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मेरा नाम शीतल है। मैं कॉलेज में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट हूं। मेरी उम्र 23 वर्ष है। परंतु मुझे पढ़ने का बहुत ही शौक है। मैं बचपन से ही बहुत सारी किताबें पढ़ा करती थी। जिस वजह से मुझे बहुत ज्यादा नॉलेज हो चुकी है और मैंने हर सब्जेक्ट की किताबें पढ़ी है। इसलिए मुझे कभी भी कोई किसी भी डिबेट में हरा नहीं सकता और यदि कभी कोई मुझ से डिबेट करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और हमारे कॉलेज में मुझसे कोई भी डिबेट में जीता नहीं है। इसलिए हमारे कॉलेज के प्रोफेसर हमेशा मुझे ही कहते हैं कि जितने भी डिबेट कंपटीशन होंगी, उसमें तुम ही हिस्सा लोगी। वह लोग मुझे कहते हैं कि तुम्हारी उम्र बहुत ही कम है। परंतु तुम्हें बहुत ज्यादा ज्ञान है लेकिन मैंने कभी भी उस चीज का घमंड नहीं किया और जब भी किसी को जरूरत पड़ती है तो मैं उसकी हमेशा ही मदद करती हूं। इसलिए कॉलेज में सब लोग मुझे बहुत ही अच्छा मानते हैं। एक बार मैं एक रेस्टोरेंट में बैठी हुई थी। तो वहां पर एक व्यक्ति बैठकर लोगों को समझा रहे थे।
मैं उनकी बातें सुन रही थी और मैं बहुत देर से उनकी बातें सुनती जा रही थी। वहां पर जितने भी लोग बैठे हुए थे वह उन सब को मूर्ख समझ रहे थे और अपने आप को बहुत बड़ा ज्ञानी दर्शा रहे थे। मुझे उनकी आवाज बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी, तो मैंने इस बारे में अपने दोस्त से बात की और उसे कहा कि मुझे उन व्यक्ति से जाकर बात करना चाहिए। वह मुझे कहने लगी कि तुम फालतू में इन चक्करों में मत पड़ो। हम लोग अब यहां से चलते हैं। अब हम लोग वहां से चले गए। जब मैं कॉलेज गई तो मेरे दिमाग में वही बात चल रही थी और वह व्यक्ति बार-बार मेरे दिमाग में आ रहे थे। उनकी उम्र 40 वर्ष के आसपास होगी। मैंने सोच लिया था कि मुझे जब वह अगली बार मिलेंगे तो मैं उनसे जरूर बात करूंगी।
मैं अब घर में आकर भी उन्हीं के बारे में सोचने लगी और जब मैं कुछ समय बाद उस रेस्टोरेंट में वापस गई तो मैंने वहां के मालिक से उन व्यक्ति के बारे में पूछा। वह कहने लगे कि उनका नाम विमल है और वह एक बहुत बड़े विद्वान हैं। यहां पर सब लोग उनकी बहुत इज्जत करते हैं। मुझे यह बात सुनकर अच्छा तो लगा परंतु वह जिस तरीके से लोगों को नीचा दिखाते हैं वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था और मैं उन्हें इस बात के बारे में बताना चाहती थी। मैंने रेस्टोरेंट के ओनर से जब बात की तो वह कहने लगे कि वह अक्सर शाम के समय में हमारे रेस्टोरेंट में चाय पीने के लिए आते हैं। मैंने उनसे उनका आने का समय पूछा और मैं भी उसी समय रेस्टोरेंट में पहुंच गई। अब वह व्यक्ति भी शाम को रेस्टोरेंट में पहुंच चुके थे और उनके आस-पास बहुत सारे लोग थे। वह उन सब लोगों को समझा रहे थे और उन्हें ज्ञान दे रहे थे। मैंने भी उनसे बात की और कहा कि आपके पास यदि समय हो तो आप मेरे साथ बैठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्यों नहीं अब वह मेरे साथ बैठ गए और हम लोग बातें करने लगे। वह मुझसे बात कर रहे थे तो मैंने उन्हें बताया कि आप एक बहुत बड़े ज्ञानी हैं। परंतु आप लोगों को नीचा दिखाते हैं यह मुझे महसूस हुआ। वह कहने लगे मुझे तो कभी भी इस बारे में ऐसा नहीं लगा लेकिन उन्हें मैंने इसका उदाहरण दिया तो उसके बाद उन्हें लगा कि वाकई में वह सब लोगों को नीचा दिखाते हैं। अब वह मुझसे मेरे बारे में पूछने लगे तो मैंने उन्हें अपना परिचय दिया और कहा कि मैं कॉलेज की स्टूडेंट हूं और मैं किताबें पढ़ने की बहुत शौकीन हूं।
