देख लीजिए आपको जैसा उचित लगता है। मैंने अंकित से कहा देखो बेटा मेरा जीवन तो बड़ा ही अच्छा रहा और मैं चाहता हूं कि तुम भी शादी कर लो क्योंकि मुझे उम्मीद है कि जो रिश्ता तुम्हारे लिए आया है वह बहुत अच्छा है यह मैं तुम्हें अपने तजुर्बे से बता सकता हूं। अंकित कहने लगा ठीक है पापा आप देख लीजिए और कुछ ही समय बाद अंकित की सगाई हो चुकी थी इस वजह से मुझे कुछ दिनों तक दुकान बंद रखनी पड़ी।
जब अंकित की सगाई हो गई तो उसके बाद मैंने सब लोगों का मुंह मीठा करवाया क्योंकि मुझे काफी लोग जानते थे इसलिए सब लोगों को यह खबर लग चुकी थी कि मेरे लड़के की सगाई हो चुकी है। एक दिन दुकान में प्रिंसिपल साहब आए वह कहने लगे अरे मिश्रा जी बधाई हो उन्होंने मुझे अपने गले लगाया और कहा मैंने सुना है आपके लड़के की सगाई आपने तय करदी है। मैंने उन्हें कहा भाई साहब आप लोगों की बदौलत ही मेरे लड़के की सगाई तय हो पाई है वह मुझे कहने लगे चलिए यह तो बहुत खुशी की बात है। मैंने उनका भी मुंह मीठा करवाया वह कहने लगे चलिए अब शादी में की तैयारियां कीजिये मैंने उन्हें कहा प्रिंसिपल साहब आप तो शादी में जरूर आइएगा। धीरे-धीरे समय बीता जा रहा था और मेरे लड़के की शादी का समय भी नजदीक आ गया उसकी शादी के लिए हमने सारी तैयारियां बड़े अच्छे से की। मैं नहीं चाहता था कि शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी रह जाए इसलिए जितना बढ़िया हो सकता था उतना बेहतर अरेंजमेंट मैंने करवाया। शादी में मैंने काफी लोगों को इनवाइट किया था सब लोगों को बहुत अच्छा लगा और लगभग सारे लोग अंकित की शादी में आए हुए थे। अंकित की शादी भी हो चुकी थी और मैं इस बात से बहुत खुश था क्योंकि अंकित ने भी अपने जीवन की नई शुरुआत की थी। अंकित कहने लगा पापा बस यह सब आप की बदौलत ही हुआ है उस रात अंकित और उसकी पत्नी के बीच जमकर सेक्स हुआ मैं यह सब बाहर अपने हॉल में बैठकर सुन रहा था। शायद मेरी किस्मत खुलने वाली थी क्योंकि मैं स्कूल में तो जाता ही रहता था उसी बीच स्कूल में एक नई टीचर आई उनका बदन ऐसा था जैसे कि किसी ने तराशा हो और वह मुझ पर डोरे डालती थी।
जब भी वह दुकान में आती तो वह मुझे कहती अरे मिश्रा जी क्या कर रहे हैं? मैं उन्हें कहता बस मैडम आपका इंतजार कर रहे हैं उनका नाम मोना है मोना मैडम बड़ी सेक्सी है और जब भी वह लाल रंग की साड़ी में आती तो ऐसी लगती जैसे कि कहीं से कोई अप्सरा उतर आई हो। एक दिन उन्होने मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर दिया मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया मैंने सोच लिया था कि मैं इनकी चूत के मजे लेकर ही रहूंगा। वह भी मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए बेताब थी उस दिन उन्होने मुझे अपने पास बुलाया और कहने लगी अरे मिश्रा जी आपकी छाती में तो बड़े घने बाल है। मैंने उन्हें कहा मेरी तो और जगह भ बाल है क्या आप देखेंगी? वह कहने लगी चलिए आप दिखा दीजिए मैंने उन्हें कहा आप दुकान के अंदर चलिए। मैंने दुकान का शटर नीचे किया और अंदर से दुकान को बंद कर दिया उसके बाद जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर उन्हें दिखाया तो मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी और उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया।
वह मुझे कहने लगी मुझे लंड लेने में बड़ा मजा आता है मैंने कहा अब आप अपनी चूतडो को मेरी तरफ कीजिए। उन्होंने अपने साड़ी को ऊपर उठाया और जब उन्होंने अपनी काली रंग की पैंटी को नीचे उतारा तो उनकी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड और भी तन कर खड़ा हो गया। मैंने अपनी दुकान से सरसों का तेल लिया और अपने लंड पर मालिश कर ली जैसे ही मैंने अपने लंड को मोना की चूत में डाला तो उनके मुंह से एक तेज आवाज निकली। उसके बाद तो मैंने उन्हें राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड में धक्के देने शुरू कर दिए और बड़ी तेजी से मैंने धक्के मारे। जिससे कि उनकी चूतड़ों का रंग लाल हो गया और उनके मुंह से आवाज रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी वह सिर्फ अपने मुंह से आवाज निकालती जाती लेकिन मैंने उनकी चूत का भोसड़ा बना दिया था। उसके बाद जब मेरा वीर्य उनकी योनि में गिरा तो वह कहने लगी आपने तो मेरी हालत खराब कर दी लेकिन आज मजा आ गया। मोना मैडम उसके बाद भी मेरे पास आती रहती थी और अब तो वह मेरी दुकान से ना जाने क्या-क्या सामान ले जाती है मैं उनसे पैसे भी नहीं लिया करता हूं लेकिन जब उनकी चूत मारता तो मेरे पूरे पैसे वसूल हो जाते।