Antarvasna, kamukta: मैंने अविनाश से कहा अविनाश क्या तुम मेरे साथ मुंबई चलोगे तो अविनाश मुझे कहने लगा लेकिन भैया मैं आपके साथ मुंबई जाकर क्या करूंगा। मैंने अविनाश से कहा तुम मेरे साथ चलो तो सही तुम्हें मुंबई में अच्छा लगेगा मैं अपने काम से मुंबई जा रहा था। मुझे कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना था तो मैंने सोचा अविनाश को भी अपने साथ लेकर जाता हूं वैसे भी अविनाश के कॉलेज की छुट्टियां पड़ी हुई थी और अभिनाश घर पर ही था इसीलिए मैंने अविनाश को कहा कि तुम मेरे साथ चलो तो अविनाश मेरे साथ आने के लिए तैयार हो गया। मैंने अपनी और अविनाश की फ्लाइट की टिकट बुक करवा ली थी मैं अपने बिजनेस के सिलसिले में अक्सर अपने शहर से बाहर जाता रहता था। मैं जब मुंबई पहुंचा तो अविनाश कहने लगा भैया मैं पहली बार ही मुंबई जा रहा हूं कितनी बार मैंने मुंबई आने के बारे में सोचा लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से मैं मुंबई नहीं आ पाया।
मैंने अविनाश से कहा चलो इस बार तो तुम मेरे साथ मुंबई आ गए अविनाश कहने लगा हां भैया मैं आपके साथ मुंबई आ ही गया। मैंने जब अविनाश को कहा कि मैं अपने काम से जा रहा हूं तुम होटल में मेरा इंतजार करना मैं जब लौटूंगा तो उसके बाद हम लोग घूमने के लिए जाएंगे। अविनाश मुझे कहने लगा ठीक है भैया मैं आपका इंतजार करता हूं और मैं अपने काम से चला गया मुझे आने में शाम हो चुकी थी और जब मैं शाम के वक्त होटल में लौटा तो अविनाश मेरा इंतजार कर रहा था। अविनाश कहने लगा भैया मुझे आपका काफी देर तक इंतजार करना पड़ा मैंने अविनाश से कहा हां वहां मुझे जिनसे मिलना था उनके साथ मुझे काफी समय हो गया और मुंबई का ट्रैफिक तो पूछो मत यहां हालत खराब हो गई मुझे वहां से निकले हुए करीब दो घंटे हो चुके थे दो घंटे तो मेरा ट्रैफिक में ही बर्बाद हो गया। अविनाश कहने लगा भैया आप कुछ देर आराम कर लीजिए मैंने अविनाश से कहा नहीं हम लोग चलते हैं तो अविनाश कहने लगा भैया लेकिन आप थक गए होंगे। मैंने अविनाश से कहा ठीक है मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं, मैं कुछ देर बिस्तर पर लेट गया तो मेरी आंख लग गई आधे घंटे बाद मैं उठा तो मैं बाथरूम में गया और तैयार होकर मैं और अविनाश अपने होटल से बाहर निकले।
हम लोग जिस होटल में रुके हुए थे वह मुंबई का काफी बड़ा होटल था हम लोग वहां से नीचे उतरे तो नीचे उतरते ही दुकानों की कतार दिखाई देने लगी। हम लोग जब एक दुकान में गए टी मैंने अविनाश से कहा कि मुझे अपने मोबाइल के लिए बैक कवर लेना था तो अविनाश कहने लगा हां भैया मुझे भी अपने मोबाइल के लिए बैक कवर लेना था। हम दोनों ने ही अपने मोबाइलों के लिए बैक कवर ले लिया मुंबई में हर वह चीज मिल जाती है जो आपको चाहिए होती है और हम लोग थोड़ा सा आगे निकले ही थे कि खाने की खुशबू आने लगी। मैंने अविनाश से कहा अविनाश भूक भी बहुत लग रही है और पास के ही होटल से खाने की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है क्यों ना हम लोग वहां जाकर खाना खा ले अविनाश कहने लगा हां भैया मुझे भी बहुत तेज भूख लग रही है। हम दोनों ही होटल में खाना खाने के लिए चले गए हम लोग जब