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मेरा नाम संकेत है और मैं 22 वर्ष का एक युवा हूं। मैं बनारस का रहने वाला हूं। मेरे पिताजी स्पेयर पार्ट्स का सामान रखते हैं और उनकी दुकान बहुत ही अच्छी चलती है। मैं भी अब उनके साथ काम करने लगा हूं और मैं उनके साथ काफी काम भी सीख चुका हूं और मुझे अच्छा भी लगता है जब मैं अपने पिताजी के साथ काम करता हूं। मेरे बड़े भैया बैंक में कार्यरत है। इसलिए वह मेरे पिताजी के साथ काम नहीं कर सकते और मैं उनके साथ अब काम कर रहा हूं। मेरे पिताजी खुश दिल इंसान हैं। वह बहुत ही अच्छे हैं और हमेशा ही मुझे बहुत सपोर्ट किया है। जब भी मुझे किसी भी तरीके से किसी प्रकार की कोई भी चीज समझ नहीं आती तो मेरे पिताजी उस चीज का जवाब बहुत जल्दी मुझे दे देते हैं। इसलिए मैं उनका सम्मान बहुत ही करता हूं। मैं जब उनके साथ दुकान में रहता हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। वह भी मुझसे बचपन से ही बहुत प्रेम करते हैं और कहते हैं कि तुम एक बहुत ही अच्छे लड़के हो। वह मुझे पढ़ाना चाहते थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया और कहा कि मैं आपके साथ ही काम करना चाहता हूं। क्योंकि इनका काम बहुत अच्छा चलता है और मेरे भैया अब बैंक में नौकरी लग चुके हैं। इस वजह से वह दुकान नहीं संभाल सकते लेकिन मैं दुकान का काम संभाल सकता हूं। इसलिए मैं उनके साथ ही काम पर लग गया और अपना सारा काम सीख चुका हूं।
एक दिन मैं अपनी दुकान से वापस लौट रहा था तो उसी रास्ते में मेरी गाड़ी खराब हो गई और मैंने सोचा आज बस से ही चले जाता हूं। मैंने अपनी गाड़ी वहीं खड़ी की थी और मैं बस से घर चला गया। मैंने अपने पिताजी को फोन करके बोल दिया था कि मैंने गाड़ी बस स्टैंड के पास ही खड़ी कर दी है और मैं बस से घर जा रहा हूं। आप लड़के को भिजवा देना और गाड़ी ठीक करवा देना। अब मैं जब घर आ रहा था तो बस में एक बहुत ही सुंदर सी लड़की बैठी हुई थी। ना चाहते हुए भी मेरी नजरे उसे देखती जा रही थी। मैं अपने आपको कोशिश कर रहा था कि उसकी तरफ ना देखू। पर फिर भी उसका अट्रैक्शन इतना ज्यादा था कि मेरी नजर बार-बार उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और उसके लंबे लंबे बाल और उसकी बड़ी बड़ी आंखें मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी। मुझे ऐसा लगता कि मैं उससे तुरंत ही बात कर लूं लेकिन मैं उसे जानता नहीं था और ना ही मेरी हिम्मत हुई उससे बात करने की। थोड़ी देर बाद उसके बगल की सीट खाली हो गई और मैं उसके पास जाकर ही बैठ गया। उसका हाथ मेरे हाथों से टकरा रहा था और मेरे अंदर से एक अलग ही तरीके की फीलिंग निकल रही थी और मैं सोच रहा था कि मैं उससे उसका नाम पूछू और उससे पूछू कि वह कहां पर रहती है।
जब वह मेरे पास बैठी हुई थी तो मैं उसकी तरफ देख भी नहीं पाया। ना जाने मुझे क्या हुआ। मेरे अंदर हिम्मत ही नहीं हुई और कुछ देर बाद मेरा घर भी आने वाला था और मैं बस से उतरने वाला था। वह लड़की भी उसी स्टैंड पर उतर गई जहां पर मुझे उतरना था। अब मैं उसके पीछे पीछे जाने लगा और मैं उसका पीछा करते करते उसके घर के पास तक पहुंच गया। जब मैं उसके घर के पास पहुंचा तो वह अपने घर के अंदर चली गई लेकिन फिर भी मैं उससे बात ना कर सका। अब मैं भी अपने घर की तरफ चला गया लेकिन मेरे अंदर उसका नाम जानने की उत्सुकता थी और वह क्या करती है। मुझे बहुत ज्यादा उत्सुकता हो रही थी। इसलिए मैं सोच रहा था कि अब मैं उससे कैसे बात करूं और मेरी बात आगे कैसे बढ़े। यह सोचते सोचते मैं अपने घर पर पहुंच गया और मुझे पता भी नहीं चला कि मैं अपने घर पहुंच गया। मेरी मां ने मुझसे पूछा तुमने कुछ खाया है या नहीं। मैंने उन्हें कहा हां मैंने खा लिया है लेकिन मेरा ध्यान खाने की तरफ था ही नहीं और ना ही मुझे भूख थी। मुझे तो सिर्फ उस लड़की की बड़ी बड़ी आंखें मेरे दिमाग में नजर आ रही थी और बार-बार उसका चेहरा मुझे दिखाई दे रहा था। मैं बहुत ज्यादा उत्सुक हो रहा था कि वह लड़की क्या करती है और उसका नाम क्या है। मैं अपने कमरे में जाकर लेट गया और मैं उस लड़की के ख्यालों में खोया हुआ था।
