चुदाई और कुंवारी चूत के पवित्र दर्शन की कथा

kunwari choot हेल्लो दोस्तों कैसे हैं आप सब उम्मीद करता हूँ आप सब अपनी माँ चुदा रहे होगे और मुझे इस बात की ख़ुशी है | मुझे ये बात जानके अत्यंत ख़ुशी होती है जब कोई चुदाई की बात करता है क्यूंकि बाबा को यही पसंद है | आज मैं बाबा चोदुलाल आपके सामने आया हूँ अपनी एक कहानी लेके जिसमे मैं आपको बताऊंगा अपने वास्तविक अनुभव के बारे में जो मुझे बीकानेर की पावन धरा पे हुआ था और मुझे इस बात का अत्यंत गर्व है कि मैंने कई चूतों का पदार्पण किया और कई फटी चूतों की तृष्णा को शांत करके उनकी चुदाई की खुजली को तृप्त कर दिया | मैंने अपने जीवनकाल में अत्यंत सम्भोग क्रियाएँ की हैं पर जो संतुष्टि मुझे बीकानेर में मिली उसका अंदाजा कोई लौड़ा नहीं लगा सकता | बीकानेर की कई बातें प्रसिद्ध हैं जैसे रसगुल्ले, आलू भुजिया और लंड | मैं कभी कभी लंड का रस भी चख लेता हूँ क्यूंकि मैं अत्यंत मादरचोद किस्म का बाबा हूँ “बोलो बाबा लंड के बाल की जय” | चोदम चुदाई शिविर के नाम से मेरा कारवां आगे बढ़ता है जो भी मित्रगण इसमें अपना योगदान देना चाहते है वो नंगी किताबे, कंडोम, नीले पिक्चर की सी. डी., और साथ में कुछ रुपये हमारे पते पर भिजवा दें | हमारी नंगी ललिता आपकी मदद के लिए हमेशा तत्पर है आप उसको चोद के सारी जानकारी ले सकते हैं | पर ध्यान रहे नंगी ललिता बहुत सेक्सी और फटी बुर वाली है अगर आपका लौड़ा बड़ा है तभी आगे बढे नहीं तो ललिता आपको अपनी चूत के अन्दर घुसा लेगी और डकार भी नहीं मारेगी | तो दोस्तों अब मैं प्रचार और प्रसार दोनों की वाणी को विराम देता हूँ और हालू करता हूँ अपने शिविर की दास्तान जिसमे आपको स्वादिष्ट और रसभरी चूतों का वर्णन मिलेगा |

तो दोस्तों बात है २००४ की जब मेरे भक्त मुझे बहुत याद कर रहे थे और मुझे कई बार सन्देश भेज रहे थे बीकानेर में अधिवेशन करने के लिए | मैंने भी उनकी चुदाई की प्यास को समझा और उन्हें निराश न करते हुए एक अधिवेशन शिविर लगा दिया | जैसे ही मैंने उस पावन धरा पे कदम रखा मुझे झांटों वाली ११ चूत लेने आ गयी और उनकी महक ने मुझे मंत्रमुघ्ध कर दिया | मैंने कहा अब ये कारवां इनका रस पीने के बाद ही आगे बढेगा | मेरे शिष्य लंड के गोटे ने वही चादर का प्रबंध किया और मैंने उन चूतों को चाट चाट के उनका रस पीना शुरू किया और वो चूतें बड़ी की शान्ति से मेरा साथ देती गयी | मेरे साथ साथ मेरे शिष्य और नंगी ललिता ने भी मज़ा लिया | ऐसे स्वागत को देख मेरा रोम रोम रोमांचित हो गया और मैंने भी अपना पूरा मन और तन यहाँ समर्पित कर दिया | दोगुनी ताकत के साथ में आगे बढ़ा और अगले दिन अधिवेशन की शुरुआत जैसे ही हुयी तब मैंने जाना मेरे कितने चाहने वाले हैं | दोस्तों इतनी भीड़ थी वह लोगो के पैर रखने की जगह नहीं थी पर जैसे तैसे हमने सब शांत किया और लोगों की व्यवस्था को आगे बढ़ाया | पर कुछ लोग इतने मादरचोद होते हैं क्यूंकि उनका मकसद व्यवस्थाओं को बिगाड़ना ही शेष होता है | पर मैंने उन सब को भी शांत कर दिया और सबके लिए गद्दों का इंतज़ाम करके सबको आराम से लेटने को कहा | सब आराम से लेट गए और फिर चालु हुआ मेरा चुदाई प्रोग्राम जो लोग अपने साथी के साथ आये थे उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी पर जो लोग आकेले आये थे उन्हें साथी प्रदान करने के लिए मैंने पहले ही रंडियां बुला ली थी और भड्वो को भी बुलाया था औरतों के लिए |

जैसे ही मैंने पहली मुद्रा का विचरण किया उतने में ही एक गूंगी चूत उठी और कहने लगी बाबा मुझे अपने लंड से लगा लो मैं पागल हो रही हूँ और मुझे नंगी होकर नाचने का मन कर रहा है | मैंने कहा हे “चूत की रानी” तनिक शांत होकर किस्सा सुनो और उसके बाद बाबा तुमाहरी चूत को फाड़ देंगे | मैंने अपना उपदेश प्रारंभ किया जिसमे मैंने उन्हें एक सबक दिया और आज ये नए लड़के भी सुने क्युकी इनकी गांड में चुल्ला है लड़की पटाने का और उनके नखरे उठाने का | तो सुनिए बाबा की स्वयं की लिखी एक रचना जिसमे बच्चों के लिए बड़ा ज्ञान है |

