चूत का जला बस बुर मांगता है

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मेरा नाम अमित है और मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है और मैं एक कंपनी में जॉब करता हूं। मैं सिर्फ वहां पर शौकिया तौर के लिए जॉब करता हूं। क्योंकि मेरा टाइम पास ही नहीं हो पाता। इसलिए मैं वहां पर जॉब कर रहा हूं। मेरे पिताजी बहुत बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं। वह मुझे कहते हैं कि तुम जॉब कर के क्या करोगे। मेरे साथ ही काम कर लिया करो। मैं उन्हें कहता हूं कि आप अपना काम जब तक संभाल रहे हैं तब तक आप संभाल लीजिये। मुझे जिस दिन लगेगा कि मुझे अब नौकरी छोड़ देनी चाहिए, मैं उस दिन नौकरी छोड़ दूंगा। वैसे भी आपके पास किसी भी प्रकार की कोई पैसे की परेशानी नहीं है। वह मुझे कई बार कहते हैं लेकिन हमेशा ही मैं मना कर दिया करता और मैं कहता की फिलहाल मैं अपना काम करना चाहता हूं। उसके बाद ही मैं कुछ इस बारे में सोच पाऊंगा। मेरे पिता मुझे बहुत ही अच्छा मानते है। क्योंकि मैं घर में इकलौता लड़का था। हमारे पास किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। मेरे पिता हमेशा ही मुझे कहते थे कि तुम्हें यदि कभी भी कोई परेशानी हो तो तुम मुझे बता दिया करो। उन्होंने मेरे लिए कुछ दिनों पहले ही एक नई कार खरीदी थी।

मैं उस कार को लेकर जब जा रहा था तो आगे से एक व्यक्ति मेरे आगे एक व्यक्ति आ गया और मेरी कार से उनका एक्सीडेंट हो गया। जब मेरी कार से उन्हें टक्कर लगी तो उन्हें बहुत तेज लगी। जिससे कि वह वहीं रोड पर गिर गए। जब वह रोड पर गिरे तो मैं तुरंत ही उठ कर उनके पास चला गया और मैंने जब उन्हें उठाया तो वहां पर बहुत ज्यादा भीड़ लग गई और वह लोग मुझ पर आग बबूला हो गए। दो-तीन लोगों ने तो मुझ पर अपने हाथ भी साफ कर दिए थे लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि मैं इन्हें हॉस्पिटल लेकर जाता हूं। नहीं तो उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी। उनसे बहुत ज्यादा खून निकल रहा था और मैं उन्हें हॉस्पिटल ले गया। जब मैं उन्हें हॉस्पिटल ले गया तो वह बहुत ही ज्यादा सीरियस थे। उनकी जेब में रखे उनके पास में से मैंने उनके घर का नंबर निकाल लिया और जब मैंने उनके घर में फोन किया तो उनके घर वाले हॉस्पिटल में आ चुके थे और जब वह हॉस्पिटल में आए तो मुझसे बात करने लगे। वह कहने लगे की एक्सीडेंट किस प्रकार से हुआ। मैंने उन्हें बताया कि मैं गाड़ी चला रहा था और शायद उनका ध्यान कहीं और था, इस वजह से उनका एक्सीडेंट हो गया और मैं तुरंत उन्हें हॉस्पिटल में ले आया।

यह बात सुनकर उनके घर वाले मुझ पर बहुत गुस्सा हो गए और उसके बाद उन्होंने मुझसे बात भी नहीं की लेकिन मैं हॉस्पिटल में ही था और हॉस्पिटल का सारा खर्चा मैंने ही उठाया। अब यह बात मेरे पापा को पता चल चुकी थी और वह भी हॉस्पिटल में आ गए। वह कहने लगे कि तुम उन्हें पैसे दे दो और घर पर चलो लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं तब तक घर नहीं आऊंगा जब तक उनकी तबीयत ठीक नहीं हो जाती। वह मुझे समझाने लगे कि तुम घर चलो लेकिन मैं उनकी बात बिल्कुल नहीं माना और मैं हॉस्पिटल में ही था। वह घर लौट गए। मैं हॉस्पिटल में ही उन व्यक्ति की देखभाल कर रहा था। उस समय बहुत ही ज्यादा टेंशन का माहौल था। इस वजह से मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं बस बिल पे कर रहा था और जितने भी खर्चे हॉस्पिटल वाले बता रहे थे, उन सब का खर्चा मैं दे देता। उनकी पत्नी तो मुझसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा थी और वह बिल्कुल भी मुझसे बात करने को तैयार नहीं थी। मैंने उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की, कि मैंने यह जानबूझकर नहीं किया। यह अचानक से हो गया और मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन वह मुझसे बात करने के लिए तैयार नहीं थी और ना ही मेरी बात सुनने को तैयार थी। मैंने भी यही उचित समझा कि मैं चुपचाप बैठा रहा हूं और देखता रहूं क्या हो रहा है। कुछ देर बाद उनकी बेटी आ गई। मैं एक कोने में ही बैठा हुआ था और मैंने कुछ भी नहीं खाया था। थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने बताया कि अब उनकी तबीयत ठीक है। आप लोग चिंता मत कीजिए। जब उन्होंने यह बात कही तो मेरी जान में जान आई और मैं सोचने लगा कि अब मुझे क्या करना चाहिए। मुझे पहले ऐसा लग रहा था की कहीं उन्हें कुछ हो गया तो यह लोग तो मुझे जान से ही मार देंगे। अब मैं कोने में ही बैठा हुआ था। उनके रिश्तेदारों की भीड़ हॉस्पिटल में लगने लगी। सब लोग मुझे ही बुरा भला कहने लगे लेकिन फिर भी मैं सबकी बात सुन रहा था और जब उन व्यक्ति को थोड़ा होश आने लगा तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों से कहा कि यह मेरी गलती है। उसमें उस लड़के की कुछ भी गलती नहीं है। मैं ही अपने फोन में बात करते हुए रोड क्रॉस कर रहा था और अचानक से वह मेरे सामने आ गया और यह एक्सीडेंट हो गया। उसके बाद मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा और अब वह लड़की मेरे पास आई और कहने लगी कि हम तुम्हें ही गलत समझ रहे थे। परंतु इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है।