ऐसे ही कई दिन बीत गए लेकिन उसके बाद ना तो वह लड़की मुझे दिखी और ना ही मेरी कभी मुलाकात उससे हुई। एक दिन मैं अपनी मां के साथ बाजार में कुछ सामान ले रहा था। तभी मेरी मां की एक सहेली मिल गई और वह उनसे बात करने लगी मेरी मां ने उन्हें बताया कि यह मेरा लड़का है। मैं भी उनसे पहली बार ही मिला था और मेरी मां मुझे कहने लगी कि यह मेरी स्कूल की बहुत अच्छी दोस्त है। वह आंटी बहुत ही हंसमुख और अच्छी थी। मैं भी उनसे अच्छे से बात कर रहा था। तभी थोड़ी देर में वह लड़की भी आगे से आ गई और जैसे ही वह आगे से आई तो मेरे दिल की धड़कने बहुत तेज तेज धड़कने लगी। वह हमारे पास आकर रुक गई। मुझे लगा कहीं शायद वह मुझे कुछ बोल ना दे। क्योंकि मैं उसे कुछ ज्यादा ही घूर रहा था लेकिन वहां मेरी मम्मी की सहेली की लड़की थी। उन्होंने भी उसका इंट्रोडक्शन कराया और उन्होंने उसका नाम बताया। उसका नाम रीमा था। जब उसने मुझसे बात की तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गया। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई हो। थोड़ी देर बाद वह वहां से चले गए और हम लोग भी अपने घर आ गए। जब हम घर पहुंचे तो मैंने अपनी मां से बताया कि मुझे रीमा बहुत ही पसंद है।
मेरी माँ ने कहा ये तो बहुत ही अच्छी बात है। उसकी मां भी बहुत अच्छी है और मेरी बहुत ही अच्छी सहेली है। मैं तुम दोनों की बात करने में हेल्प कर सकती हूं। मेरी मां ने मेरी बात रीमा से करवा दी और एक दिन वह मुझे अपने साथ उनके घर ले गई। जब मैं उनके घर गया तो उस दिन रीमा ने मुझसे बहुत ज्यादा बात की। मुझे उससे बात कर के बहुत ही अच्छा लगा और जब मैंने उससे पूछा तुम क्या करती हो। तो वह कहने लगी कि मैं कॉलेज में हूं। मुझे बहुत ही खुशी हुई उस दिन उससे बात करके। उस दिन मैंने उससे उसका फोन नंबर भी ले लिया था। अब मैं उससे फोन पर बात करने लगा और हम दोनों की बातें अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी। हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। वह मुझे अपने बारे में सब कुछ बताने लगी और जब वह कॉलेज में होती तो मुझे अपनी फोटो भी भेज दिया करती। एक दिन मैंने पिताजी को रीमा के बारे में बता दिया और वह बहुत ही खुश हुए और कहने लगे कि लड़की तो बहुत ही सुंदर है। मेरे पिताजी ने एक दिन मुझे कहा कि तुम उसे घर पर ही बुला लो। मैंने रीमा को अपने घर पर बुला लिया। रीमा मेरे घर पर आई तो वह मेरी मां से मिलकर बहुत खुश हुई और मेरे पिताजी भी बहुत खुश थे। थोड़ी देर उनसे बात करने के बाद वह मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई और जब मेरे कमरे में आई तो हम दोनों बैठ कर बातें कर रहे थे।
फिर अचानक से मुझे उसके स्तनों के लकीरें दिखाई देने लगी। मेरा मन खराब हो गया मैंने तुरंत ही उसके बालों को सहलाना शुरू कर दिया और उसे किस कर लिया। जैसे ही मैंने उसे किस किया तो वह भी थोड़ी देर बाद उत्तेजना में आ गई और वह मेरे होठों को अच्छे से चूमने लगी। मैं उसके होंठों को चूमते चूमते उसके स्तनों को भी दबाने लगा। थोड़ी देर में मैंने उसके सारे कपड़े खोलते हुए उसकी योनि में अपने लंड को डाल दिया। जैसे ही मैंने उसकी योनि में अपने लंड को डाला तो वह चिल्ला उठी और उसकी चूत से खून की पिचकारी निकलने लगी। जैसे ही उसकी चूत से खून की पिचकारी निकली तो मैंने उतनी तेजी से उसे चोदना शुरू कर दिया। मै उसे बड़ी तेज उसे धक्के मारने लगा जैसे ही मेरा लंड अंदर बाहर होता तो उसके मुंह से मादक आवाजे निकलने लग जाती। मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसता जाता जिससे कि उसकी उत्तेजना और दोगुनी हो जाती। मैंने उसे बड़ी तीव्रता से धक्का देना शुरु किया और उसका शरीर पूरा गर्म हो चुका था। मेरी उत्तेजना भी चरम सीमा पर पहुंच गई थी। मेरे लंड से जैसे ही मेरी वीर्य की पिचकारी निकली तो वह सीधा रीमा की योनि में चली गई जिससे कि हम दोनों बहुत ही खुश हुए। कुछ दिनों बाद रीमा प्रेग्नेंट हो गई इसलिए उसके घर वालों ने मुझसे उसकी शादी करवा दी।