Antarvasna, kamukta मैं पार्टी में इधर उधर देख रही थी लेकिन मुझे कोई जाना पहचाना चेहरा नजर नहीं आ रहा था मैंने काफी देर तक इधर-उधर नजर मारी परंतु उस पार्टी में मुझे कोई जान पहचान का नजर ना आया। मैं अपने पति के साथ आई हुई थी तो मेरे पति के ही सब परिचित उस पार्टी में थे मुझे काफी अकेला सा महसूस हो रहा था लेकिन तभी मेरे पास एक पुरुष आए उनकी उम्र यही कोई 35 वर्ष के आसपास रही होगी उन्होंने मुझे देखते हुए कहा क्या आप सुहानी है। मैंने उनके चेहरे पर बड़े ध्यान से देखा मैं उनके चेहरे को पहचानने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं उन्हें पहचान ना सकी वह मुझे कहने लगे मैं कमल हूं। मैंने उन्हें फिर भी नहीं पहचाना वह मुझे कहने लगे लगता है आप मुझे पहचान नहीं पा रही हैं तो मैंने उन्हें कहा हां मैं आपको पहचान नहीं पा रही हूं कि आप कौन हैं।
वह मुझे कहने लगे मेरा नाम कमल है और मैं भारती का बड़ा भाई हूं भारती मेरी कॉलेज की सहेली थी और आज उसके भैया मुझे 10 वर्ष बाद मिले तो मुझे उन्हें पहचानने में थोड़ा दिक्कत हुई। मैंने उनसे पूछा कि भारती कहां है तो वह कहने लगे भारती तो आजकल अपने पति के साथ विदेश में हैं। मेरी बात भारती से काफी समय से नहीं हो पाई थी हम दोनों बात कर रहे थे तभी मेरे पति भी आ गए और मैंने अपने पति का परिचय कमल से करवाया वह कमल से मिलकर बहुत खुश हुए और कमल ने भी मुझे अपनी पत्नी से मिलवाया। काफी समय बाद एक दूसरे से मिलना अच्छा रहा मैं सोचने लगी चलो कम से कम पार्टी में तो कोई मिला जिससे मैं बात कर सकती हूं मैं कमल और उनकी पत्नी के साथ ही बात कर रही थी मुझे उन लोगों का साथ मिल चुकी था और मुझे काफी अच्छा भी लग रहा था। काफी देर तक हम लोग एक दूसरे से बात करते रहे लेकिन अधिकांश बात भारती के बारे में ही हो रही थी। कुछ देर बाद हम लोग पार्टी से वापस अपने घर चले गए लेकिन मुझे कमल ने अपना नंबर दे दिया था और कहा था कि आप लोग हमारे घर पर कभी आइए उनकी पत्नी से भी बात करके मुझे काफी अच्छा लगा।
एक दिन मुझे मेरे पति ने कहा कि क्यों ना हम लोग कमल और उनकी पत्नी को डिनर पर इनवाइट करें मैंने अपने पति से कहा क्यों नही, हम लोगों ने उन्हें डिनर पर इनवाइट किया। मेरे पास कमल का नंबर था तो मैंने उन्हें फोन किया और अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया वह भी मना ना कर सके और हमारे घर पर डिनर के लिए आ गए। जिस दिन वह हमारे घर पर डिनर के लिए आए उस दिन मैंने काफी सारी डिश खाने की बनाई हुई थी जब वह लोग हमारे घर पर आए तो हमें बहुत अच्छा लगा। मेरे पति और कमल एक दूसरे से बड़े ही अच्छे तरीके से बात कर रहे थे उन दोनों में अच्छी दोस्ती भी हो चुकी थी और उन लोगों ने काफी देर तक एक दूसरे से बात की। मैंने जब अपने पति से कहा कि चलिए खाना खा लेते हैं तो हम लोग डाइनिंग टेबल पर खाना खाने के लिए बैठे हम सब एक दूसरे से बात कर रहे थे तो अच्छा लग रहा था। हमारे छोटे बच्चे भी एक दूसरे के साथ खेल रहे थे और उन लोगों में भी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी हमने उन्हें भी खाने पर बुलाया तो वह लोग आ गये और खाना खाने लगे। उस