मेरी अच्छाई के आगे अपनी चूत पेश कर दी

antarvasna, hindi sex story दोस्तों, मैं मेरठ का रहने वाला 28 वर्षीय युवक हूं। मैं बहुत ही शांत स्वभाव का हूं। जब भी किसी को मेरी जरूरत होती है तो मैं हमेशा ही उसकी मदद करता हूं इसीलिए मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब मेरा बहुत फायदा उठाते हैं परंतु उसके बाद भी मैं सोचता हूं कि यदि मेरी वजह से किसी को मदद मिल रही है तो यह मेरे लिए अच्छा है इसलिए मैं ज्यादा इस बारे में नहीं सोचता। मैंने अपनी पढ़ाई के बाद अपने इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोल ली वह दुकान भी अच्छी चलती है। मैं उसमें काफी सारा सामान रखता हूं और उस दुकान को खोलने में मेरे पिताजी ने मेरी बहुत मदद की है क्योंकि हमारी शॉप मार्केट के बीच थी और वह काफी समय से बंद पड़ी थी। मैंने जब अपने पिताजी से कुछ काम करने की इच्छा जाहिर की तो वह कहने लगे कि तुम्हें जो भी मदद चाहिए तुम मुझसे ले सकते हो। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम यहां इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स रख दो।

मैंने वहां पर सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम रख दिए। मेरी दुकान भी ठीक चलने लगी। मेरी दुकान में तीन चार लोग काम करते हैं और मैंने अपनी दुकान को बहुत बढ़िया तरीके से बनाया हुआ है। मेरे जितने भी कस्टमर हैं मैं उन्हें कभी भी खाली हाथ नहीं भेजता।  मुझसे जितना हो पाता है मैं उनके लिए उतना रेट कम कर देता हूं। मेरा काम अच्छा चलने लगा। मैं एक दिन घर पर ही था उस दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। जब मेरी तबियत थोड़ा ठीक हुई तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं दिल्ली चला जाऊं। वहां से कुछ नया सामान ले आता हूं। मैं दिल्ली चला गया और जब मैं दिल्ली पहुंचा तो वहां पर मैंने देखा की वहां पर कई नए प्रोडक्ट आए हुए हैं। मेरा सारा सामान दिल्ली से ही आता था इसलिए मेरे दिल्ली का अक्सर चक्कर लग जाता था। मैंने जब वह सामान बुक कर लिया उसके बाद मैंने वह सामान ट्रांसपोर्ट में डलवा दिया और मैं बस से मेरठ लौट रहा था। मैं जब बस में बैठा था तो मेरे बगल में एक लड़की आकर बैठ गई। वह चेहरे से तो काफी कम उम्र की लग रही थी लेकिन वह काफी परेशान भी थी। मैंने उससे पूछा कि तुम क्या करती हो। उसने मुझे कहा मैं कॉलेज में पढ़ती हूं। मैंने उससे पूछा कि तुम दिल्ली में पढ़ाई करती हो।  वह कहने लगी हां मैं दिल्ली में पढ़ती हूं।

उसके पास एक बड़ा बैग था और वह मेरठ की रहने वाली थी। मैंने उससे उसका नाम पूछा उसका नाम रुचि है। वह काफी परेशान लग रही थी। मैंने उससे पूछा कि आप दिल्ली में ही रहती हैं। वह कहने लगी हां मैं दिल्ली में रहती हूं। उसके बाद हम दोनों की कुछ देर तक बात नहीं हुई लेकिन वह फोन पर किसी से बात कर रही थी और बहुत ही परेशान लग रही थी। मैंने उससे कुछ देर बाद पूछ लिया कि तुम मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान लग रही हो। क्या कुछ परेशानी है। वह मुझे कहने लगी कि नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है। मैंने उसे कहा यदि तुम्हें कुछ परेशानी है तो तुम मुझसे कह सकती हो लेकिन रुचि ने मुझे कुछ भी नहीं बताया और मैंने भी उसके बाद उससे कुछ नहीं पूछा। बार-बार उसके फोन पर फोन आ रहे थे और वह जब भी उस फोन पर बात करती तो वह बहुत गुस्से में हो जाती। मैंने आखिर उससे पूछ ही लिया कि यह किसका फोन है। तो उसने मुझे बताया कि मेरे बॉयफ्रेंड का फोन आ रहा है और वह मुझे बहुत परेशान कर रहा है। मैं अब उसके साथ रिलेशन में नहीं रहना चाहती। जब उसने मुझसे यह बात कही तो मैंने उससे पूछा कि क्या तुम दोनों का झगड़ा हो गया है। वह कहने लगी हां हम दोनों का झगड़ा हो गया है और मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती लेकिन वह मेरे पीछे ही पड़ा हुआ है। वह मुझसे बहुत ही जिद करता है। मैंने रुचि से कहा कि तुम उसके बारे में सोचना छोड़ दो। कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा। वह मुझे कहने लगी की वह मुझे छोड़ना नहीं चाहता और मेरे पीछे ही पड़ा हुआ है। उसने मुझे बताया कि उसका रिलेशन पिछले दो सालों से उसके साथ है। पर वह उसकी एक भी बात नहीं सुनता। रुचि ने मुझे यह भी बताया कि उसने घर से कॉलेज की फीस ली थी और वह उसने उस लड़के को दे दी और उसके बाद वह लड़का पैसे भी नहीं लौटा रहा। जब यह बात उसने मुझसे कहीं तो मैंने उसे कहा कि क्या तुम्हें पैसे की आवश्यकता है। उसे वाकई में पैसे की आवश्यकता थी क्योंकि उसके पास कुछ भी नहीं था। उसके पास सिर्फ घर जाने के लिए किराए ही बचा था।

