इतना सुंदर बदन होने की उम्मीद ना थी

antarvasna, kamukta दिव्या और मैं स्कूल में साथ ही पढ़ते थे लेकिन उसके और मेरे बीच कभी भी बात नहीं हुई और ना ही मैं कभी उसे पसंद करता था समय बीतता गया और मैं कॉलेज में चला गया, दिव्या ने भी उसी कॉलेज में दाखिला ले लिया उसके और मेरे बीच बात ना करने का सिर्फ एक ही कारण था मैं जिस लड़की को स्कूल में पसंद करता था वह दिव्या की बहुत अच्छी दोस्त थी और शायद दिव्या के कहने पर ही उसने मुझसे बात नहीं की उसके बाद मैंने भी दिव्या से कभी अच्छे से बात नहीं की, कॉलेज में भी हम दोनों जब एक दूसरे को देखते तो मैं उससे कभी बात नहीं करता। कॉलेज में एक बार हमारा टूर भी केरला गया था उस दौरान मेरे और दिव्या के बीच बहुत झगड़े हुए, मैंने उस दिन दिव्या से कहा कि तुम तो हर जगह सिर्फ झगड़ा करने के लिए आ जाती हो तुम्हारी वजह से ही पूरा माहौल खराब होता है, उसने मुझे कहा देखो राघव तुम्हें मुझसे बात नहीं करनी तो मत करो।

मुझे उससे बात करने का कोई ज्यादा शौक नहीं था और मुझे नहीं पता था कि जब हमारा कॉलेज पूरा हो जाएगा तो उसके बाद भी मैं कभी उससे मिलूंगा लेकिन यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक था कि मैं अपने जीवन में पूरी तरीके से सेटल हो चुका था और मैंने विदेश में भी अपना कारोबार जमा लिया था, मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था बस मैं शादी करने के बारे में सोचने लगा, मेरे लिए जिन भी लड़कियों के रिश्ते आये उनमें से मुझे कोई भी पसंद नहीं आ रही थी मैं भी इस बात को भूल कर अपने काम में व्यस्त हो गया और उस दौरान मेरी एक लड़की से मुलाकात हो गई जिससे कि मेरी अच्छी दोस्ती हो गई और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे, मुझे उसके साथ में समय बिताना अच्छा लगने लगा था और मैं जब तक यह बात घर पर बताता तो एक दिन मेरी मम्मी मुझे कहने लगी बेटा मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है और यदि तुम उससे मिलोगे तो वह तुम्हें जरूर पसंद आएगी। मैंने आज तक कभी भी अपनी मम्मी को किसी बात के लिए मना नहीं किया था तो मैंने उस लड़की से मिलने की हामी भर दी लेकिन यह बड़ा अजीब इत्तेफाक था कि मैं जिस लड़की से मिला तो वह दिव्या ही थी, दिव्या तो मुझे पहले से ही पसंद नहीं थी और ना हीं मैं कभी उसे पसंद करता था लेकिन मैं अपनी मम्मी के सामने यह बात नहीं कह सकता था मुझे मजबूरी में अपने पापा मम्मी के सामने उसके साथ बात करनी पड़ी, वह मुझे कहने लगी कि यदि मुझे यह पता होता कि तुम वह लड़के हो तो मैं कभी तुमसे मिलने नहीं आती।

