Antarvasna, kamukta मेरे पति जब ऑफिस से लौटते तो उनके पैर लड़खड़ा रहे होते थे और उनके चेहरे पर थकान रहती थी। यह सब ऑफिस की थकान थी वह काफी ज्यादा थके हुए नजर आते थे। मैं उनसे कई बार कहती आप ऑफिस क्यों नहीं छोड। आप किसी और जगह क्यों काम नहीं करते लेकिन वह तो जैसे उसी ऑफिस में काम करने के लिए बने थे वह किस जगह और काम करना ही नहीं चहाते थे। वहीं पर उन्हें काम करना पसंद था मैं कई बार सोचती कि पता नहीं कुदरत को क्या मंजूर है। मेरी शादी को 5 वर्ष हो चुके थे लेकिन सुधीर और मेरे बीच में सिर्फ हमारे बच्चे को लेकर बात होती रहती थी। हमारे 3 वर्षीय बालक जिसका नाम सोनू है हम दोनों ने बड़े प्यार से उसका नाम सोनू रखा मैं उससे बहुत प्यार करती हूं और उतना ही प्यार सुधीर उससे करते हैं।
सुधीर को उसकी हमेशा चिंता सताती रहती है क्योंकि सुधीर चाहते थे कि वह उसकी अच्छी परवरिश करें वह बड़ा होकर एक बड़ा अधिकारी बने। इस बात से हमेशा सुधीर चिंतित रहते हैं और हर रात वह मुझसे सिर्फ यही बात कहते रहते की मीना कई बार मुझे सोनू की चिंता होने लगती है लेकिन सुधीर को भी पता नहीं था कि उनकी किस्मत जल्द ही बदलने वाली है। जब हमें एक दिन हमारे गांव के चाचा ने बताया कि तुम्हारे पिताजी ने एक मकान खरीदा था वह चाहते थे कि उनके मरने के बाद मै तुम्हें यह बात बताऊं। मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह क्या बात कर रहे हैं। हम लोगों ने कभी उम्मीद तक नहीं की थी कि उनके पिताजी उनके लिए कभी कोई मकान छोड़कर जाने वाले हैं इस बात से हम दोनों ही खुश थे। चाचा जी ने हमें उस मकान की चाबी दी जब हम लोग वहां पर गए तो हमारी आंखें फटी की फटी रह गई एक आलीशान सा मकान था। मुझे तो ऐसा लगा जैसे कि हमारी झोली में अचानक से किस्मत की बौछार हो चुकी थी हम दोनों बहुत खुश थे। हम लोगों ने उस मकान में रहने के बारे में सोच लिया और जिस छोटे से घर में हम लोग रहते थे हम लोगों ने वह बेच दिया।
अब हम लोग एक अच्छी सोसाइटी में रहते थे हमारे पास पैसे आ चुके थे जिससे कि हम लोगों ने अपनी जरूरतों के सामान खरीदना शुरू कर दिया। सोनू अब 5 वर्ष का हो चुका था हमने उसका दाखिला एक अंग्रेजी मीडियम में करवा दिया था। मैं उसे सुबह के वक्त स्कूल छोड़ने जाया करती थी सुधीर ने भी अब अपना खुद का ही बिजनेस शुरू कर लिया उन्हें बिजनेस में भी मुनाफा होने लगा था। हम लोगों की किस्मत तीन-चार वर्षों में पूरी तरीके से बदल चुकी थी इस बात से मैं और सुधीर बहुत खुश थे लेकिन सुधीर के अंदर अब भी पहले जैसा ही भोलापन था, वह अब भी उतने ही सीधे थे जितने पहले थे। वह बिल्कुल भी नहीं बदले थे लेकिन मेरे अंदर बदलाव आने लगा था शायद यह बदलाव इस वजह से था कि हम लोग एक अच्छी सोसाइटी में रहने लगे थे और हम लोग अब पहले से बेहतर जिंदगी जी पा रहे थे। एक दिन हमारे पास चाचा आए और वह कहने लगे सुधीर बेटा सब कुछ ठीक तो चल रहा है ना। सुधीर ने बड़ी ही शालीनता से जवाब दिया और कहां पिताजी ने मेरे लिए इतना कुछ किया मैं जिंदगी भर यह सोचता रहा मेरे जीवन मे कुछ भी नहीं है। मुझे कभी उम्मीद तक नहीं थी कि पिताजी मेरे लिए इतनी बड़ी संपत्ति छोड़ कर