bhabhi sex stories, antarvasna
कुछ समय पहले हमारे पड़ोस में एक शादीशुदा जोड़ा रहने के लिए आया था उनकी एक लड़की थी। उन्होंने वहां पर एक बहुत ही अच्छा मकान बनाया हुआ था। मैं उनके पिछली वाली गली को छोड़कर दूसरे मकान में रहता हूं। मेरा नाम आनंद है। जब वह यहां रहने के लिए आए थे उसके 2 साल बाद उनके पति का देहांत हो गया था। अब वह वहां अकेली पड़ गई थी। हम भी वहां उनका दुख दर्द बांटने गए थे। हमने उनसे पूछा यह कैसे हुआ उस समय वह बहुत तकलीफ में थ कि जैसे उनका सब कुछ खो गया हो। उनका नाम वैभवी था। यह देखकर हमें बहुत बुरा लगा। हम कभी भी उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते। अगर उन्हें किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो वह हमें ही कहती है हमारी जान पहचान उसी टाइम हुई थी। जब उनके पति का देहांत हुआ था।
एक दिन मेरे दोस्त को किराए पर घर चाहिए था तो मैंने सोचा क्यों ना वैभवी से जाकर घर के बारे में पता करके आऊं। मैंने उनसे घर के बारे में बात की और उनसे कहा कि अगर वहां पर कोई रहेगा, तो उनके लिए चिंता की बात नहीं होगी और घर का थोड़ा बहुत खर्चा भी उन पैसों से निकल जाएगा। पहले तो वह मना कर रही थी क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं था कि जो नया किराएदार आएगा वह कैसा होगा और मैंने उन्हें विश्वास दिलाया।
दूसरे दिन वह मान गई थी कुछ दिनों बाद वह नया किराएदार आया और उनके घर में शिफ्ट हो गया। वैभवी अपना घर का खर्चा चलाने के लिए कुछ काम ढूंढ रही थी लेकिन उसकी एक बेटी भी थी। उसे भी तो संभालना था वैभवी सुबह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जाती थी और फिर लेने के लिए जाती थी। जब तक उसकी बेटी स्कूल में रहती है उसको तब तक के लिए कुछ काम चाहिए था। मैंने उन्हें एक सलाह दी मैंने उनसे एक बुटीक खोलने को कहा। अगर वह अपने घर पर ही बुटीक खोल लेंगे तो उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और घर पर ही अपनी बेटी को भी देख लेंगे और अपना काम भी संभाल लेंगी। ऐसे में उनका समय भी बचेगा और बेटी का भी अच्छे से ध्यान भी रख पाएंगे। मैंने उन्हें इस बारे में सोचने के लिए कहा वह बुटीक खोलने के लिए तैयार हो गई लेकिन उन्हें थोड़ी खर्चे की आवश्यकता थी। मैंने उनकी मदद करनी चाहिए लेकिन उन्होंने मना किया। मैंने उनसे कहा कि अभी तुम मेरी मदद ले लो बाद में जब तुम्हारे पास पैसे आ जाएंगे तो मुझे वापस लौटा देना मेरे यह सब कहने के बाद तब जाकर उन्होंने मेरी मदद ली। कुछ दिन बाद उन्होंने एक बुटीक खोल लिया।
बुटीक खोलने में मैंने भी उनकी काफी मदद की क्योंकि उनको मदद की आवश्यकता थी। एक पड़ोसी होने के नाते मैंने यह सब किया। बुटीक खोलने के अगले दिन से वह अपनी बेटी को छोड़ने स्कूल जाती और फिर घर आकर अपने बुटीक का काम करने लगती। काम खत्म करके अपनी बेटी को लेने जाती फिर दोनों घर आकर खाना खाते और थोड़ी देर आराम करते उसके बाद उनकी बच्ची खेलने के लिए चली जाती। वैभवी अपना बुटीक का काम फिर से करने लगती थी जब उनकी बच्ची घर आ जाती तो वह थोड़ा समय उसको पढ़ाने में देती। फिर उसके बाद तक ना खाना बनाने का काम करके दोनों खाना खाते और कभी-कभी वह बच्ची अपने पापा को भी याद करती वह कहती कि मेरे पापा कहां है वह कब आएंगे। वैभवी को इस बात का बड़ा दुख होता था। वह कहती कि तुम्हारे पापा जल्दी आ जाएंगे तुम सो जाओ। उन्हें ऐसा लगता था कि उनकी बच्ची को पापा की कमी महसूस हो रही है लेकिन वह बेचारी भी क्या करती। कुछ समय बाद उनका बुटीक का काम और भी अच्छा चलने लगा और उनके खर्चे भी कम होने लगे क्योंकि बुटीक का काम चलने के कारण उनके पास थोड़ा बहुत पैसे आने लगे थे और थोड़ा किराए के पैसे आ ही रहे थे। वह और मेहनत करती और पैसे कमाती ताकि वह अपनी बच्ची का भविष्य अच्छे से संवार सके और उसे पढ़ा लिखा कर एक अच्छी एजुकेशन दे सके। वह अपनी बच्ची की हर इच्छा पूरी करने को तैयार रहती थी। वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी दोनों मां और बेटी एक दिन पिकनिक पर जा रहे थे। उस समय वैभव की बेटी की स्कूल की छुट्टियां पड़ी हुई थी इसलिए वह घूमने जा रहे थे। शाम को वैभवी मुझे मिली और मुझे भी पिकनिक पर चलने के लिए कहा मैं उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। हम एक अच्छे दोस्त की तरह रहते थे हम तीनों ने वहां खूब इंजॉय किया वैभव की बेटी बहुत ही सुंदर थी मुझे वह बड़ी ही प्यारी लगती थी।
