ऑफिस की लड़की को टूर मे चोदा

office sex stories, antarvasna

मेरा नाम राजन है और मैं कोलकाता का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 27 वर्ष है और मैं कोलकाता में बचपन से ही रह रहा हूं क्योंकि मेरे पिता जी स्कूल में टीचर है उसके बाद उन्होंने कोलकाता में ही घर बना लिया और हम लोग बचपन से ही यहां पर रह रहे हैं। अब मेरे पापा रिटायर हो गए हैं लेकिन हम लोगों को यहां पर रहना बहुत ही पसंद है इसी वजह से मैंने भी यहीं पर नौकरी कर ली। मेरे एक बड़े भैया विदेश में रहते हैं और वह कभी कभार घर आते हैं। मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने ऑफिस जॉइन कर लिया था और जब मैंने नौकरी ज्वाइन की तो उसके बाद से मैं उसे ऑफिस में काम कर रहा हूं। मुझे वहां काम करते हुए 3 वर्ष हो चुके हैं और मैं बहुत ही अच्छे से अपने काम  को ध्यान लगाकर करता हूं। मेरे भैया मुझे फोन कर देते हैं और कहते हैं कि जब भी तुम्हें किसी चीज की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना। मैंने उन्हें कहा कि फिलहाल तो मुझे किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मेरा ऑफिस बहुत ही अच्छा चल रहा है और मुझे एक अच्छी सैलरी भी मिल रही है।

मेरे भैया मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं और वह हमेशा ही मुझे फोन कर दिया करते हैं। जब वह मुझे फोन करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और जब वो कोलकाता आते हैं तो मेरे लिए कुछ ना कुछ नई चीज हमेशा लेकर आते हैं। मेरे ऑफिस में भी मेरे बहुत दोस्त हैं। हमारे ऑफिस में एक लड़की है उसका नाम संजना है मैं उसे बहुत ही पसंद करता हूं लेकिन उसके बावजूद भी मैंने उससे कभी बात नहीं किया और ना ही उसे मैं अपने दिल की बात, बता पाया लेकिन मैं चाहता था कि उसे मैं अपने दिल की बात किसी न किस तरीके से बता दू। उसे मेरे बारे में सब कुछ पता था कि मैं उसके बारे में क्या सोचता हूं लेकिन उसके बावजूद भी मेरी कभी भी उससे बोलने की हिम्मत नहीं हुई और मैं जब भी उसे बोलने की कोशिश करता तो मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं होती थी और मैं सोचता था कि मैं किस तरीके से उसे अपने दिल की बात बताऊं। एक बार हमारे ऑफिस का टूर जा रहा था और हमारे ऑफिस के सब लोगों को उस में बाहर जाना था क्योंकि एक साल में हमारे ऑफिस के सब लोग घूमने जाते थे, जो कि ऑफिस की तरफ से ही दिया जाता था। इस बार हमारा टूर मनाली जा रहा था और हमारी सारी तैयारियां हो चुकी थी।