दिन कमल और उनकी पत्नी ने खाने की बड़ी तारीफ कि मुझे इस बात की खुशी थी कि मैं अच्छे से खाना बना पाई और वह लोग रात के वक्त अपने घर चले गए। अब हम लोगों का अक्सर मिलना जुलना होता रहता था और हम लोग एक दूसरे से हमेशा मिलते रहते थे इसी बीच एक दिन कमल ने कहा की मैंने कुछ समय पहले एक प्रॉपर्टी ली है। उन्होंने शिमला के पास ही एक छोटे से गांव में कोई प्रॉपर्टी ली थी तो वह चाहते थे कि हम लोग भी उनके साथ वहां घूमने के लिए चले। उन्होंने मेरे पति से जब इस बारे में कहा तो मेरे पति भी मना ना कर सके और हम लोग वहां घूमने के लिए तैयार हो गए लेकिन मेरे पति को किसी विशेष मीटिंग से कहीं जाना था तो हम लोगों को प्लान कैंसिल करना पड़ा। कमल कहने लगे कोई बात नहीं जब संजय अपने काम से लौट आए तो हम लोग उसके बाद वहां घूमने चलेंगे संजय अपने विशेष मीटिंग से कुछ दिनों के लिए मुंबई गए हुए थे और उन्हें वहां से लौटने में करीब एक हफ्ता लग गया।
जब वह वापस लौटे तो उसके बाद भी काफी काम था लेकिन मैंने संजय से कहा कि आप थोड़ा समय हमारे लिए भी निकाल लीजिए तो संजय ने कहा ठीक है मैं इस वक्त अपना पूरा काम निपटा लेता हूं उसके बाद मैं पूरी तरीके से फ्री हो जाऊंगा। संजय ने अपना पूरा काम निपटा लिया और उसके बाद हम लोग घूमने के लिए चले गए हम लोग जब वहां पर गए तो वहां उन्होंने काफी अच्छे तरीके से प्रॉपर्टी को डेवलप किया हुआ था और बड़े ही अच्छे से उन्होंने वहां की सजावट की थी। हालांकि वहां पर अभी पूरी तरीके से व्यवस्था नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी सब कुछ बड़ा ही अच्छा लग रहा था मौसम भी बहुत सुहाना था और आसपास की पहाड़ की वादियां जैसे हमे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। अगले दिन जब सुबह मेरी आंख खुली तो मैं रूम से बाहर निकली मैंने देखा पहाड़ की श्रृंखला जैसे मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। मैंने संजय से कहा बाहर उठकर देखना कितना प्यारा मौसम है संजय जब बहार आए तो वह कहने लगे अरे वाकई में काफी प्यारा मौसम है। हम लोगों ने सोचा कि हम लोग टहलने चलते हैं संजय और मैं टहलने के लिए चले गए हम दोनों काफी आगे तक निकल आए थे संजय ने मुझसे कहा कि अब हमें वापस लौटना चाहिए और हम लोग वापस लौट आए।
जब हम लोग वापस लौटे तो कमल और उनकी पत्नी भी उठ चुकी थी जब कमल और उनकी पत्नी उठी तो वह हमें कहने लगे आप लोग कहां चले गए थे। संजय ने जवाब देते हुए कमल से कहा हम लोग आगे तक घूमने के लिए चले गए थे मौसम काफी अच्छा था तो हम लोगों ने सोचा आगे टहल आते हैं। कमल ने वहां पर काम करने वाले नौकर को आवाज लगाते हुए कहा हमारे लिए चाय बना देना और वह नौकर चाय बनाने के लिए चला गया। करीब आधे घंटे बाद वह चाय लेकर आया तो हम लोग चाय पीते पीते ही एक दूसरे से बात कर रहे थे संजय कहने लगे यहां पर काफी अच्छा माहौल है और शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर कुछ दिन सुकून से रहने का मौका मिल गया। कमल कहने लगे मैंने इसीलिए यह प्रॉपर्टी खरीदी थी क्योंकि मैं भी कई बार शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से परेशान हो जाता हूं