उसने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे साथ कुछ अच्छा हो गया हो। मैंने भी अब उससे उसका नाम पूछा और उसका नाम आयशा था। हम दोनों के बीच में बातें होने लगी थी। वह मेरे लिए रात को खाना भी लेकर आई। मैंने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था। मुझे बहुत तेज भूख लग रही थी। शाम को जब मैंने खाया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और ऐसा लगा जैसे कितने सालों बाद मैं खाना खा रहा हूं। अगले दिन उनकी तबीयत ठीक थी तो मुझे बहुत आराम मिला। अब मैं उन व्यक्ति से मिला तो वह कहने लगे कि इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है। यह सब मेरी गलती की वजह से हुआ है। वह मुझे कहने लगे कि तुमने बहुत ही अच्छा काम किया कि मुझे हॉस्पिटल में ले आए। नहीं तो कोई और होता तो वह भाग चुका होता। वह थोड़ा ठीक होने लगे थे। उसके बाद मैं अपने घर चला गया और उन्हें मिलने के लिए हॉस्पिटल में आता जाता रहता था। मेरी मुलाकात अब आयशा से भी हो जाया करती थी और वह मुझसे बात कर लिया करती थी। मैं उससे उसके पिताजी का हाल-चाल पूछ लेता और उनसे खुद भी मिल लिया करता है। मैंने उस दिन उसका फोन नंबर ले लिया और कहा कि यदि कुछ भी पैसे की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना। क्योंकि हॉस्पिटल का सारा खर्चा मैंने ही उठाया था और मैं नहीं चाहता था कि वह लोग हॉस्पिटल का बिल दे। अब उसके पिताजी की तबीयत ठीक होने लगी थी और वह उन्हें घर ले आए। आयशा मुझे कहने लगी कि तुम एक बहुत ही अच्छे व्यक्ति हो। उसके बाद हम दोनों की बातें फोन पर ही हो जाया करती थी। अब हम दोनों की बातें भी होने लगी थी और हम कभी आपस में मिल भी लिया करते थे।

एक दिन वह मुझे कहने लगी कि मुझे तुम कहीं जॉब दिलवा दो। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें अपने ऑफिस में ही जॉब लगवा देता हूं। वह कहने लगी यह तो बहुत अच्छी बात है और मैंने उसे अपने ऑफिस में ही जॉब लगा दिया था। अब हम दोनों के बीच नजदीकियां और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी। एक दिन मैंने ऑफिस में आयशा का हाथ पकड़ लिया और उसे किस कर लिया। अब वह भी मुझे किस करने लगी हम दोनों से नहीं रहा गय। हम दोनों ऑफिस के बाथरूम में चले गए मैंने उसकी सलवार को उतारते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाना शुरू कर दिया। उसकी योनि के अंदर मैंने अपने लंड को डाल दिया जब मैंने उसकी योनि में अपना लंड डाला तो उसकी चूत से खून की पिचकारी निकल गई मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था। उसका शरीर पूरा गरम होने लगा मुझे ऐसा लगता जैसे मैं उसे धक्के मारता ही रहूं। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था और मैंने उसके स्तनों को भी दबाना शुरू किया। उसकी चूतडे कुछ ज्यादा ही लाल हो चुकी थी और वह भी मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाने लगी। अब उससे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था और मेरा माल भी गिरने वाला था। मेरा वीर्य जैसे ही उसकी योनि में गया तो वह बहुत ही खुश हो गई। अब उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और उसे बहुत देर तक लगी। वह इतने अच्छे से चूस रही थी कि मेरा वीर्य कुछ देर बाद उसकी मुंह के अंदर भी चला गया।

 

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