मोटा लंड लेकर खुश थी

Hindi sex story, kamukta मैं गुड़गांव का रहने वाला हूं मैंने अपनी पढ़ाई भी गुडगांव से ही की है और मुझे बचपन में अपने दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्त इतने ज्यादा हो गए कि मेरे परिवार वाले बहुत परेशान रहने लगे थे और वह मुझे हमेशा समझाया करते थे कि बेटा इतनी दोस्ती भी अच्छी नहीं है लेकिन मैं उनकी बात कभी नहीं मानता था। एक दिन जब मेरे एक दोस्त ने अपने मोहल्ले में झगड़ा किया तो उस दिन झगड़ा काफी ज्यादा बढ़ गया और मैं भी उस दिन वही पर था मैं जैसे कैसे अपनी जान बचाकर वहां से भागा। उसके बाद तो मैंने अपनी सारी दोस्ती ही छोड़ दी और कुछ चुनिंदा दोस्तों से ही मैं बात करता हूं उनमें से मेरा एक दोस्त मोहन है मोहन अब बेंगलुरु में रहता है वह बंगलुरु में ही सेटल हो चुका है। बेंगलुरु में ही उसने शादी की उसकी शादी में तो मैं नहीं जा पाया था लेकिन मैंने उसकी फोटो देखी थी उसने मुझे अपनी शादी की फोटो भेजी थी उस वक्त मैं बेंगलुरु नहीं जा पाया था क्योंकि मुझे कोई जरूरी काम था वह भी इस बात को समझता है।

आज उसकी शादी को 3 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 3 वर्षों में मैं उससे मिल नहीं पाया मैं जिस कंपनी में नौकरी करता था वहां पर भी एक दिन मेरी अनबन हो गई जिससे कि मुझे वहां से नौकरी छोड़नी पड़ी। मैंने दूसरी जगह नौकरी के लिए अप्लाई किया और मैंने जब दूसरी जगह नौकरी के लिए अप्लाई किया तो वहां पर मेरा सिलेक्शन हो गया। मुझे अब सैलरी भी अच्छी मिलने लगी थी और मैं खुश भी था क्योंकि मैं उस कंपनी में काफी समय से जॉब के लिए ट्राई कर रहा था लेकिन मुझे वहां जॉब नहीं मिल पाई थी लेकिन अब मेरा सिलेक्शन वहां हो चुका था और मैं अपने सिलेक्शन से खुश था। हमारी कंपनी का हेड ऑफिस बेंगलुरु में था तो मुझे काम के सिलसिले में कई बार बेंगलुरु जाना पड़ रहा था मै जब पहली बार कंपनी के काम के सिलसिले में बेंगलुरु गया तो मैंने मोहन को फोन किया और उसे कहा मुझे तुमसे मिलना है। मोहन ने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली वह इतने सालों बाद मुझे मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा मोहन से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा मैं मोहन के साथ ही था।

मैं जिस होटल में रुका था मैंने मोहन को भी वही बुला लिया मोहन मुझे कहने लगा यार तुम इतने सालों बाद मिल रहे हो और तुम तो पूरी तरीके से बदल चुकी हो। दरअसल मैं अब काफी मोटा भी हो चुका था मोहन मुझे कहने लगा तुम अपनी सेहत का ध्यान रखा करो मैंने उसे कहा यार इन सब चीजों के लिए कहां समय मिल पाता है ऑफिस के काम से फुर्सत ही नहीं है तो अपने लिए कहां समय मिल पाएगा। मोहन कहने लगा चलो कोई बात नहीं तुम खुश हो और एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे हो यह बहुत अच्छी बात है। मोहन कहने लगा घर मे सब लोग कैसे है? मैंने उसे कहा घर में  सब लोग ठीक हैं। मैंने उसे कहा जब मैं बेंगलुरु आ रहा था तो मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि तुम से तो मुलाकात करनी ही है क्योंकि इतने सालों से तुम से मेरी मुलाकात हो नहीं पाई थी और जब इतने वर्षों बाद तुमसे मिला तो बहुत अच्छा लगा। मोहन मुझे कहने लगा तुम अपने ऑफिस का काम कर लो उसके बाद जब तुम फ्री हो जाओगे तो तुम घर पर डिनर के लिए आ जाना। मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर डिनर के लिए जरूर आऊंगा क्योंकि इतने सालों बाद तो तुमसे मुलाकात हुई है और इसी बहाने तुम्हारे मम्मी-पापा और तुम्हारी पत्नी से भी मुलाकात हो जाएगी। मैं सुबह के वक्त अपने काम के सिलसिले में चला गया और उसके बाद जब मैं शाम को लौटा तो मोहन ने मुझे फोन किया और कहा तुम कितने बजे तक आ जाओगे मैंने उसे कहा बस मैं कुछ देर बाद आता हूं। मैंने जब मोहन से कहा कि मैं कुछ देर बाद आता हूं तो वह कहने लगा तुम कोशिश करना कि तुम जल्दी आ जाओ मैंने उसे कहा मैं अभी फ्री हुआ हूं बस थोड़ी देर बाद मैं यहां से निकल जाऊंगा। मोहन से मैंने कहा कि बस मैं कुछ देर बाद ही यहां से निकलता हूं उसके बाद मैं जल्दी से तैयार हो गया, मैंने कार बुक कर ली और मैंने कारवाले से कह दिया था कि मुझे रास्ते में कुछ गिफ्ट लेना है जहां पर भी गिफ्ट शॉप दिखे तो तुम वहां पर कार को रोक लेना।

