gaand chudai ki kahani, kamukta
मेरा नाम पुष्कर है मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मैं एक शादीशुदा पुरुष हूं और मेरी शादी को 15 वर्ष हो चुके हैं। मेरी पत्नी का नाम कविता है और मेरे दो बच्चे हैं जो कि स्कूल में पढ़ रहे हैं। मेरी शादी के कुछ समय बाद ही कविता का व्यवहार मेरे प्रति बिल्कुल बदल गया और वह हमेशा ही मुझे कहती है कि मैंने तुम्हारे साथ शादी कर के बहुत गलती की। वह मुझसे बिल्कुल भी खुश नहीं रहती और ना ही मुझसे अच्छे से बात करती है इसलिए कई बार हमारे घर पर झगड़े भी होते हैं लेकिन मैं अपने बच्चों की वजह से चुप हो जाता हूं। मैं सोचता हूं कि हमारे बच्चों पर हमारे झगड़े का गलत असर होगा इसी वजह से मैं उससे ज्यादा बात नहीं करता। वह हमेशा ही मुझसे किसी ना किसी बात को लेकर झगड़ा करती है।
मैं अपने काम में बहुत बिजी रहता हूं और जब मैं घर लौटता तो हमेशा ही कविता मुझसे झगड़ा करती है और हमेशा ही मुझ पर ताने मारती है। मैं सिर्फ अपने बच्चों की वजह से चुप रह जाता हूं नहीं तो मैं कब का कविता को डिवोर्स दे चुका होता। मैंने उसे कई बार पूछा कि तुम्हें मुझसे क्या दिक्कत है तो वह कहती है कि मेरे घर वालों ने तुमसे मेरी शादी करवा दी, नहीं तो मैं तुमसे कभी शादी करने वाली नहीं थी। वह हमेशा ही मुझ में कोई ना कोई नुक्स निकालती रहती है और कहती है कि तुम पहले जैसे बिल्कुल नहीं रह गए। मैं उसे कहता हूं कि मैं अपने काम में कितना बिजी हूं यह सब तुम खुद ही देख रही हो, उसके बावजूद भी तुम मुझे इस बारे में कहती हो। वह घर का काम भी कुछ अच्छे से नहीं करती इसलिए मैंने घर में काम वाली को काम पर रख लिया जिससे कि मेरे बच्चों की देखभाल अच्छे से हो पाए। वह सिर्फ अपनी पार्टियों में ही बिजी रहती है और उसके पास मेरे लिए बिल्कुल भी समय नहीं है। मैं कई बार चाहता हूं कि हम दोनों साथ में कहीं बाहर घूमने जाएं लेकिन उसे मुझ में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है और वह हमेशा ही मुझे कहती है कि तुम्हारे सारे दोस्त कितने फिट हैं और तुम बिल्कुल ही उनके जैसे नहीं हो। मैं उसे हमेशा ही कहता हूं कि हर किसी के जीने का तरीका अलग होता है।
मैं काम के प्रति सीरियस हूं, उसमें तुम्हें आपत्ति है तो मैं इसमें कुछ भी नहीं कह सकता इसीलिए मै उससे बहुत कम बात करता हूं। हमारे पड़ोस में एक महिला रहती हैं, उनका डिवोर्स हो चुका है लेकिन वह मुझे बहुत ही समझदार लगती हैं। मेरी उनसे हमेशा ही बात होती है, उनका नाम गरिमा है। वह भी किसी ऑफिस में नौकरी करती हैं और अलग ही रहती हैं। मैं जब भी ऑफिस से लौटता हूं तो अक्सर वह मुझे दिख जाती हैं। मैंने उनसे जितनी भी बात की है मुझे उन्हें देखकर बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि वह जिस प्रकार से अपने फैसले खुद ही लेती हैं और वह बहुत ही शांत स्वभाव की हैं इसलिए मैं उनकी तरफ आकर्षित होता गया। मैंने जब उनसे एक दिन पूछा कि आप का डिवोर्स कैसे हुआ, तो वह कहने लगी कि मेरा नेचर बहुत ही शांत स्वभाव का है और मेरे पति बहुत ही गुस्से वाले हैं इसी वजह से मैंने उन्हें कहा कि मैं आपके साथ ज्यादा समय तक अर्जेस्ट नहीं कर पाऊंगी और मैंने उन्हें डिवोर्स दे दिया। मैंने उन्हें कहा कि क्या आपके पति डिवॉर्स के लिए मान गए थे, वह कहने लगी कि नहीं, वह डिवॉर्स के लिए नहीं माने थे लेकिन उसके बाद भी मैंने उन्हें उस चीज के लिए मनाया और अब अपनी जिंदगी अलग तरीके से जी रही हूं। मैंने उनसे पूछा कि आपकी उम्र कितनी है, वह कहने लगी कि मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैंने उन्हें कहा कि क्या आपको कभी भी आपके पति की कमी महसूस नहीं होती। वह कहने लगी कि अब मुझे आदत हो चुकी है और मैं अकेला रहना ही पसंद करती हूं इसलिए मुझे कभी भी अपने पति की कमी महसूस नहीं होती। गरिमा से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो चुकी थी और उन्हें भी मेरे और मेरी पत्नी के रिलेशन के बारे में पता था क्योंकि जब भी हमारे झगड़े होते थे तो वह हमेशा ही सुनती थी और मुझे कहती थी कि क्या तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी के बीच में रिलेशन ठीक नहीं चल रहा, मैंने उससे कहा कि हम दोनों के बीच में रिलेशन बिल्कुल भी ठीक नहीं है क्योंकि वह हमेशा ही मुझ में कुछ ना कुछ कमियां निकालती रहती है, वह मेरे साथ बिल्कुल भी खुश नहीं है।
