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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम आदर्श है और मैं गाजीपुर में रहता हूँ | मेरी उम्र 26 साल है और मैं देखने में ठीक-ठाक लगता हूँ | आज जो कहानी मैं आपके लिए लेकर आया हूँ वो मेरी पहली कहानी है |ये कहानी मेरी खुद की आपबीती है जो मैं आप लोगो के लिए लेकर आया हूँ मुझे आशा है की आपको पसंद आएगी | अगर कोई गलती हो तो क्षमा कीजियेगा अब मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुए मैं सीधे कहानी पर ले चलता हूँ | जिसमे मैंने अपनी पड़ोसन आंटी की मस्त चुदाई की |
मैं आपको बता दूं की मैं गाजीपुर में पढाई करता हूँ और मेरा गाँव सैदपुर है जो की गाजीपुर से कुछ ही दूरी पर है | कुछ दिन पहले की बात है मैं छुट्टियों में अपने गाँव गया हुआ था | हमारे घर के पड़ोस में एक परिवार रहता है | उनके परिवार में सिर्फ दो ही लोग है एक तो पुष्पा आंटी और उनके पति | उनके पति की पड़ोस में ही मोबाइल की शॉप है | मेरा अक्सर उनकी शॉप पर आना जाना रहता है | कभी-कभी जब अंकल को कोई काम होता है तो वो आंटी को शॉप पर बिठा कर जाते है | मेरी और आंटी की बहुत अच्छी बनती है | आंटी थोड़ी मोटी हैं पर उनकी मस्त गांड को देखकर तो कोई भी उनपर फ़िदा हो जाये | उनके फिगर का साइज़ लगभग 36-34-38 होगा लेकिन वो दिखने में बहुत खूबसूरत है | एक तो वो मेरी पड़ोसन है जिसकी वजह से उनसे मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गयी थी | हम दोनों एक दुसरे से काफी खुलकर बातें करते है | जब वो शॉप पे बैठी होती थी तो मैं उनके पास पहुँच जाता और उनसे काफी मस्ती मजाक किया करता था | वो भी मुझसे मजाक किया करती थी | उनके मस्त मुसम्मी जैसे बूब्स देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा होने लगता था और फिर मैं अपने बाथरूम में आकर उनके बूब्स और उनकी मस्त गांड को याद करके उनके नाम की मुठ मार लिया करता था |
ये सिलसिला कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा पर मैं उनकी चुदाई करना चाहता था | पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी पर एक दिन की बात है उनके पति किसी काम से बाहर गए हुए थे शायद वो अपनी शॉप का सामन लेने गए हुए थे | जिसकी वजह से आंटी घर पर अकेली थी | पूरे दिन मैं आंटी के साथ उनकी शॉप पर बैठा रहा और उनकी मदद करता रहा | शाम को आंटी ने कहा की आदर्श आज तू मेरे घर पर ही सो जाना मैं घर पर अकेली हूँ | मैंने कहा आंटी आप मेरी मम्मी से कह दीजिये | उन्होंने जाकर मेरी मम्मी से कहा की आज आप आदर्श को रात में मेरे घर लेटने के लिए भेज दीजिये मेरे पति बाहर गए हुए है और मैं घर पर अकेली हूँ | मम्मी ने कहा ठीक है में भेज दूँगी | मैं बहुत खुश था मैंने सोंच रखा था की आज तो मैं आंटी की चुदाई करके ही रहूँगा | फिर मैंने जल्दी से खाना खाया और फिर मैं उनके घर पहुंचा | मैं आपको बता दूं की आंटी के घर में एक बेडरूम है और एक हाल है | जाड़े का मौसम था तो आंटी ने मुझसे कहा की आदर्श तुम मेरे साथ बेड पर ही लेट जाओ बाहर तुमको ठण्ड लगेगी | मैंने कहा ठीक है जैसा आप कहे मेरी आदत है की मैं हमेशा कपडे निकाल कर सोता हूँ | मैंने अपने कपडे निकाल दिया और अंडरवियर और बनयान में मैं लेट गया | आंटी अंडरवियर में मेरे लंड को देख रही थी जो की उनके बूब्स को देखकर खड़ा हो गया था | मैंने कहा की आंटी मैं हमेशा कपडे निकाल के ही सोता हूँ अगर आप को कोई समस्या हो तो मैं कपडे पहन लूं | उन्होंने कहा नहीं कोई बात नहीं है तुम्हारी जैसे मर्जी हो वैसे लेटो |
आंटी भी लेट गयी आंटी का पल्लू सरक गया और आंटी के बूब्स मुझे साफ़ दिखने लगे उनको देखकर मुझे कंट्रोल नहीं हो रहा था पर मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी की मैं कुछ करू | मेरे लंड का बुरा हाल था वो मेरी अंडरवियर फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था | मैं उसको अपनी टांगो के बीच में दबाये हुए लेटा था | मैंने बड़ी हिम्मत करके मैंने उनके पेट पर अपना हाँथ रख दिया उन्होंने कुछ नहीं कहा | मैं धीरे-धीरे उनकी नाभि पर हाँथ फेरने लगा और फिर मैंने उनके बूब्स पर अपना हाँथ रख दिया | उनके निपल्स को मैं ब्लाउस के ऊपर से ही सहलाने लगा | आंटी जग रही थी पर वो ऑंखें बंद किये हुए लेती थी और कुछ नहीं कह रही थी | अब मुझमे और भी हिमार आ गयी थी मैंने अपना हाँथ उनके