पापा के दोस्त का लंड बड़ा ही मोटा था

antarvasna, desi kahani

मेरा नाम रचना है मैं दिल्ली की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 21 वर्ष है, मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रही हूं, मेरे पिताजी पुलिस में इंस्पेक्टर हैं और वह दिल्ली में ही हैं। मैं घर में इकलौती हूं इसलिए बचपन से ही मैं बहुत बिगड़ी हूं और मैं बहुत जिद्दी भी हूं, इसी वजह से मेरे पापा मम्मी कई बार मुझे डांट भी देते हैं वह कहते हैं कि अब तुम बड़ी हो चुकी हो लेकिन अब तो तुम्हें अपने अंदर की आदतों को बदलना होगा परंतु मैं फिर भी बदलने को तैयार नहीं हूं, मुझे उनके साथ जिद करना अच्छा लगता है। जब भी वह मुझे कहते हैं कि तुम्हें यह काम करना नहीं आता तो मैं उन्हें हमेशा ही कहती हूं कि तो आप लोग मुझे काम सिखाते ही नहीं है। वह दोनों लोग अपने काम में व्यस्त रहते हैं और मेरे लिए उन दोनों के पास वक्त ही नहीं है। मेरी मम्मी भी स्कूल में टीचर हैं, वह भी ज्यादातर अपने स्कूल में ही रहती हैं, उनके पास भी समय नहीं होता, जब वह घर पर होती हैं तो वह स्कूल का ही कुछ काम कर रही होती हैं।

मेरे पापा तो बहुत ही व्यस्त हैं, मैं अपने पापा से कई बार कहती हूं कि आप दोनों मेरे लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं निकाल पाते। मेरे पापा के साथ मेरी बहुत ज्यादा जमती है लेकिन वह दोनों इतना व्यस्त हैं कि मेरे लिए उन दोनों के पास वक्त नहीं है। मैंने अपने पापा से कहा कि आप लोग कहीं घूमने का प्लेन क्यों नहीं बनाते, हम लोगों को एक साथ कहीं गए हुए काफी साल हो चुके हैं और मूवी देखे तो पता नहीं कितना टाइम हो गया है, कभी तो आप लोग मेरे लिए टाइम निकालो। एक दिन मैंने उन दोनों को कुछ ज्यादा ही कह दिया उन्हें भी लगा कि वाकई में वह दोनों मेरे लिए समय नहीं निकाल पाते इसलिए उन्होंने आपस में बात की और निर्णय किया कि वह मेरे लिए समय निकालेंगे।

जब उन्होंने मेरे लिए थोड़ा समय निकाला तो उस दिन हम लोग मूवी देखने गए, मुझे आज भी याद है कि हम लोग काफी वर्ष पहले मूवी देखने गए थे, उस दिन मैंने अपने माता पिता के साथ काफी अच्छा समय बिताया, मैंने उस दिन अपने माता पिता को थैंक्यू भी कहा और कहा कि आप लोगों ने मेरे लिए इतना वक्त निकाला यह मेरे लिए किसी गिफ्ट से कम नहीं है, मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि आप दोनों मेरे लिए कभी समय निकाल पाएंगे। मेरी मम्मी कहने लगी हम लोग तो चाहते हैं कि तुम्हारे लिए समय निकालें लेकिन हमारा काम हमारे आड़े आ जाता है और यदि हम काम नहीं करेंगे तो तुम्हारा भविष्य कैसे उज्जवल होगा, हम चाहते हैं कि तुम भी अपने जीवन में कुछ अच्छा कर सको। मैंने अपनी मम्मी से कहा आप तो हमेशा ही मुझसे इस प्रकार की बातें करती हैं कि वह मेरे सर से ऊपर से निकल जाती हैं। मेरे पापा कहने लगे बेटा तुम्हारी मम्मी बिल्कुल सही कह रही है। हम लोग जब रास्ते में जा रहे थे तो रास्ते में एक कुल्फी वाला खड़ा था, मुझे कुल्फी खाना बहुत पसंद है और उस वक्त गर्मी भी काफी पड़ रही थी, मैंने अपने पापा से कार रोकने के लिए कहा, उन्होंने कार रोकी और हम लोग कुल्फी खाने के लिए चले गए। जिस वक्त हम लोग वहां पर कुल्फी खा रहे थे, उस वक्त मेरे पापा के कोई परिचित उन्हें मिले। मैं उन्हें उससे पहले कभी भी नहीं मिली थी। मेरे पापा ने उनसे मेरा परिचय करवाया,  वह एक डॉक्टर हैं, उनका नाम पंकज है, उन्होंने हमें रुकने के लिए कहा और कहने लगे आज आप हमारे साथ ही डिनर करेंगे, मेरे पापा कहने लगे आज तो वक्त नहीं है लेकिन कभी और मिलेंगे। वह मेरे पापा के पुराने मित्र हैं, वह मुझे बहुत ही इंटरेस्टिंग व्यक्ति लगे इसलिए मैंने उनका नंबर भी ले लिया, वह मुझे कहने लगे तुम्हें जब भी कोई जरूरत हो तो तुम मुझे फोन कर लेना। मेरे पापा कहने लगे पंकज बहुत ही अच्छा व्यक्ति है और मेरा अच्छा दोस्त भी है, तुम्हें जब भी पंकज की जरूरत हो तो तुम उसे फोन कर लेना, यह कहते हुए हम लोग वहां से घर आ गए। जब हम लोग घर पर आए तो मेरे पिताजी डॉक्टर पंकज की बड़ी तारीफ कर रहे थे, वह कह रहे थे कि पंकज स्कूल में पढ़ने में बहुत अच्छा था और हम सब लोगों के बीच में वह पढ़ने में सबसे तेज था इसलिए वह एक डॉक्टर बन पाया, हालांकि पंकज के घर की स्थिति ठीक नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी उसने बहुत ही मेहनत और संघर्ष से आज यह मुकाम हासिल किया है।