मैंने उसे हजार रुपये दे दिए। पता नहीं मेरे अंदर भी कहां से उसको देख कर दया आ गई जो कि मैंने उसे पैसे दे दिए। मैंने जब उसे पैसे दिए तो वह बहुत खुश हो गई। उसने मुझे कहा कि सर आपने मेरी इतनी बड़ी मदद कि मैं आपको कैसे शुक्रिया कहूं। मैंने उसे कहा कि बस तुम अब उस लड़के के साथ जितना दूर रहो उतना ही ठीक रहेगा। जब हम दोनों मेरठ पहुंच गए तो मैं भी उसके बाद अपने घर चला गया। मैं अपने काम पर लग गया। मैं अपने काम पर ही लगा हुआ था और मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था। एक दिन मेरी दुकान में रुचि आ गई। मै उसे देखते ही खुश हो गया। वह मुझे कहने लगी क्या आपकी यही दुकान है। मैंने उसे कहा मेरी यही दुकान है वह मुझे कहने लगी मैं आपको काफी समय से ढूंढ रही हूं लेकिन मुझे आपका एड्रेस नहीं पता था। उसने मुझे पैसे लौटा दिया और कहने लगी मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरे अकाउंट में पैसे भिजवा दिए थे मैं आपको पैसा लौटाने की सोच रही थी लेकिन मेरे पास आपका एड्रेस नहीं था मैं काफी समय से आपको ढूंढ रही थी।

वह मेरे साथ बैठी हुई थी मैंने उसे चाय के लिए पूछा जब मैंने उसे चाय पिलाई तो वह मुझे कहने लगी आप एक बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। वह मुझसे बहुत ज्यादा प्रभावित हो गई। वह मेरे साथ समय बिताने लगी। वह हमेशा ही मेरी दुकान में आ जाती और मुझे अपनी तरफ इंप्रेस करने की कोशिश करती। मैं भी अपने आप को कितने दिन तक रोकता आखिरकार मैं भी एक इंसान हूं। मेरा भी मन उसे देखकर पिघलने लगा। मैं एक दिन उसे अपने साथ अपने घर पर ले गया। जब मैं उसे अपने घर ले गया तो रुचि को भी मेरे साथ आने में कोई आपत्ति नहीं हुई। जब वह मेरे घर आई तो मुझसे बड़े ही खुलकर बात कर रही थी। मैंने उसे कसकर पकड़ा। जब मैंने उसके होठों को चूमना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे आप बहुत अच्छे लगते हैं। मुझे आपसे अपनी चूत मरवाने थी। जब उसने यह बात कही तो मैंने भी उसके कपड़े फाड़ कर फेंक दिए। जब मैंने उसके कपड़े फाड़ कर फेंक दिए तो मैं उसकी चूत देखकर अपने आपको नहीं रोक पाई। मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल दी वह मचलाने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है अब आप मेरे अंदर की आग को बुझा दो। मैंने भी उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी आपका लंड तो बहुत मोटा है। मैं आपके लंड को नहीं झेल पा रही हूं। मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया और बड़ी तेजी से मैंने उसे झटके देना शुरू कर दिया। मैंने उसे इतनी तेजी से धक्के दिए कि उसकी चूतड़ों से आवाज निकलने लगी और वह मुझे कहने लगी आप मुझे ऐसे ही धक्के देते रहे मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने उसे बड़ी तेज गति से झटके देना शुरू कर दिया। और उसने अपने पैरों को चौड़ा करना शुरू कर दिया। मैं उसकी टाइट योनि को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाया। जब मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर गिर गया तो हम दोनों ही खुश हो गए। उसके बाद मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसो उसने मेरे लंड को इतने अच्छे से चूसा कि मेरे अंदर से और भी ज्यादा गर्मी निकलने लगी। मैंने उससे लंड को बहुत देर चुसवाया। उसने मेरे लंड को चुसकर बुरा हाल कर दिया। मैंने दोबारा से उसकी चूत में लंड को डाल दिया जब मेरा लंड उसकी योनि में गया तो मैंने उसके साथ 5 मिनट तक संभोग किया। उसने मेरी इच्छा बहुत अच्छे से पूरी की उसके बाद से अक्सर वह मेरे पास आ जाती और वह मेरी अच्छाइयों से बहुत प्रभावित थी।

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