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दोस्तों यह मेरी कहानी है मेरा नाम अतुल है। मेरी शादी को करीबन 10 से 15 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन मेरा जीवन कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मैं बहुत ही दुविधा में रहता हूं। साला एक तो ऑफिस में इतनी टेंशन और ऊपर से घर में भी मेरी बीवी का रवैया मेरे प्रति कुछ अच्छा नहीं रहता। अब मैं क्या करूं। जब भी देखता हूं तो अपने वह पुराने दिन याद आ जाते हैं। कि कैसे मैं शन से शराब पिया करता था। और अपने जीवन में अय्याशी किया करता था।
मुझे अपने वह पुराने दिन बहुत याद आते हैं जब हम सारे दोस्त मिलकर मेरी बहन को चोदा करते थे। मेरी मां हम सबके लिए दूध का गिलास गर्म करती थी। और बोलती थी जाओ मेरी बेटी को खुश करो। उसके बाद हम सब करके जाते थे। और मेरी बहन को अपने लंड पर बैठाते थे। मुझे तो मेरी बहन की चुचीया बहुत पसंद थी। जो करीबन 40 नंबर की थी। उसको डाइवोर्स हो रखा था। इसी कारण से वह हो हमारे घर वापस चली आई थी। अब मेरी मां भी क्या करती आखिरकार थी तो मां फिर क्या था मेरे सारे दोस्त हमारे घर पर हमेशा भीड़ लगा कर रहते थे। हम सब उस समय जवानी की दहलीज में कदम रख रहे थे। इसलिए मेरी मां भी यही चाहती थी कि यह सब सीख लिया और अपने जीवन में कभी भी परेशान ना रहे। इन्हीं सब बातों को देखते हुए मेरी मां बोलती थी जा अपने सारे दोस्तों को बुला कर ले आ तब तक मैं घर में उनके लिए दूध गर्म करके रखती हूं। मैं अपने सारे दोस्तों को सोनू गोलू पप्पू बिट्टू पप्पी को बुला कर ले आता था। मेरी बहन भी हो सब कमरे से झाक कर देखती रहती थी आज कौन नया आया है। उस दिन जो नया बंदा आता था। उसकी बहुत खातिरदारी की जाती थी। उस दिन मेरी बहन अपनी नई वाली पैंटी पहनती थी जो उसको मेरे पापा ने दिया था। मेरी बहन की बुर बहुत ही बड़ी थी। दरअसल बहू एक पूरा का पूरा गड्ढा था। क्योंकि मेरे सारे दोस्त उसमें तैर चुके थे। इसी वजह से वह खुलकर भोसड़ा बन चुका था। उसी समय मेरी दोस्ती शांतनु से हुई थी और शांतनु एक अच्छा लड़का था। उसने कभी चूत नहीं मारी थी। इस वजह से मैं उसे अपने घर ले आया। मेरी दीदी बहुत ही खुश थी। उसने मुझे उस दिन ₹500 दिए थे। मैंने भी उसको कहा था। दीदी तू चिंता मत करना तेरा भाई अभी जिंदा है। मैं तेरे लिए हमेशा नए नए मुर्गे ढूंढ कर लाता रहूंगा। और यह काम मैं आज तक करता रहा हूं। शांतनु ने मेरी बहन को बहुत अच्छे से मुजे दिलाएं। इस बात से खुश होकर मुझे दे देना है कहां से शांतनु रोज आएगा।
उसके बाद मेरी शादी हो गई और शांति में भी काम के सिलसिले में शहर चला गया था जब भी वह आता था तो हमारे घर जरूर मेरी दीदी से मिलने आता था। वह मेरा जीजा ही था। आप जब शांत रहता था तो मेरी दीदी 2 दिन पहले से नंगी लेटी रहती थी। एक दिन तो मैं भी उसके साथ कर लेता था। दूसरे दिन शांतनु से ही उसकी प्यास बुझती थी। अब मेरी शादी के बाद शांतनु हमारे घर आया फिर मैंने उसको अपनी बीवी से मिलाया। शांताराम बोलने लगा मुझे इसकी दिलाएगा क्या अबे मैंने कहा पागल है क्या तू यह तेरी भाभी है। कुछ समय बाद शांतनु की भी शादी हो गई और वह विदेश में नौकरी करने चला गया। दीदी यह सदमा बर्दाश्त ना कर पाई और वह सदमे के चलते पागल हो गई। हमने उसको पागलखाने में भर्ती करवा दिया है। लेकिन आप भी हो वहां पर पागलों से चुदती है। वह वहां पर खुश है। लेकिन मैं अपनी पत्नी से खुश नहीं था। वह मुझे सेक्स अच्छे से नहीं करने देती थी। हां मैं करता भी क्या करता दीदी भी जा चुकी थी। मैं तो परेशान ही हो गया था। मुझे मेरी बीवी पर पूरा शक था। वह कहीं पर अपना मुंह काला करवाती है। मैंने उसे तीन चार बार पकड़ा भी था। पर वह मेरे साथ एक भी दिन करवाने को तैयार नहीं थी। जैसे मानो मेरे लंड पर कांटे लगे हो। मैं तो अंदर ही अंदर से बहुत तनाव में हो गया था।