उसकी सब लोगों की नजरों में बहुत ही इज्जत है और मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब पंकज की बड़ी रिस्पेक्ट करते हैं। मैंने भी सोचा कि जब मेरे पापा डॉक्टर पंकज की इतनी तारीफ कर रहे हैं तो उनमे जरूर कुछ बात होगी इसीलिए मैं उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गई। मैं उनसे ही जानना चाहती थी कि उन्होंने किस प्रकार से अपने जीवन में संघर्ष किया और एक अच्छे मुकाम पर वह कैसे पहुंच पाए। मैंने जब अपने पिताजी से कहा कि उनका नेचर तो अच्छा है, वह कहने लगे वह बहुत ही अच्छे नेचर का है इसीलिए सब लोग पंकज से बहुत प्रभावित रहते हैं। मैं उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक थी। मैंने एक दिन पंकज अंकल को फोन किया उन्होंने मुझे पहचान लिया था, वह मुझे कहने लगे तुम कभी घर पर आओ मैंने उन्हें कहा हां मैं आपके घर पर किसी दिन आती हूं। एक दिन में उनके घर पर चली गई उस दिन वह घर पर थे उनके घर पर उस वक्त कोई भी नहीं था उनकी पत्नी और उनके बच्चे कहीं गए हुए थे। मैंने उन्हें कहा पापा आपकी बड़ी तारीफ करते हैं और कहते हैं आप बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। वह कहने लगे यह तो तुम्हारे पापा का मेरे प्रति नजरिया है, वह मुझे किस प्रकार से देखते हैं। मैं उनसे इतना ज्यादा प्रभावित हो गई मै उनके साथ सेक्स करने के लिए भी तैयार थी लेकिन मुझे नहीं पता था मेरी इच्छा उसी दिन पूरी हो जाएगी।

मैंने उनसे सेक्स को लेकर बात की वह कहने लगे मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने में कोई दिक्कत नहीं है। जब उन्होंने मेरे स्तनों पर हाथ रखा तो मैंने अपने हाथ को उनके लंड पर रखते हुए दबाना शुरू किया। मैंने उनके लंड को उनकी पैंट से बाहर निकाला, मैंने देखा उनका लंड 9 इंच मोटा है। जब मैंने उसे अपने मुंह के अंदर लिया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गए थे और मुझे चोदने के लिए तैयार बैठे थे। उन्होंने मुझे नंगा किया और मेरे गोरे बदन को वह जिस प्रकार से अपनी जीभ से चाट रहे थे मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था, मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाई। मैंने अंकल से कहा आज आप मेरी चूत मारकर मेरी सील तोड़ दीजिए। वह मुझे कहने लगे यदि मैं तुम्हारी सील तोड़ दूं तो क्या तुम मुझे आज के बाद सेक्स के हमेशा सुख दोगी, मैंने कहा मैं आज के बाद हमेशा ही आपसे अपनी चूत मरवाने के लिए आऊंगी। उन्होंने जब मेरी चूत को चाटा तो मेरी चूत ने इतना ज्यादा पानी छोड़ा कि मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाई और जब उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से सटाया तो मैं समझ गई, मेरी चूत की सील टूटने वाली है। उन्होंने जैसे ही धक्का देते हुए मेरी चूत के अंदर अपने मोटे लंड को डाला तो मैं चिल्ला उठी और मेरी योनि से खून की धार बाहर की तरफ को निकलने लगी। मैंने उन्हें कहा अंकल आप थोड़ा धीरे से कीजिए पहले तो वह बड़े धीरे धीरे कर रहे थे लेकिन जब उनके अंदर जोश बढ़ने लगा तो वह  अपनी स्पीड भी उतनी तेजी से बढ़ने लगे। उन्होंने मुझे इतनी तेजी से चोदना शुरू किया कि मेरी योनि से तो खून निकल ही रहा था। जब उन्होंने मेरे पैरों को अपने कंधे पर रखा तो मेरी योनि से और भी तेज खून बाहर की तरफ निकलने लगा। वह बड़ी तेजी से मुझे झटके देने लगे वह जस प्रकार से मुझे चोद रहे थे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई डंडा मेरी चूत के अंदर जा रहा हो, मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। उन्होंने मुझे धक्के देकर पूरे जोश में कर दिया मैंने भी उनका पूरा साथ देना शुरू किया और अपने दोनों पैरों को मैं चौडा करने लगी। मैंने जब अपने पैरो को चौडा किया तो उन्होंने भी अपने बड़े से लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर बड़ी तेजी से करना शुरू किया। जब मेरी चूत के अंदर अंकल का गरमा गरम वीर्य गिरा तो हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए, उसके बाद से मै हमेशा ही उनके पास अपनी चूत मरवाने जाती हूं।

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