मैं भी उससे मिलकर ज्यादा खुश नहीं था और उस वक्त हम दोनों को एक दूसरे से बात करनी ही पड़ी, जब मैं घर लौटा तो मैंने अपनी मम्मी पापा से पूछा कि आप लोगों को क्या वही लड़की मिली थी तो मेरी मम्मी कहने लगी कि लगता है तुम्हें वह पसंद आ गई, जब तक मैं कुछ कहता तब तक मेरे पापा ने कह दिया कि दिव्या तो तुम्हारी मम्मी की बचपन की सहेली की बेटी है। मैं सोचने लगा कि यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक है मुझे तो आज तक इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी लेकिन जो भी हुआ वह ठीक नहीं था परंतु मैं अपनी मम्मी को भी कुछ नहीं कह सकता था इसलिए मैंने उनसे इस बारे में कुछ बात नहीं की, दिव्या ने मुझे फोन किया और कहा कि तुम अपने घर पर रिश्ते के लिए मना कर देना, मैंने उससे कहा कि मुझसे तो यह सब नहीं हो पाएगा लेकिन तुम ही अपने घर पर कोई बहाना बना दो। हम दोनों ही अपने मम्मी पापा को मना नहीं कर सकते थे क्योंकि वह लोग एक दूसरे को पहले से ही जानते हैं, मुझे उससे जबरदस्ती मिलना ही पढ़ रहा था हम दोनों के घरवालों ने हम दोनों की सगाई भी तय कर दी  और मैं मना भी नहीं कर पाया। हम दोनों को मजबूरी में एक दूसरे के साथ समय बिताना पड़ रहा था, मैं दिव्या को फोन भी नहीं करता था लेकिन अब हम दोनों को एक दूसरे को समझना ही था इसलिए मैं उससे फोन पर बात करने की कोशिश करने लगा लेकिन वह तो जैसे मुझसे झगड़ा करने के लिए ही बैठी रहती थी।

मैंने सोचा कि दिव्य से मैं कैसे बात करूं जिससे वह मुझसे अच्छे से बात करने लगे। मैंने उसे बड़े ही रोमांटिक अंदाज से बात करना शुरू कर दिया मेरे इस बदलाव से शायद वह भी प्रभावित हो गई वह मुझसे इतना ज्यादा प्रभावित हो गई कि वह भी मुझसे बड़े अच्छे से बात करने लगी। उसे भी समझ आ गया कि अब हमारे पास इसके अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं है इसलिए वह भी मेरे फोन का इंतजार बेसब्री से किया करती धीरे-धीरे हम दोनों की बात भी बढ़ती जा रही थी और हम दोनों के बीच प्यार भी पनपता जा रहा था जिससे कि हम दोनों के बीच खुलकर बातें होने लगी थी। हम दोनों की सेक्स को लेकर भी कई बार बातें हो जाती थी लेकिन दिव्या नहीं चाहती थी कि मैं शादी से पहले उसके साथ सेक्स करूं परंतु मैं जब भी उसे देखता तो उसे देखकर मुझे उससे सेक्स करने का मन होता। मैंने कभी भी उसे इस नजर से नहीं देखा था लेकिन जब उसकी और मेरी बात ज्यादा होने लगी तो मेरे दिमाग में सिर्फ उसके साथ सेक्स करने की ही बात आती रहती मैंने एक दिन बहाना बनाकर दिव्या को घर पर बुला लिया। दिव्या जब घर पर आई तो वह मुझसे कहने लगी तुमने मुझे घर पर क्यों बुलाया ।मैंने उसे कहा मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मुझे बहुत अकेला लग रहा था इसलिए मैंने तुम्हें घर पर बुला लिया। उस वक्त मेरे मम्मी पापा मार्केट गए हुए थे मैं घर पर अकेला था तो दिव्या को मैंने अपने पास बैठा लिया और वह मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठ गई वह मेरे सर पर अपने हाथ को लगा कर कहने लगी तुम तो बिल्कुल ठीक हो उसने जब मेरे हाथ पकड़ा तो मैंने उसे अपनी और खींचा वह मेरी बाहों में आ गई और मुझसे लिपट गई।