खाना खाने के लिए गए तो अविनाश मुझे कहने लगा भैया बताइए क्या मंगाया जाए मैंने अविनाश से कहा कि तुम देखो क्या मंगवाना है। अविनाश ने होटल का मैनू देखा और उसने ऑर्डर करवा दिया हम लोग खाने का इंतजार कर रहे थे और आपस में एक दूसरे से बात कर रहे थे तभी एक अनजान सख्स आकर हमारे पास बैठे और वह मुझे देखकर कहने लगे कि शायद मेरी मुलाकात आपसे पहले भी हुई है। मैंने उन्हें कहा लेकिन साहब मेरी मुलाकात आपसे पहली बार हो रही है मैंने आपको इससे पहले कभी भी नहीं देखा है। वह शख्स मुझे कहने लगे कि लेकिन मुझे ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि मैं आपसे पहले कहीं मिला हूं मैंने उनसे कहा हो सकता है आपने मेरी जैसी मिलती जुलती शक्ल के किसी व्यक्ति को देख लिया हो। वह व्यक्ति थे बड़े मजेदार और कुछ ही पल में उन्होंने मुझे जैसा अपना मुरीद बना दिया और मैं उन्हें कहने लगा सर आप हमे ज्वाइन कीजिए।
वह दिख तो किसी अच्छे घराने के थे और मुझे उनका नाम भी मालूम चल चुका था कुछ ही समय में हम लोगों की अच्छी दोस्ती हो गई। उन्होंने हमारे साथ ही उस दिन खाना खाया वह अकेले ही थे उनकी उम्र यही कोई 55 साल की रही होगी। मैं और अविनाश उस रेस्टोरेंट से बाहर निकल रहे थे तो गोविंद जी ने मुझे कहा कि अरे प्रताप आप हमारे घर पर भी आइएगा मैं आपको अपने घर का एड्रेस दे देता हूं। मैंने उन्हें कहा सर मेरे पास आपका नंबर है मैं जब भी फ्री हुंगा तो जरूर आपके घर आपसे मिलने के लिए आऊंगा वह कहने लगे कि हां तुम जब भी फ्री हो जाओ तो तुम जरूर घर पर आना। वह भी अब जा चुके थे और हम लोग भी अपने होटल में आ गए अविनाश गोविंद जी की बड़ी तारीफ कर रहा था और अविनाश ने मुझे कहा कि रेस्टोरेंट में खाना बड़ा ही स्वादिष्ट था और गोविंद जी से भी मिलकर बहुत अच्छा लगा। हम लोग अपने होटल के रूम में आ चुके थे और अब मुझे तो बड़ी गहरी नींद आ रही थी मैं अपने कपड़े चेंज कर के सो गया अभी हम लोगों को कुछ और दिन मुंबई में ही रुकना था। अगले दिन मैंने अविनाश से कहा कि मैं आज जल्दी लौट आऊंगा तो हम लोग घूमने के लिए चलेंगे अविनाश कहने लगा ठीक है भैया आप जब लौट आएंगे तो मुझे फोन कर दीजिएगा मैं तैयार हो जाऊंगा।
मैं जब वापस लौटा तो मैंने अविनाश को फोन कर दिया और अविनाश ने मुझे कहा कि भैया मैं तैयार हो जाता हूं मैंने अविनाश को कहा ठीक है तुम तैयार हो जाओ मैं बस थोड़ी देर बाद ही पहुंचता हूं। मैं कुछ देर बाद होटल में पहुंचा तो अविनाश तैयार हो चुका था हम लोग जैसे ही होटल से बाहर निकले तो गोविंद जी का फोन आ गया वह कहने लगे कि प्रताप आप हमारे घर पर आ जाइए। मैं और अविनाश गोविंद जी के घर पर चले गए हम लोग जब उनके घर पर गए तो उन्होंने मुझे अपनी पत्नी से मिलवाया। उनकी पत्नी से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा उनकी पत्नी का मिजाज बहुत अच्छा था वह हमारे साथ कुछ देर तक बैठी रही। मैंने गोविंद जी से कहा आपके घर में और कौन कौन है? वह मुझे कहने लगे मेरा बड़ा बेटा अभी आता ही होगा और मेरी बेटी भी आती होगी। गोविंद जी की बेटी आई तो मेरी नजरे उससे एक पल के लिए भी नहीं हट रही थी उसकी उभरी हुई गांड और उसके उभरे हुए स्तन देखकर मैं उसे