“ लड़की के बस नखरे मत उठाओ नहीं तो कोई और उसकी टाँगे उठा लेगा” |

जैसे ही मैंने ये उपदेश पूर्ण लिया उतने में एक लड़की खड़ी हो गयी और कहने लगी हां बाबा मेरा दोस्त मेरी मारता ही नहीं | मैंने कहा कन्या क्या आपकी बुर कुंवारी है | उसने अपनी बुर से पर्दा उठाया और उसे रगड़ते हुए मादक आवाज़ में कहा बाबा आप इसका स्वाद चख लो खुद ही पता चल जाएगा | मैंने भी ताव में आके कहा बालिके कृपया मंच पे आ जाओ मैं तुम्हे सबके समक्ष चोद के एक मिसाल कायम करूँगा और तुमाहरी चूत को आनंद की अनुभूति प्रदान करूँगा | वो मंच पर आ गयी और और पहले मैंने उसका कुरता उतार के उसकी अंगिया पे चुम्बन किया और उसके उभारों को दबाने लगा | वो भी पागल की भांति बाबा बाबा जोर से करने लगी और मज़े लेके उचकने लगी | फिर मैंने उसके उभारों को आज़ाद किया और उससे कहा बालिके मेरे लंड पे अपना हाथ लगाके उसे तृप्त कर दे | जैसे ही उसने मेरे लंड पे हाथ रखा मेरा कड़क लंड उसकी मुट्ठी में मचलने लगा | वो हिला रही थी और मैं उसके उभारों को चूस रहा था | मैं चूस रहा था और वो हिला रही थी | इसी हिलाने और दबाने में एक घंटा बीत गया और उसके चूचे कड़क हो गए और मेरा लंड रस बाहर निकालने लगा |

अब मैंने कहा बालिके चलो में तुम्हरे बदन का स्पर्श कर लेता हूँ | वो एकदम नयी दुल्हन की तरह लेट गयी और मैं उसके पेट पे और उसकी गांड पे चुम्बन करने लगा | वो भी और गरम होने लगी और मेरा साथ किसी चुदक्कड रंडी की तरह देने लगी | फिर मैंने कहा बालिके अब मैं तेरी चूत का पानी पियूँगा और तू मेरे लंड को चूसेगी | वो किसी अनजान कन्या की तरह मेरे बड़े लंड को देखने लगी और मैंने प्यार से उसका मुह अपने लंड पे लगा दिया | मैंने अपना रुख उसकी चूत की तरफ किया और बाकी प्रजा मुझे देख के वैसा ही करने लगी | पूरी जगह पे बस आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म की आवाज़ें गूँज रही थी और ये मेरा उत्साहवर्धन कर रही थी | मैंने उसकी गुलाबी चूत को कुत्ते की तरह चाटा और मुझे एक अलग एहसास प्राप्त हुआ | उसकी चूत का पानी मानो अमृत तुल्य था और मैं उसका पानी बार बार पीना चाहता था | मैंने उसका पानी पांच बार पिया और उसकी आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म की आवाज़ें मेरे कान में गूंजने लगी | उसने भी अपना काम अच्छे से निभाया और मुझे तीन बार मुट्ठ मारने पे मजबूर कर दिया और वो भी मेरा पवित्र मुट्ठ पी रही थी | उसने मुझ से कहा

“ बाबा ख़त्म भी करो ये जुदाई अब कर दो न मेरी ताबड तोड़ चुदाई” मैंने भी उसका इंतज़ार किया ख़त्म और शुरू कर दी चुदाई की रस्म |

मैंने उसकी चूत में अपने बड़े लंड का प्रवेश करा दिया और उसकी चीख निकल गयी | उसकी चूत से थोडा सा खून निकला और वो मुझ से कहने लगी निकालो अपना लंड बाबा मैं मर जाउंगी | मैंने उसकी बात को उन्सुना करके अपनुई चुदाई क्रिया चालु रखी और वो भी थोड़े समय के बाद आराम से चुदवाने लगी | वो कहने लगी आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म बाबा और चोदो मुझे जोर जोर से मेरी चूत में धक्के मारो और फाड़ दो मेरी चूत को | मैंने भी उसकी इक्च्छा का निरादर न करते हुए अपने लंड को और अन्दर तक पेल दिया और वो फिर से चिल्लाने लगी | पर इस बार वो बस जोर से आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म कर रही थी और बाबा को उसकी चुदाई करने में बड़ा आनंद आ रहा था | कुंवारी चूत की बात ही अलग है | मैं उसे चोद रहा था और वो चुद रही थी | वो चुद रही थी और मैं उसको बेहिसाब चोद रहा था | उसकी चूत से सफ़ेद पानी निकल रहा था और मेरा लंड आराम से उसकी चूत में अन्दर बहार हो रहा था | मैं चोदने में इतना मगन था कि मैंने भी आआआअह्हह्हह्ह आआअह्हह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊह्हह ऊऊऊउम्म्म्म का स्वर निकाला |

मैंने उस कुंवारी कन्या की कुंवारी चूत को चार बार पेला और वो भी मुझे एक अलग ही बालिका नज़र आ रही थी मानो किसी ने उसका कायाकल्प ही बदल दिया | ये देख कर मैंने अपने लंड को सहलाते हुए संतोष भर लिया | ये संतोष आप नहीं समझ सकते “किसी की तरसती चूत को चोद के उसपे क्या एहसान होता है उसके मन में क्या बदलाव होता है उसके चेहरे की ख़ुशी क्या होती है” ये बस एक असली चोदु ही समझ सकता है |

“ अब आप लोग भी बाबा के आशीर्वाद से खूब चोदो और खुशियाँ बांटो” | अंत में हम सब एक बार जोर से जयकारा लागयेंगे “बोलो काले गांड की जय” |

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