पेटीकोट में डाल दिया | उनकी पैंटी पहले से ही गीली हो चुकी थी | आंटी ने मेरा हाँथ पकड़ लिया और मुझसे कहने लगी की तुम ये क्या कर रहे हो | मैंने कहा आंटी आप मुझे बहुत अच्छी लगती है मैं आपकी चुदाई करना चाहता हूँ | उन्होंने मुझसे कहा की मैं जानती हूँ की तू मेरी चूचियों को हमेशा घूरता था | मैं तभी समझ गयी थी की तेरे मन में क्या है | मैंने कहा तो आंटी इतनी देर से आप शांत क्यूँ थी | उन्होंने कहा मैं देखना चाहती थी की तुझ में कितनी हिम्मत है | फिर उन्होंने मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कहा की जरा इसको बाहर निकाल देखूं तो की कितना बड़ा है तेरा लंड | उन्होंने मेरी अंडरवियर निकाल दी और मेरे लंड को अपने हांथों में ले लिया |
मेरे लंड को देखकर उनकी आँखों में चमक सी आ गयी थी | वो मेरे लंड को सहलाने लगी और फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुहँ में ले लिया | वो मेरे लंड को मस्ती से चूस रही थी मैंने कहा चुसो आंटी और चूसो मुझे बहुत मजा आ रहा है | आंटी मेरे लंड को लोलीपॉप की तरह चुसे जा रही थी | मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ | उन्होंने मेरे लंड को इतना चूसा की मैं थोड़ी देर बाद उनके मुहँ में ही झड गया | उनका पूरा मुहँ मेरे माल से भर गया वो मेरा सारा माल पी गयी | उन्होंने कहा आदर्श तेरा लंड तो बहुत मस्त है मुझे बहुत मजा आएगा तुझसे चूत मरवाने में | मैंने कहा आज ये ये आपका है जो मर्जी में आये वो करो फिर मैंने उनकी साडी निकाल दी और उनकी चूचियों को बलुस के ऊपर से मसलने लगा | मैंने उनके ब्लाउस को निकाल दिया और उनकी ब्रा खोलकर उनकी मुसम्मी जैसे मस्त बूब्स को आजाद कर दिया | फिर उनकी घुंडियों को मैं मसलने लगा | आंटी मदहोश हो रही थी मैंने उनके बूब्स को अपने मुहँ में ले लिया और चूसने लगा | मैंने उनके बूब्स को चूस-चूस कर लाल कर दिया था | अब व्मैने उनके पेटीकोट का नाडा खोलकर उनका पेटीकोट निकाल दिया | उनकी पैंटी गीली थी इसलिए मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी | मैं उनकी गुलाबी चूत को देखकर बहुत खुश हुआ उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था | मैंने उनसे कहा की आंटी आज ही शेव किया है क्या | उन्होंने कहा हाँ मेरी जान तेरे लिए ही शेव किया था | फिर मैं उनकी चूत को सहलाने लगा और उनकी चूत में अपनी उँगली डालकर उनकी चूत को उँगली से चोदने लगा आंटी बहुत गरम हो चुकी थी | अब वो मुझसे कहने लगी आदर्श अब मुझे चोद दे डाल दे अपना लंड मेरी चूत में बुझा दे मेरी प्यास |
मैंने कहा आंटी अभी कहाँ थोडा सब्र करो फिर मैंने उनकी चूत पर अपना मुहँ रख दिया और उनकी चूत के दानो को जीभ से चाटने लगा | आंटी की हालत खराब हो रही थी उनकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया | मैंने उनकी चूत का पानी चाट कर साफ़ किया | उनकी चूत का पानी नमकीन सा लग रहा था फिर मैंने उनकी चूत पर अपना लंड रख दिया उअर रगड़ने लगा | आंटी को अब गुस्सा आने लगा था और वो मुझे गाली देने लगी | उन्होंने मुझसे कहा की बस कर भोसड़ी के मादरचोद अब डाल भी दे अपना लंड मेरी चूत में मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है | मैंने एक झटके में उनकी चूत में लंड डाल दिया उनकी चूत बहुत दिनों से चुदी नहीं थी जिसके कारण वो टाइट हो चुकी थी | मैं झटके लगाने लगा और उनकी चुदाई करने लगा वो भी अपनी कमर चला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी | मैंने 15 मिनट तक उनकी चूत मारी फिर वो झड गयी | पर मैं अभी नहीं झडा था मैंने अपना लंड उनकी चूत से निकाल कर उनकी गांड में घुसा दिया | उनकी गांड काफी टाइट थी पर मैंने जोर लगाया तो मेरा लंड उनकी गांड में घुस गया | वो चिल्ला पड़ी वो कहने लगी भोसड़ी के तूने मेरी गांड फाड़ दी साले मुझे बता भी नहीं | मैंने उनको किस किया और कहा डार्लिंग तेरी गांड मुझे बहुत अच्छी लगती है इसीलिए मैं इसकी चुदाई करना चाहता था | फिर मैं उनकी गांड को धीरे-धीरे चोदने लगा कुछ देर बाद वो शांत हो गयी और अपनी गांड चलाकर मेरा साथ देने लगी | 20 मिनट तक उनकी गांड मारने के बाद मैं झड गया | हम दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे फिर उन्होंने मुझे चुमते हुए कहा की आज तूने जो सुख मुझे दिया है आजतक वो मेरा पति भी नहीं दे पाया | वो बहुत खुस थी उस रात मैंने आंटी की चार बार चुदाई की |