तभी एक दिन मेरे दोस्त शांतनु का फोन आया। और वह बोला मेरे घर जाना और मेरी बीवी को कुछ पैसे दे आना। क्योंकि वह कुछ काम शुरू करवा रहे थे। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर चला जाऊंगा और तुम्हारी बीवी को पैसे दे आऊंगा। मैं शांतनु की बीवी से कभी मिला नहीं था। मैंने शांतनु से उसके घर का पता लिया और उसके घर चला गया। जैसे ही मैंने दरवाजा खटखटाया किसी लाल कपड़ों में लिपटे हुए परी ने मानो दरवाजा खोलो हो। अब क्या था उसकी बीवी ने मुझे घर के अंदर बुलाया और मेरे लिए चाय बनाई। पहले तुम्हें मना कर रहा था किंतु बाद में मैंने कहा चलो बना ही दो। फिर वह मेले जाईला ही जैसे ही वह मेरे लिए चाय लाई। मैं उसको देखता रहा। मैंने चाय पीनी शुरू करी इतने में देखा दूध फटा हुआ था। मैंने बोला यह क्या है। दूध फटा हुआ है। वर्षा बोली मैं तुम्हारे लिए दूसरी चाय बना लेती हूं। तो फिर मैंने कहा रहने दो मुझे अपना ही दूध पिला दो वर्षा के मन में भी मेरे लिए प्यार था। क्योंकि उसकी भी प्यास बुझी नहीं थी। और उसने अपने स्तनों को मेरे मुंह पर लगा दिया। और मैं वहां से दूध पीने लगा। साला पता नहीं कितना दूध भरा हुआ था। उसके बाद मैंने उसकी जांघों के बीच में से अपना लंड डालकर उसे अपना बना लिया।
मैं घर आया और मैंने अपनी बीवी को सब कुछ बता दिया। वह और कोई नहीं मेरे दोस्त की पत्नी वर्षा थी। शांतनु मेरा बहुत ही घनिष्ठ मित्र है।क्योंकि शांतनु भी विदेश में ही रहता था। इसलिए वर्षा को मुझसे लगाव था। मेरे लंड से लगाव था क्योंकि वह भी अकेली ही थी। शांतनु मेरे भाई की तरह था। पर मेरे लंड को नहीं पता था उसको तो सिर्फ वर्षा की योनि अच्छी लगती थी। उसने वर्षा को फोन किया। और घर पर बुलाया। वर्षा घर पर आई और बोलने लगी क्या बात है। मेरी बीवी ने उसे अपने गले लगा लिया। और कहने लगी मैं अपने पति को संतुष्ट नहीं कर पा रही हो। तुमने इस को संतुष्ट किया मुझे अच्छा लगा। अपना को काफी हल्का महसूस कर रही हूं। फिर क्या था मेरी बीवी ने वर्षा के कपड़े उतारने शुरू कर दीए। और मुझे भी बोलने लगी तुम क्या देख रहे हो अपने कपड़े तुम भी उतारो मैं अपनी पत्नी को देखता ही रह गया। मुझे लगा कहां यह डिवोर्स के लिए ना बोल दे। क्योंकि दहेज में उसके पिताजी ने हमें सब कुछ दिया था। मुझसे यह सब छीनने का डर लग रहा था। इतने मेरी पत्नी बोली डरो मत मैं तुम्हारे लिए खुश हूं। और मैंने फिर अपने कपड़े उतार दिए। मेरी पत्नी सोफे पर बैठे बैठे हैं सब कुछ देख रही थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई पोर्न मूवी का हीरो हूं।
उसके बाद धीरे-धीरे वर्षा ने भी तेजी दिखानी शुरू कर दी। वो मेरे बदन को सहलाने लगी। पता नहीं कब उसने मेरे सर्प को अपनी संकरी योनि में प्रवेश करवा दिया। देखने में वर्षा किसी रशियन की तरह लगती है। मैं भी उसकी दोनों टांगों को और चौड़ा कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी टांगों को चौडा किया। उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी। और वह चिल्लाने लगी बोलने लगी और दम दिखाओ। मैंने भी उसकी योनि में इतनी तेज तेज अपने लंड का प्रहार शुरू कर दिया। जैसे पोर्न मूवी का हीरो करता है। मेरी बीवी वहां बैठ कर देखे जा रही थी और पछता रही थी। उसकी भी चूत का रिसाव शुरू था। लेकिन वह बड़े आनंद लेकर यह सब देख रही थी। और अपनी चूत पर उंगली फिरा रही थी। कुछ समय बाद वह समय आ ही गया जब मेरा झड़ने को होने लगा। तो बोलने लगी क्या हुआ मैंने कहा होने वाला है। वह मेरे पास आए और वर्षा की योनि से मेरा लंड बाहर निकालते हुए। अपने मुंह में ले लिया। उसके बाद उसने वर्षों को सोफे पर उल्टा लिटा दिया। उसकी चूतड़ मेरी तरफ कर दी और मैंने उसके बाद उसको ऐसे ही पेलना शुरू किया। सो झटकों के बाद मेरा दोबारा से गिरना को हुआ। अब मैंने उसको वर्षा की योनि में समाहित कर दिया था। वर्षा भी काफी खुश थी। फिर वर्षा और मैंने कपड़े पहने हम तीनों ने चाय और स्नैक्स लिया। वर्षा अपने घर चली गई थी।