जब वह मेरी बाहो मे आई तो मैंने उसे कसकर अपनी बाहों में ले लिया मैंने जैसे ही उसके नर्म होठों को किस किया तो उसके होठों से भी गरम भाप छूटने लगी थी वह जैसे मुझसे कुछ कहना चाहती थी। मैंने अपने हाथ को उसकी टी-शर्ट के अंदर घुसाते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरु किया उसके स्तनों को मै दबाने मे लगा था। मैंने जब उसके स्तनों को बाहर निकाला तो उसके बड़े स्तन देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा मैंने सोचा नहीं था कि उसके इतने बड़े स्तन होंगे। मैंने उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मैंने उसके स्तन पर लव बाइट दे दी। हम दोनों का शरीर गर्म हो चुका था इसलिए हम दोनों ने तय किया कि हम दोनों रूम में चलते हैं हम दोनों रूम में चले गए मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने धीरे धीरे उसके बदन के सारे कपड़े खोल दिए वह मेरे सामने नंगी लेटी थी जिस प्रकार से मैंने उसकी चूत को चाटा तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है जिससे वह भी उत्तेजित हो चुकी थी उसके भीतर भी जोश पैदा हो गया था। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि पर सटाया तो उसकी योनि से तरल पदार्थ बाहर निकल रहा था मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो उसकी योनि से खून की धार बाहर की तरफ निकल पड़ी। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वह एकदम टाइट माल है मैं उसे धक्के देता तो मुझे एक अलग ही एहसास होता मैं लगातार उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था उसके मुंह से सिसकियां निकलती जा रही थी। उसकी चीख से मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता मेरे अंदर इतना जोश बढ़ गया कि मैंने उसे तेजी से धक्के देना शुरू कर दिया वह तेज आवाज में चिल्ला रही थी। जब उसकी चूत का बुरा हाल हो गया तो वह मुझसे लिपट गई वह कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैंने उसे कसकर पकड़ा हुआ था लेकिन मेरा वीर्य गिर ही नहीं रहा था मैंने उसके साथ 10 मिनट तक संभोग किया 10 मिनट बाद मेरा वीर्य पतन हो गया मैंने उसे कसकर पकड़ लिया। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ गए मैंने दिव्या से कहा मैंने कभी भी सोचा नहीं था कि तुम इतनी ज्यादा हॉट होगी।

दिव्या को मैं कब समझने लगा था और वह भी मेरी बातों को अब समझने लगी थी इसलिए हम दोनों ने शादी का निर्णय भी कर ही लिया था और फिर हम दोनों की शादी भी हो गई। जब हम दोनों की शादी होने वाली थी तो जब यह बात हमारे पुराने दोस्तों को पता चली तो वह लोग कहने लगे कि तुम दोनों तो पहले एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे तो तुम दोनों ने शादी का फैसला कैसे किया, मैंने अपने दोस्तों से कहा कि बस यह सब ना ही पूछो तो ठीक है परंतु मेरे दोस्तों ने मुझसे जिद की तो फिर मैंने और दिव्या ने उन्हें सब बात बता दी, वह लोग कहने लगे चलो कम से कम अब तो तुम लोग एक दूसरे से कभी झगड़ा नहीं करोगे। मेरे सारे दोस्त मेरी शादी में आए थे और बड़े ही धूम धड़ाके से हम लोगो ने शादी की, सब लोग बहुत खुश थे मेरे पिताजी ने भी शादी में कोई कमी नहीं रखी और ना ही मैंने शादी में कोई कमी होने दी जिससे कि मेरे सारे दोस्त बहुत खुश थे और मेरे परिवार के लोग भी बहुत खुश थे। दिव्या ने भी कभी मेरे मम्मी पापा को शिकायत का मौका नहीं दिया, अब हम दोनों की शादी को थोड़ा बहुत समय हो चुका है लेकिन दिव्या की तरफ से मुझे कभी कोई शिकायत नहीं आयी, जब भी हम लोग अपनी पुरानी बातें याद करते हैं तो हम दोनों बहुत हंसते हैं और सोचते हैं कि किस प्रकार हम दोनों एक दूसरे से झगड़ा किया करते थे लेकिन अब हम लोग उसके बिल्कुल विपरीत है, अब हम दोनों के बीच बहुत ज्यादा प्रेम है।

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