चले जाएंगे उन्होंने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया? चाचा ने उस दिन जवाब दिया और कहा बेटा वह चाहते थे कि तुम मेहनत करो और अपने बलबूते ही कुछ करो लेकिन जब सही समय आया तो मुझे लगा मुझे तुम्हें तुम्हारे हक को देना चाहिए और उस घर का मालिकाना हक तुम्हारा ही है मैंने तुम्हें उस घर की चाबी दे दी यह घर तुम्हारा है। सोनू भी अच्छी स्कूल में पढ़ता था और सब कुछ बड़े ही अच्छे से चल रहा था लेकिन इसी बीच एक दिन हमारे पड़ोस में रहने वाली भाभी का मेरे साथ झगड़ा हो गया। जब उनसे मेरा झगड़ा हुआ तो मुझे नहीं मालूम था कि वह बड़ी ही गलत प्रवृत्ति की महिला हैं मैं उन्हें हमेशा ही अच्छा समझती थी लेकिन मेरे झगड़े का कारण सिर्फ यही था कि उन्होंने मेरी बुराई हमारे ही पड़ोस में रहने वाली एक महिला से कर दी।
जब उन्होंने मेरे बारे में गलत कहा तो मुझे यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और मैंने उनसे इस बारे में पूछा तो वह कोई जवाब ना दे सकी। मुझे उनसे बात करने का बिल्कुल भी मन नहीं था परंतु मुझे क्या मालूम था कि वह बड़ी ही गलत प्रवृत्ति की महिला हैं वह अपने दिल ही दिल में ना जाने मेरे लिए क्या सोचती हैं। एक दिन उन्होंने अपने कुत्ते को खुला छोड़ दिया जिससे कि मैं जब सोनू को स्कूल लेकर जा रही थी तो उनका कुत्ता मेरे ऊपर झपटा जिससे कि उसने मुझे जख्मी कर दिया। मुझे यह बात तो पता थी कि यह सब उन्होंने ही किया है मैं भाभी को बिल्कुल भी माफ नहीं करने वाली थी और मैं यह चाहती थी कि उनके साथ में ऐसा ही कुछ करूं जिसे उन्हे इस बात का अंदाजा हो जाए की किसी के साथ कभी भी गलत नहीं करना चाहिए। मैं भाभी के साथ बदला लेना चाहती थी उससे पहले मुझे अपने जख्मों को ठीक करना था क्योंकि उनके कुत्ते ने मुझे काट लिया था मुझे अस्पताल जाना पड़ा और वहां पर मैंने इंजेक्शन लगवा लिए। मेरे पति ने जब मुझसे पूछा था कि कैसे यह सब हुआ तो मैंने उन्हें बता दिया कि यह सब माला भाभी की वजह से हुआ है उन्होंने जानबूझकर अपने कुत्ते को खुला छोड़ दिया था जिससे कि वह मेरे ऊपर झपट पड़ा और जिस वजह से मैं जख्मी हो गई।
मै ठीक होने लगी थी मैं सोचने लगी कैसे मैं भाभी के साथ भी ऐसा ही करूं मैं उनके घर के आसपास हर रोज जाया करती लेकिन उनका कुत्ता घर के बाहर ही बैठा रहता था। एक दिन मैंने गेट खोल दिया तो उनका पालतू कुत्ता घर से भाग गया उसके बाद ना जाने वह कहां चला गया आज तक उसका कोई पता नहीं चला। माला भाभी इस बात से दुखी थी उनका कुत्ता कहां चला गया उन्हें अपने पालतू कुत्ते से बड़ा लगाव था लेकिन अब वह कभी आने ही नहीं वाला था। वह इस बात से बहुत दुखी हो गई थी मैं इस बात से बहुत खुश थी कि उनका पालतू कुत्ता अब घर से भाग चुका है वह कभी वापस नहीं आने वाला है। भाभी को मुझ पर पूरा शक था यह सब मैने किया है लेकिन उनके पास कोई भी यह कहने वाला नहीं था कि मैंने ही यह सब किया है। माला भाभी के बारे मे मुझे बड़ी जानकारी मिली यह बात मुझे उस वक्त पता चली जब मैं भाभी के घर पर एक रात देख रही थी तो मैंने देखा वहां पर कुछ लोग आए हुए हैं और वह घर के अंदर चले गए। मैं यह देख कर चौक गई क्योंकि