मैंने जब इस बारे में अपने मम्मी-पापा को बताया तो वह बहुत ही खुश हुए और कहने लगे कि यह तो बहुत ही अच्छी बात है कि तुम इतने समय बाद कहीं घूमने जा रहे हो क्योंकि मुझे अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था इसलिए मैं कहीं जा भी नहीं पाता था। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि संजना भी मेरे साथ ऑफिस के टूर से बाहर जाएगी और हम लोग साथ में घूमेंगे। जब यह बात मैंने अपने भैया को बताई तो वह बहुत खुश थे और कहने लगे चलो यह तो अच्छी बात है कि तुम काफी समय बाद कहीं घूमने जा रहे हो। अब हम लोग घूमने के लिए मनाली चले गए। हम लोग बहुत ही मस्तियां कर रहे थे और सब लोग पूरा इंजॉय कर रहे थे। संजना भी मेरे बगल वाली सीट में बैठी हुई थी और मैं उसे देखे जा रहा था क्योंकि हम लोग ट्रेन से ही जा रहे थे इसलिए सब लोग बड़ी मस्तियां कर रहे थे। जब हम लोग मनाली पहुंच गए तो सब लोग मनाली की पहाड़ियां देख कर बहुत ही खुश हो रहे थे और कह रहे थे कि कितना सुंदर नजारा है। मैंने भी उसी दौरान संजना का हाथ पकड़ लिया और उसने मुझे कुछ भी नहीं कहा लेकिन मुझे उससे बात करनी थी और अब मैंने सोचा कि मैं संजना से बात कर लेता हूं, जब मैं संजना को कहने लगा कि कितना सुंदर है तो वह भी कहने लगी कि यहां पर बहुत ही अच्छा नजारा है। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें यहां पर कैसा लग रहा है, वह कहने लगी कि मुझे तो बहुत ही अच्छा लग रहा है और इस प्रकार के नजारे तो बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। मैंने उसे पूछा कि क्या तुम इससे पहले भी कभी यहां आई हो, तो वो कहने लगी कि नहीं मैं इससे पहले कभी भी यहां पर नहीं आई। यह मेरा पहला ही अनुभव है। वह वाकई में बहुत ज्यादा खुश थी और अब हम लोग मनाली घूमने लगे। पहले दिन तो सब लोग थक गए थे जितना हो सकता था उतना सब लोग घूमे और सब लोगों ने बहुत ही एंजॉय किया। अगले दिन जब उठे तो सब लोग थके हुए थे। सुबह उठकर सबने नाश्ता किया और उसके बाद दोबारा से हम लोग साइट सीन के लिए चले गए। हमारे ऑफिस के द्वारा वहां पर एक बस हमें दी गई थी, जिसमें कि हमारे सारे ऑफिस के लोग थे और सब लोग बहुत अच्छे से इंजॉय कर रहे थे और घूम रहे थे। मैं संजना के बगल में ही बैठा हुआ था मैं उससे बातें कर रहा था। मैंने उससे कह दिया कि मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूं। वो कहने लगी कि मैंने तुम्हारे बारे में कभी भी इस तरीके से नहीं सोचा लेकिन मैंने उसे कहा कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए वाकई में कुछ है इसीलिए मैं तुम्हें कई समय से बताना चाहता था पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मुझे लगा कि तुम्हें बता देना चाहिए तो मैंने हिम्मत करते हुए तुम्हें बता ही दिया। संजना भी मुझे कहने लगी कि मैं भी तुम्हें काफी समय से पसंद करती हूं लेकिन तुम्हें  बोलने की हिम्मत मेरे अंदर भी नहीं थी।

संजना और मेरे बीच में इतनी बातें होने लगी तो हम दोनों अब अलग से घूमने लगे। मैं उसका हाथ पकड़ कर घूमता और वह भी मेरा हाथ पकड़ कर बहुत खुश हो रही थी। हम लोग जिस होटल में रुके हुए थे मैंने संजना को उस होटल के हॉल में बुला लिया क्योंकि मैंने वहां के मैनेजर को कुछ पैसे दे दिए थे वह कहने लगा कि हमारा हॉल खाली है तो आप वहां पर कुछ समय अपने दोस्त के साथ भी जा सकते हैं। जब मैं संजना को  हॉल  में ले गया तो वह कहने लगी कि तुम यह मुझे कहां ले आए। मैंने उसे कहा कि मेरा तुमसे मिलने का मन था इसलिए मैंने तुम्हें यहां पर बुला लिया। मैंने उसके चूचो को जैसे ही दबाया तो वह पूरे मूड में आ गई और उसने मेरे होठों को किस कर लिया। जब उसने मेरे होठों को किस किया तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा मैं भी उसके होठों को बहुत अच्छे से किस कर रहा था। मैंने उसके होठों को इतने  अच्छे किस किया कि उसके अंदर की उत्तेजना पूरी बढ गई। मैंने उसके पूरे कपड़े उतारते हुए उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपनी जीभ लगाई तो वह मचल उठी। मैंने कुछ देर तक उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाए रखा और उसे चाटता रहा अब उसके अंदर की उत्तेजना बढ़ गई। मैंने जब उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह पूरे मूड में आ गई और मै उसे बड़ी तेजी से झटके दिए जा रहा था और वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसे इतनी तेज झटके दिए की उसका शरीर हिल जाता तो मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लेता। मैंने काफी देर तक उसे ऐसे ही धक्के देना जारी रखा कुछ समय बाद मैंने उसको अपने ऊपर लेटा दिया। जब वह मेरे ऊपर आई तो जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो वह बहुत ही खुश हो गई। वह अपनी चूतडो को मेरे ऊपर नीचे करने लगी। वह अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी और मैं उसे धक्के मार रहा था। वह भी मेरे लंड पर अपनी योनि को अंदर बाहार करती जाती उसे बड़ा मजा आ रहा था जब वह इस प्रकार से मेरे साथ कर रही थी। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था जब वह अपने चूतड़ों को मेरे लंड के ऊपर नीचे कर रही थी। मैंने उसे बड़ी तेज तेज झटके मारे और उसकी योनि से कुछ ज्यादा ही गर्मी निकलने लगी मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और मैंने उसकी योनि के अंदर अपना माल डाल दिया। अब हम लोग मनाली से वापस अपने शहर लौट आया और उसके बाद से संजना और मेरे बीच में बहुत ही ज्यादा प्यार बढ़ चुका था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *