देखो घुस जाएगा फिर मत कहना

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दोस्तों मेरा नाम सतीश है। मैं अपनी दीदी के साथ ही उनके घर पर रहता हूं। मेरे जीजा विदेश में नौकरी करते हैं। तो उनकी देखरेख के लिए कोई यहां पर है नहीं इस वजह से मुझे मेरे घर वालों ने उनकी देखरेख के लिए रखा है। मैं यहीं से नौकरी पर जाता हूं। और बाकी के सारे काम घर से ही करता हूं। कभी-कभी मुझे चोदने का मन करता है। तो मैं रंडी खाने चले जाता हूं। और वहां पर उनका मुजरा देख कर वापस घर आ जाता हूं। यही मेरी दिनचर्या थी। जिंदगी बहुत बोरिंग से होने लगी थी और मालूम नहीं कुछ नया करना था। तभी एक दिन मेरी बहन को उनकी पुरानी सहेली का फोन आया और वह कहने लगी मैं ऑफिस के सिलसिले में तुम्हारे घर कुछ दिनों के लिए रह सकती हूं। वह मेरी दीदी की बहुत ही अच्छी सहेली थी मैं भी उनको बचपन से ही जानता था।

वह अपने समय में हमारे शहर की जान वह करती थी। वह जहां जहां भी जाती थी लौंडे उनके ही पीछे घूमा करते थे। फोन का साइज 34 28 34 का था। अब शायद बढ़ गया होगा क्योंकि उनकी भी शादी हो चुकी है। जैसे उन्होंने अपना फोन रखा मेरी दीदी मेरे पास आई और कहने लगी मेरी सहेली सविता हमारे घर कुछ दिनों के लिए रहने आ रही है तो तुम उसका ध्यान रखना और उसे कुछ कमी मत होने देना। मैंने अपनी दीदी से पूछा दीदी वह कुछ काम के सिलसिले में आ रही है क्या मेरी दीदी ने कहा हां बहुत अपने ऑफिस के कुछ काम से 10 15 दिनों के लिए आ रही है। मैंने भी सविता के नाम से कई बार मुट्ठ मारा था। बहुत ही मजेदार तो यह तो हमारी जवानी में होना ही था। उस दौरान वहां हमारे घर भी बहुत आती थी।

सुबह के समय हम लोग सो कर उठे ही थे और नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थे तभी हमारे दरवाजे की घंटी बजी मेरी दीदी ने मुझे कहा जाओ दरवाजा खोलो देखो तो कौन है। मैं दरवाजा खोलने के लिए गया और मैंने दरवाजा खोला जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो मैंने एक सुंदर सी महिला दरवाजे पर खड़ी देखी जिसने की एक लंबा सा गाउन पहना हुआ था जिसके आर पार साफ साफ दिखाई दे रहा था। उसमें उसके स्तन को मैं देखता जा रहा था। कभी मेरी दीदी पीछे से आई और कहने लगी अरे इनका सामान अंदर लाओ यही तो सविता है। मुझे काफी वर्षों बाद बहुत ही की थी इसलिए मैं उनकी शक्ल थोड़ी बहुत भूल गया था। हम उनका सामान लाया और मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रही थी तो मैं तो अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा। सुबह सिर्फ हमारा परिचय ही हो पाया था। मैंने ऑफिस में ही सविता का नाम का मुठ् मार दिया था। आज शाम को मैं ऑफिस से सीधा घर निकल पड़ा।

अगले दिन रविवार था तो हमारी ऑफिस की छुट्टी थी। हम लोग शाम को काफी देर तक बातें करते रहे। बातों-बातों में उन्होंने पूछ ही लिया तुम्हारी शादी नहीं हुई। मैंने कहा कोई लड़की मिलती ही नहीं सविता ने हल्की हल्की सी स्माइल मेरी तरफ थी। और कहने लगी तुम अपना जीवन कैसे काटते हो अब शादी कर ही लो समय हो गया है समय से बच्चे कर लो तो ठीक रहेगा। वह अपने गाउन पहन कर बैठी हुई थी जैसे ही उसने अपनी जांघों को ऊपर की तरफ उठाया तो उसके अंतर्वस्त्र मुझे दिखाई दे पड़ा। मैंने उसको इशारों इशारों में कहा तुम्हारी पिंक पैंटी दिखाई दे रही है । जिसमें से उसकी चूत का नक्शा साफ साफ दिखाई दे रहा था। थोड़ी देर तो मैंने वह देख कर अपनी आंखें सेकी बहुत मजा आ रहा था देख कर उसके बाद हम लोग सो गए रात को मैं अच्छे से सो ना सका। सविता के ही ख्यालों में खोया रहा। आज भी उसके 36 30 38 का साइज है जो थोड़ा सा बढ़ चुका है। परंतु अब ज्यादा देखने में वह हॉट लगती है।