इस वजह से मुझे थोड़ा बहुत नॉलेज हो चुका है लेकिन विमल बहुत ज्यादा ज्ञानी थे। इसलिए मैं चाहती थी कि मैं उनसे भी कुछ सीख सकूं और जब मैंने उनसे इस बारे में बात की तो वह कहने लगे कि मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा। क्योंकि तुम एक अच्छी लड़की हो और तुमने मेरी भी मदद की है। नहीं तो मैं भी अपने घमंड के नशे में चूर था और सब लोगों को बहुत ही कम आकता था। अब मैं अक्सर उस रेस्टोरेंट में विमल से मिलने के लिए आ जाया करती थी और वह भी मुझे बहुत सारी किताबें दिया करते थे और मुझे समझाते भी रहते थे कि किस तरीके से तुम्हें और भी अच्छा करना चाहिए। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था और उनके साथ बैठना मुझे अच्छा भी लगता है लेकिन कुछ दिनों तक वह रेस्टोरेंट में नहीं आया तो मैंने वहां के मालिक से पूछा कि वह आजकल क्यों नहीं आ रहे हैं। तो वह कहने लगे कि वह शायद कहीं बाहर गए हुए हैं और कुछ समय बाद ही लौटेंगे। मैंने उनका नंबर नहीं लिया था तो मैंने रेस्टोरेंट के ओनर से उनका नंबर ले लिया और उन्हें फोन कर कर पूछा। तो वह कहने लगे कि मैं कुछ दिनों के लिए कहीं काम से बाहर आया हुआ हूं और 2 दिन बाद मेरा लौटना होगा। अब वह जब वापस लौटे तो मैं उसे उसी रेस्टोरेंट में मिली। वह कहने लगे कि मैं कुछ काम से कहीं बाहर चला गया था। इस वजह से मैं आ नहीं पाया और तुम्हें बताना ही भूल गया। क्योंकि मुझे बहुत ज्यादा जल्दी में जाना पड़ा। वह कहने लगे कि मैंने एक छोटा सा ऑफिस ले लिया है। यदि तुम्हें समय मिले तो तुम ऑफिस में आ जाया करो। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं आपके ऑफिस में ही आ जाया करूंगी और आप मुझे वहां का एड्रेस दे दीजिए। अब उन्होंने मुझे एड्रेस दे दिया और मुझे जब भी उनसे मिलना होता तो मैं उनके ऑफिस में ही चली जाया करती।
वह मुझे बहुत सी चीज़ें सिखाते थे मुझे बहुत अच्छा लगता था जब मैं उनके साथ समय बिताया करती थी। एक दिन मे ऑफिस गई तो मुझे उन्हें देखकर पता नही क्या हो गया और मैंने उनके लंड पर हाथ लगा दिया। जैसे ही मैंने उनके लंड पर हाथ लगाया तो उनकी उत्तेजना बढ़ गई और वह झट से अपनी कुर्सी से खड़े हो गए। मैंने तुरंत ही उनकी पैंट के अंदर हाथ डालते हुए उनके लंड को बाहर निकाल लिया। जब मैंने उनके लंड को बाहर निकाला तो वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए। मैं उनके लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी और हिलाते हिलाते उसे अपने मुंह में डाल दिया। अब उनकी उत्तेजना भी पूरी बढ़ चुकी थी तो उन्होंने मुझे कहा कि तुम अपने सारे कपड़े उतार दो। मैंने जब अपने सारे कपड़े उतारे तो जब उन्होंने मेरे बदन को देखा तो उनका लंड और ज्यादा खड़ा हो गया। मैंने उसे अपने मुंह के अंदर समा लिया और अच्छे से सकिंग करने लगी। मैंने इतने अच्छे से सकिंग किया कि वह पूरे मूड में आ गए। उन्होंने मेरी योनि का रसपान करना शुरू कर दिया। वह इतने अच्छे से मेरी योनि को चाट रहे थे मुझे बहुत ही मजा आता। वह अपनी जीभ को मेरी योनि पर लगाते तो मेरे शरीर से करंट से निकलने लग जाता और मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था मेरी योनि पूरी गीली हो गई है। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब वह मेरी योनि को चाटते जा रहे थे।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और उन्होंने मेरे स्तनों पर अपने दांत भी मार दिए थे। उन्होंने मेरे होठों को अपने होठों में लिया तो मुझसे बिल्कुल नहीं रहा गया और मैंने उनके लंड को पकड़ते हुए अपने पैरों को चौड़ा कर दिया। उन्होंने मेरी योनि में अपने लंड को डाल दिया जब उन्होंने मेरी योनि में अपना लंड डाला तो मेरी सील टूट गई और मेरी योनि से खून निकलने लगा। मेरी योनि से बहुत ही तीव्रता से खून निकल रहा था जिससे कि वह मुझे और भी तेजी से चोद रहे थे। वह कह रहे थे तुम्हारी योनि तो बहुत ही ज्यादा टाइट है मैंने आज तक किसी की इतनी टाइट चूत नहीं मारी। वह इतनी तेज तेज धक्के दे रहे थे कि मेरा पूरा शरीर हिल रहा था और मेरी चूत से खून निकल रहा था। मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था जब वह मुझे झटके दिए जाते। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझे बस ऐसे ही चोदते रहे और मैं उनसे अपनी चूत मरवाती रहूं। मेरे शरीर गर्म होने लगा और उनका शरीर गर्म हो चुका था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा झड़ चुका है मैंने अपने दोनों पैरों को कसकर उन्हें अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया। उन्होंने भी मुझे तेज धक्के मारने शुरू किया और इतनी तेज तेज मुझे चोदा उनका वीर्य मेरी योनि के अंदर ही गिर गया। अब वह मेरे ऊपर लेटे हुए थे और काफी देर तक वह मेरे ऊपर ही लेटे रहे।