देखता ही रहा। उसने जो लाल रंग की सलवार और सूट पहना हुआ था उसमें वह गजब ढा रही थी मेरा तो मन कर रहा था कि अभी उसे अपनी बाहों में लेकर पूरी तरीके से मसल कर रख दूं और अपने काबू में कर लू। ऐसा संभव कहा था जब मैंने गोविंद जी से कहा कि आपकी लड़की क्या करती है तो वह कहने लगी मेरी लड़की का नाम संजना है और वह फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है। संजना भी कुछ देर हमारे साथ बैठी रही मेरी नजरें संजना को ही निहार रही थी लेकिन वह भी मेरी तरफ देखे जा रही थी। मैंने जब संजना से उसका नंबर लिया तो मुझे नहीं मालूम था कि सब कुछ इतनी जल्दी हो जाएगा। गोविंद जी ने मुझे अपने लड़के से भी मिलवाया और उस रात हम लोगों ने उन्हीं के घर पर डिनर किया। मै और अविनाश अपने होटल में जा चुके थे रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी मैंने ऐसे ही संजना पर मौका मारने की सोची और मेरा तीर बिल्कुल सही निशाने पर लग गया।
संजना भी मेरे लिए तड़पने लगी और रात को मैंने उसे अपनी बातों में जो फसाया वह अगले दिन ही मुझसे मिलने के लिए आ गई। अविनाश को मुझे किसी भी प्रकार से होटल से बाहर भेजना था और वह चला गया। जब संजना आई तो संजना मेरे पास ही बैठी हुई थी मैंने हिम्मत करते हुए संजना के हाथों को पकड़ लिया। हम दोनों से ही नहीं रहा गया मैंने संजना को बिस्तर पर लेटा दिया और उसके होठों को मैं चूसने लगा। संजना के नरम और मुलायम होठ मेरे होठों से टकराती ही मेरे होने लगे थे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। संजना भी बहुत ज्यादा खुश थी जैसे ही संजना ने मुझे कहा कि मुझे आपके लंड को मुंह में लेना है तो मैंने संजना से कहा तुम मेरे लंड को मुंह में ले लो। संजना ने भी मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर हिलाया और उसे चूसने लगी जिस प्रकार से संजना मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मैंने संजना के बालों को पकड़ लिया और संजना ने मेरे मोटे लंड को गले के अंदर तक समा लिया था। वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी मैंने जब संजना के बदन से कपड़े उतारे तो उसके गोरे बदन को देखकर मेरे लंड से पानी टपकने लगा।
मेरे लंड से अब इस कदर पानी टपकने लगा था कि मैंने उसे कहा क्यों ना तुम मेरे लंड को दोबारा से चूसो। उसने दोबारा से मेरे लंड को चूसा और मेरा वीर्य संजना के मुंह में ही गिर गया। उसने अपनी लाल ब्रा को उतारा और मैंने संजना के बड़े और सुडोल स्तनों का रसपान काफी देर तक किया। जब उसकी बड़ी चूतडो को मैंने दबाना शुरू किया तो मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को धीरे धीरे डालना शुरू किया। मेरा लंड संजना की योनि में प्रवेश हो चुका था मेरा लंड संजना की योनि में प्रवेश हुआ तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है। उसकी मादक आवाज को मैंने दरकिनार करते हुए उसे तेजी से धक्के देने शुरू किए और उसकी चूतड़ों पर मैं अपने लंड की छाप छोड़ता चला गया। मुझे उसे चोदने में इतना आनंद आ रहा था कि मैंने उसके पूरे शरीर को हिला कर रख दिया था और अपने वीर्य से मैंने उसकी चूतड़ों का रंग ही बदल कर रख दिया था।