पहले के मुकाबले कसम से मुझे तो नींद ही नहीं आई बिल्कुल भी थोड़ी जब आती और फिर अचानक से उठ जाता। बेचैनी जैसी हो गई थी शरीर में सुबह सिर्फ 2 घंटे के लिए ही सो पाया अच्छे से तब तक सब लोग उठ चुके थे और शोर शराबा होने लगा था वह शोर शराबे मैं उठ गया। मेरी दीदी ने कहा मैं जरा बाहर से होकर आती हूं। मैंने गाने लगाया और आराम से बैठकर सुनने लगा इतने में बाथरूम से आवाज आई। मैं जैसे ही बाथरूम के पास गया वहां पर सविता मेरी दीदी को आवाज लगा रही थी। मैं कुछ बोल भी ना सका पर थोड़ी हिम्मत करने के बाद मैंने बोला दीदी तो बाहर गई हुई है अभी आती होगी थोड़ी देर में सविता बोलने की अरे मैं अपनी पेंटी ब्रा बाहर ही भूल आई हूं तो तुम ले आओगे। मैंने कमरे में उसकी पेंटी ब्रा देखें जैसे ही मैंने उन्हें अपने हाथों में लिया उसमें बहुत ही अलग तरह की महक आ रही थी मैं उसको सुघने लगा। मेरे अंदर सेक्स चढ़ चुका था।

मैं जैसे ही बाथरूम में गया मैंने कहा सविता दीदी दरवाजा खोलो मैं ले आया हूं। सविता ने जैसे ही दरवाजा खोला तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और दरवाजे को अंदर की तरफ धक्का दे का पूरा दरवाजा खोल दिया। उसने सिर्फ एक टॉवल लपेटा हुआ था। और बोलने लगी यह क्या कर रहे हो तुम फोन में से उसका सिर्फ मेन सामान छुपा हुआ था बाकी का उसकी जांगे दिखाई दे रही थी। मैंने उसके टॉवल को भी उतार दिया। और उसकी चूत को तेजी से दबाने लगा। जैसे ही मैंने दबाया उसकी चिल्लाहट शुरू हो गई। अब मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा दी थी। मैंने अपनी उंगली को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था और बोलने लगी और तेज तेज करो और मेरा पानी पूरा निकाल दो। मेरी बड़ी तेजी से करना शुरू कर दिया। जैसे जैसे वह भी मदहोश हो गई। उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और अपने मुंह में ले लिया।

बड़ी ही तेजी से अपने गले तक उतार लिया। मैं उसको मना कर रहा था मत करो नहीं तो तुम्हारा गला दर्द ना हो जाए। वह बोलने लगी जब तक मैं पूरा नहीं गले में नहीं लेती तब तक मुझे मजा नहीं आता। मैंने कहा इससे अच्छी क्या बात हो सकती है मैंने भी अपने पूरे लंड को उसके मुंह में उतार दिया। जैसे ही मैंने उसके मुंह से बाहर निकाला तो मेरा वीर्य उसके मुंह में गिर चुका था। और उसने वह निगल लिया था। मैंने उसको अपने बाथ टब लिटा दिया। मैंने भी उसकी पिंक चूत को चाटने लगा कसम से मजा बहुत आया। कुछ देर बाद उसके चूत उसे पिचकारी निकली और उसने मेरे मुंह को अपने हाथों से दबा दिया। सारा माल मेरे मुंह में चला गया। मैंने भी उसकी चूत मैं अपना लंड पेल दिया। उसने भी अपनी दोनों टांगे चोरी कर ली और अपनी चूत को टाइट कर लिया। अब मैंने जैसे ही धक्के मारे तो उसके मोमे हिलने लगे। मैं उसके बड़े बड़े मोमो को अपने मुंह में लेकर उसका दूध पीने लगा। आप सविता का सुरुर बन पड़ा था और उसका पानी निकलने वाला था।

मैंने तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिए जिसे कुछ ही समय बाद मेरा भी पानी उसकी योनि में समा गया। अब हम दोनों के दोनों खड़े हुए जैसे ही मैं खड़ा हुआ। मेरी दीदी दरवाजे पर खड़ी होकर सब देख रही थी। हम दोनों एकदम नग्न थे उसकी योनि में से मेरा तरल पदार्थ गिर रहा था। वह भी बोलने लगी मेरी भी चूत प्यासी है और तुम उसकी भी प्यास बुझाओगे। उसने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए मैंने कभी उसको नग्नअवस्था में नहीं देखा था। वह इतनी हसीन और मस्त होगी मैंने कभी सोचा नहीं था। पूरी तेजी से मेरे लंड की तरफ झपटी और अपने मुख में मेरे सोए हुए और मरे हुए लंड को लेकर दोबारा से उस को सख्त और कड़क कर दिया। दुबारा से मेरे लंड मे जान आ गई। मेरे लंड का गीलापन पूरा साफ कर दिया और अपने मुंह में अंदर बाहर करने लगी। मेरी दीदी ने अपने गांड मेरी तरफ करें और कहां इसकी प्यास को बुझा दे मेरे भाई मैंने भी उसकी बात को मना नहीं किया। और अपने 9 इंच के लंड को उसकी टाइट चूत में डाल दिया। उसकी चूत से फच फच की आवाज आने लगी। मैं जोर जोर से झटके मारने लगा। और साथ साथ में सविता के बड़े-बड़े मोमो को अपने मुंह से चूस रहा था। गर्मी से में पसीना पसीना हो गया था मेरे लंड से भी गर्मी निकल रही थी और होठों से भी कुछ ही देर बाद मैंने अपने दीदी के बड़े-बड़े गांड में अपना तरल पदार्थ गिरा दिया। जितने दिन उसके बाद सविता हमारे घर पर रही रोज हम तीनों एक साथ ग्रुप सेक्स करते रहे। जब भी हम मिलते हैं तब भी सेक्स करने का मौका नहीं छोड़ते।

 

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