हम सब पिकनिक पर गए तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हें तुम्हारे पति की कमी कभी महसूस नहीं होती। वह कहने लगी मुझे बहुत महसूस होती है और मेरा मन भी करता है कि कभी मैं सेक्स करूं लेकिन ऐसा हो ही नहीं पा रहा है। मैंने वैभवी को कहा कि मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगा तुम चिंता मत करो। जैसे यह बात मैंने कही तो वह झट से मेरी बाहों में आ गई और बहुत ही खुश हो गई और कहने लगी क्या तुम वाकई में मेरी इच्छा पूरी करोगे। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत मारूंगा अब उसकी बच्ची सो चुकी थी और काफी रात भी हो गई थी। मैंने पहले तो ऐसे ही आराम से उसके स्तनों पर हाथ फेरना शुरू किया। अब उसके स्तनों को मैं बहुत तेज दबा रहा था और थोड़े समय बाद उसकी योनि को भी दबाने लगा। जैसे ही मैंने उसकी योनि को दबाया तो वह मुझे कहती तुम बहुत ही अच्छे से मेरे स्तनों को और योनि को दबा रहे हो। मैंने उसके ब्लाउज के बटन को खोलते हुए उसकी ब्रा को भी खोल दिया। उसके स्तनों के मे चाटने लगा जैसे मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में लेता उसकी आवाज निकाल जाती। उसे डर था कि कहीं उसकी बेटी उठ ना जाए। मैंने उसकी साड़ी को उठाते हुए उसकी चूत को चाटना शुरू किया। जैसे ही मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो उसका पानी बड़ी तेजी से निकल रहा था और मैं उस पानी को पूरा चाट जाता था। कुछ देर में मैंने भी अपने लंड को वैभवी से चुसाना शुरू किया।
वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चुसती जाती और अपने पूरे मुंह के अंदर तक लेती। ऐसा उसने काफी देर तक किया और जब उसने अपने मुंह से मेरा लंड बाहर निकाला तो मेरा लंड एकदम लाल हो चुका था। मैने उसके होठों को स्मूच करना शुरू किया। जैसे ही मैं उसके होठों को स्मूच करता तो वह मदहोश हो जाती और मेरी बाहों में आ जाती। मैंने उसकी साड़ी को उठाते हुए दोनों पैरों को खोल दिया और अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया जैसे ही मैंने उसकी चूत मे लंड डाला तो उसकी चीख निकल पड़ी। लेकिन मैंने झट से उसके मुंह पर किस करना शुरू कर दिया। जिससे उसकी चिख ना निकल सके लेकिन वह भी बहुत तेज चिल्ला रही थी और मै उसके होठों को चुसता जाता।
मुझे इस बात का डर था कि उसकी बच्ची ना उठ जाए। मै ऐसे ही धक्के मारता जाता तो उसका पानी बड़ी तेजी से गिर रहा था और मैं बड़ी तेजी से धक्के मारे जा रहा था। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं उसके स्तनों को भी अपने मुंह में लेकर चुसता और उन्हें दबाता जाता। मैंने अपनी उंगली उसके मुंह में डाल दी और वह मेरी उंगली को भी अपने मुंह से अंदर तक ले लेती और फिर बाहर निकालने लगती। अब उसने अपने पैरों से मुझे बहुत तेज जकड़ लिया था। जिससे कि मैं उसे चोद भी नहीं पा रहा था लेकिन मैं झटके मारे जा रहा था। मैं ऐसे ही उसे झटके मारता रहा करीबन ऐसे करते हुए मुझे 10 मिनट से ऊपर हो चुके थे, लेकिन मेरा झड भी नहीं रहा था। उसके साथ ऐसा लग रहा था कि मानो मेरा मन ही नहीं भर रहा हो। मै वैसे ही बड़ी तेजी से अभी झटके मारे जा रहा था आप मेरा चरम सीमा पर था जैसे ही मेरा वीर्य पतन होने वाला था तो मैंने भी उसकी योनि में सारा वीर्य गिरा दिया।
जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह मुझसे चिपक गई और मेरे गले मिलने लगी। मुझे कहने लगी तुमने मेरी आज इच्छा पूरी कर दी है मैं बहुत दिनों से भूखी बैठी हुई थी कि कौन मेरी इच्छा पूरी करेगा। उसके बाद से मेरा उसके घर कुछ ज्यादा ही आना-जाना लगा रहा और वह भी मुझे अपने पति की तरह ही समझती थी।