रात का वक्त था और अंधेरा भी काफी हो रहा था मेरी समझ में नहीं आया कि वह लोग कौन है। मैं जब उस अंधेरे में अपने घर के गेट से बाहर निकल कर गई तो भाभी के दरवाजे की तरफ गई। मैंने देखा भाभी को दो-तीन लोग मिलकर चोद रहे हैं और उनके अंदर की इच्छा को शांत कर रहे हैं। भाभी ने किसी के लंड को अपने मुंह में ले रखा था और कोई भाभी की चूत मार रहा था लेकिन भाभी तो गांड मरवाने की शौकिन भी निकली। उन्होंने अपने गांड के मजे भी उन लोगों को दिए मैं यह सब अपनी आंखों से देखती रही मेरी योनि से भी पानी टपकने लगा था मुझे भी मजा आने लगा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मै कैसे भाभी से इस बारे में जिक्र करूं क्योंकि वह तो मुझसे नफरत करती थी।
मैंने उनसे बात करना शुरू किया तो वह भी मुझसे अपने सारे गिले-शिकवे भूला कर बात करने लगी। मैंने भाभी से इच्छा जाहिर की और कहा मैंने एक दिन आपको और आपके आशिकों को देखा था उन्होंने आप की रेल बना कर रख दी थी वैसा ही मैं भी कुछ चाहती हूं क्या ऐसा करने में मजा आता है। भाभी ने अपने विचार मेरे सामने रखे और कहने लगी तुम एक बार ऐसा कर के तो देखो तुम्हें आनंद आ जाएगा यदि तुम्हें मजा नहीं आया तो तुम मेरा नाम बदल देना। भाभी की बातों में दम था मैंने उनकी बात मान ली उन्होंने मेरे लिए सारी व्यवस्था की और अपने घर पर एक दिन उन्होंने 2 लोगों को बुला लिया। पहले तो वह लोग भाभी को चोदते रहे और जब वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गए तो मेरी योनि को चाटना जारी रखा। एक का लंड में अपने मुंह में ले रही थी मुझे सेक्स का असली आनंद आ रहा था मेरी गर्मी पर बढ़ती जा रही थी।
मेरी उत्तेजना पूरी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी और उसी बीच एक व्यक्ति ने मेरे दोनों पैरों को खोलते हुए मेरी गीली हो चुकी चूत के अंदर अपने काले लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही लंड मेरी योनि में प्रवेश हुआ तो मैं चिल्ला उठी और मुझे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा लेकिन मुझे मजा भी आ रहा था। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा जब दूसरे ने मेरी गांड मारनी शुरू की तो मेरे मुंह से चीख निकलने लगा। उसने मेरी बड़ी चूतड़ों को ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे कि मै उसकी माल हूं। उस व्यक्ति ने मेरी गांड से खून निकाल दिया मैं दूसरे के कड़क और मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी जिससे कि मेरे अंदर अब भी उतना ही जोश बरकरार था लेकिन जब मेरी गांड के अंदर वीर्य की पिचकारी गई तो मैं पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुकी थी। दूसरे व्यक्ति ने मेरे मुंह पर अपने वीर्य की बूंदों को गिरा दिया कुछ बूंदे मेरे मुंह के अंदर भी जा चुकी थी। मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं पूरी तरीके से तरोताजा हो चुकी हूं उसके बाद तो भाभी ने ना जाने कितनी बार उन लोगों को घर पर बुलाया भाभी और मैंने पूरे मजे लिए। अब भाभी से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है हम दोनों की बहुत अच्छी बनती है।