तो मुझे भी अपने लिए थोड़ा वक्त चाहिए होता है और जब मैं पहली बार यहां आया था तो मुझे भी बहुत अच्छा लगा था। उस दिन बारिश बहुत तेज हुई और मौसम बड़ा सुहाना हो चुका था। मेरे सेक्स की इच्छा जागने लगी लेकिन संजय तो सो चुके थे वह मेरी इच्छा पूरी नहीं करना चाहते थे। वहां पर जो काम करने वाला चौकीदार था उसे मैंने अपने कमरे में बुलाया और उससे अपनी चूत मरवाने लगी। उसने मेरी चूत का भोसड़ा बनाकर रख दिया था बडे ही मजेदार तरीके से वह मुझे चोदता। जब वह मुझे चोद रहा था तो कमल ने देख लिया जब कमल ने देखा तो कमल ने चौकीदार को वहां से भगा दिया। वह मेरे पास आकर खड़ा हो गया मैंने कमल से कहा तुम देख क्या रहे हो तुम भी अपने लंड को मेरी चूत में डालो। कमल कहने लगा तुम पहले मेरे लंड को खड़ा तो करो।
मैंने उसके लंड को पूरे मुंह के अंदर तक ले लिया उसका लंड तन कर खड़ा हो चुका था उसका लंड इतना ज्यादा लंबा हो गया कि उसे मैं अच्छे से मुंह के अंदर तक भी नहीं ले पा रही थी। जैसे ही उसने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो वह कहने लगा तुम्हारी चूत तो बड़ी लाजवाब और मजेदार है। उसे मेरी चूत के टाइट पन का एहसास हो रहा था वह मुझे बड़ी जोरदार तरीके से धक्के मार रहा था और काफी देर तक उसने मेरी चूत के मजे लिए। जैसे ही कमल ने मुझे अपनी गोद में उठाकर चोदना शुरू किया तो मुझे एहसास होने लगा कि कमल भी एक नंबर का चोदू किस्म का इंसान है। कमल ने काफी देर तक मुझे ऐसे ही चोदा हम दोनों के लंड और चूत से गर्मी बाहर निकलने लगी थी। मैं अब पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी जैसे ही मेरे योनि से पानी ज्यादा मात्रा में बाहर निकलने लगा तो कमल पूरी तरीके से उत्तेजना में आ चुका था।
कुछ ही क्षण बाद उसने अपने माल को मेरे पेट पर गिरा दिया। मैं चाहती थी कि वंस मोर हो जाए मैं एक और बार कमल के साथ सेक्स संबंध बनाना चाहती थी। कमल ने मुझे घोडी बनाते हुए मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही कमल का लंड मेरी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो कमल काफी तेज गति से मुझे धक्के देने लगा। उसने मेरी चूतडो को अपने हाथ में लिया हुआ था वह जिस गति से मेरी चूत के मजे ले रहा था उससे मेरी चूतड़ों का रंग लाल होने लगा था। कमल कहने लगा तुम भी अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती रहो मैं भी कमल से अपनी चूतडो को मिलाती रही। कमल का लंड एकदम कड़क हो चुका था काफी देर तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा। जब कमल का वीर्य गिरने वाला था तो कमल चाहता था कि मैं उसके वीर्य को अपने मुंह में लू इसलिए कमल बिस्तर में लेट गया। उसने मुझे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो मैने कमल के लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और उसे अच्छे से चूसने लगी काफी देर तक मैं उसे चूसती रही। जैसे ही कमल का चिपचिपा वीर्य मेरे मुंह के अंदर गिरा तो मैंने उसे अपने अंदर समा लिया। कमल के वीर्य को अंदर समा कर मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि मेरी इच्छा काफी समय बाद पूरी हुई थी।