गरिमा मुझे कहने लगी कि यदि तुम दोनों एक दूसरे के साथ खुश नहीं हो तो तुम एक दूसरे को डिवोर्स दे दो ताकि तुम दोनों की जिंदगी अच्छे से चल पाए। मैंने उसे कहा कि मैंने कई बार इस बारे में सोचा परंतु मुझे मेरे बच्चे का ख्याल आ जाता है इसलिए मैं उसे डिवोर्स नहीं दे पा रहा हूं, मैं तो उसके साथ बिल्कुल भी खुश नहीं हूं और इन 15 सालों में मैं बहुत ज्यादा दुखी हो गया हूं। गरिमा कहने लगी कि तुम्हें कुछ तो फैसला लेना ही पड़ेगा। मैंने गरिमा से कहा कि मैंने कई बार उसे इस बारे में डांटा भी लेकिन मुझे अब डर लगता है कि कहीं मेरे बच्चों पर इसका गलत असर ना पड़े इसलिए मैं बिल्कुल भी उसके साथ झगड़ा नहीं करता। मुझे जब भी वक्त मिलता तो मैं गरिमा के साथ ही अपनी कॉलोनी के पार्क में बैठ जाता था और उससे काफी देर तक बात करता था। उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा महसूस होता क्योंकि वह जिस प्रकार से कॉन्फिडेंस होकर बात करती थी, मुझे वह बहुत अच्छा लगता था और मैं उससे बात करना बहुत पसंद करता था। मैं और गरिमा साथ में बैठ कर बात कर रहे थे। हम दोनों के बीच में सेक्स को लेकर बात हो गई वह मुझसे पूछने लगी क्या तुम अपनी पत्नी के साथ सेक्स करते हो। मैंने उसे कहा कि मुझे तो काफी समय हो चुका है अपनी पत्नी को चोदे हुए।
गरिमा मुझे कहने लगी आज मेरा बहुत मन है यदि तुम मेरी इच्छा पूरी कर दो तो मुझे बहुत खुशी होगी। वह मुझे अपने घर ले गई जब उसने अपने सारे कपड़े मेरे सामने खोले तो मेरा लंड खड़ा हो गया। उसका यौवन बड़ा ही मस्त था उसके स्तन और गांड देखकर तो मेरा मूड ही खराब होने लगा। उसने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह में ले लिया और बहुत अच्छे से सकिंग करने लगी। उसने मेरे लंड को इतने अच्छे से चूसा की मेरा पानी निकल गया। अब वह मेरे सामने अपने पैर खोल कर लेट गई मैंने उसकी योनि को इतना चाटा की उसे भी मजा आने लगा। मैं जब अपनी जीभ उसकी योनि के अंदर डालता तो उसका पानी बाहर आ जाता मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत मे गया तो उसे भी अच्छा लगा और मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैं उसे बड़ी तेज गति से चोदे जा रहा था और वह खुश हो रही थी। मैंने उसे इतनी तेज तेज चोदा कि उसने अपने दोनों पैरो को चौडा कर लिया और मेरा साथ देने लगी। मैंने उसके पैरों को पूरा चौडा कर लिया और अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर कर रहा था। मैंने इतनी तेजी से उसको चोदा की उसका पूरा शरीर गर्म होने लगा और मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैंने जब उसे उल्टा लेटाया तो वह कहने लगी कि तुम मेरी गांड में अपने लंड को डाल दो। मैंने अपने लंड पर सरसों का तेल लगा दिया और अच्छे से अपने लंड पर लगाने के बाद मैंने धीरे-धीरे गरिमा की गांड में लंड को डाला तो उसकी गांड में मेरा लंड घुस गया और उसे बड़ा अच्छा लगा। वह कहने लगी तुम्हारा लंड अपनी गांड में लेकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है और वह भी अपनी चूतडो को ऊपर की तरफ करने लगी। मैं भी उसे बड़ी तेज झटके से उसकी गर्मी को शांत कर रहा था। मैंने उसे इतनी तेज तेज झटके मारे कि उसकी गांड के रास्ते से खून बहाने लगा और उसका गंड का छेद चौड़ा हो चुका था। वह मुझे कहने लगी कि तुमने मेरी गांड का छेद पूरा चौड़ा कर के रख दिया है मुझे बहुत ही आनंद आ रहा है। मै उसे बड़ी तेजी से झटके मारने लगा लेकिन उसकी गांड से जो गर्मी बाहर निकली उस गर्मी के दौरान मेरा वीर्य उसकी गांड में गिर गया। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए गरिमा के मुंह में डाल दिया उसने बहुत देर तक मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा जिससे कि मेरा वीर्य उसके मुंह के अंदर गिर गया और उसने वह अपने अंदर ही समा लिया।