उसने कहा ठीक है सर और कुछ ही देर चलने के बाद ही गिफ्ट शॉप आ गई ड्राइवर ने कार को रोका और कहा सर आप सामान ले लीजिए। मैं शॉप में गया लेकिन मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या लूं मैंने गिफ्ट शॉप के ओनर से कहा भैया आप ऐसी कोई चीज दिखाईए जो कि मुझे पसंद आये। उन्होंने मुझे और गिफ्ट दिखाए मुझे वह पसन्द आ गए और मैंने उन्हें वह पैक करने के लिए कह दिया। उन्होंने वह गिफ्ट पैक कर दिया और मैंने उन्हें पैसे दिए उसके बाद मैं वहां से बाहर चला गया मैं कार में बैठा और मैंने ड्राइवर से कहा भैया चलो। वह मुझे कहने लगा सर रास्ते में कुछ और सामान तो नहीं लेना मैंने ड्राइवर से कहा नहीं कोई और सामान नहीं लेना तुम सीधा ही मेरे बताए एड्रेस पर चलो। जब हम लोग वहां पहुंचे तो ड्राइवर कहने लगा सर यही एड्रेस आपने मुझे बताया था मैंने उसे पैसे दिए और कहां तुम यहीं पर रुके रहना मैं दो-तीन घंटे में आ जाऊंगा। वह कहने लगा ठीक है मैं यहीं पर वेट कर लेता हूं और उसके बाद मैं अंदर चला गया मैं जैसे ही मोहन के घर गया तो मोहन ने तुरंत दरवाजा खोला, उसने मुझे गले लगाते ही कहां की दोस्त तुम आ गए। मोहन ने मुझे अपने हॉल में बैठाया और हम दोनों बात कर ही रहे थे कि उसकी पत्नी पानी लेकर आ गई मैंने पानी का गिलास लिया तभी मोहन ने कहा यह मेरी पत्नी सुरभि है।

जब उन्होंने मुझे अपनी पत्नी से मिलवाया तो मैंने मोहन से कहा तुम्हारे मम्मी-पापा नहीं दिखाई दे रहे हैं वह मुझे कहने लगा अरे आज वह लोग कहीं चले गए हैं और कल सुबह ही लौटेंगे। मैंने मोहन से कहा चलो कोई बात नहीं फिर कभी अंकल आंटी से मिल लेंगे और उसके बाद हम लोगों ने साथ में बैठकर डिनर किया डिनर के टेबल में हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो हम लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैंने सुरभि भाभी से कहा आप मोहन के साथ खुश तो है वह कहने लगी हां मोहन मेरा पूरा ध्यान रखते हैं और हम दोनों के बीच बहुत प्यार है। मैंने सुरभि भाभी से कहा चलो यह तो अच्छा है कि आप दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं वह मुझसे पूछने लगी आपकी पत्नी भी तो आपसे प्यार करती होगी क्या आपको उनकी याद नहीं आती। मैंने सुरभि भाभी से कहा हां मैं और मेरी पत्नी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन कभी कबार हम दोनों के बीच झगड़े हो जाते हैं तो वह मुझे कहने लगे झगड़े तो हमारे बीच में भी होते हैं लेकिन मेरा ध्यान मोहन बहुत ज्यादा रखते हैं और उन्होंने मुझे कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। हम लोगों ने उस दिन साथ में डिनर किया डिनर करने के बाद मैं वहां से अपने होटल चला गया मैं जब अपने होटल गया तो मोहन ने मुझे फोन किया और कहा तुम होटल तो पहुंच गए। मैंने उसे कहा हां मैं होटल पहुंच गया हूं वह कहने लगा तुम कितने दिन बेंगलुरु में और रुकने वाले हो मैंने उसे कहा अभी तो मैं कुछ और दिन यहां रुकूंगा क्योंकि अभी मेरे ऑफिस का काम खत्म नहीं हुआ है। वह कहने लगा तुम्हें जब भी समय मिले तो तुम घर पर आ जाना मैंने मोहन से कहा ठीक है मैं जरूर घर पर आ जाऊंगा। मैं कुछ दिन और बेंगलुरु में रुकने वाला था मैंने मोहन से फोन पर बात की और कहा आज मैं जल्दी फ्री हो गया था तो मैं तुमसे मिलने की सोच रहा था वह कहने लगा तुम घर पर चले जाओ सुरभि घर पर ही है।

मैं मोहन के घर पर चला गया मैंने गेट की बेल बजाई सुरभि ने दरवाजा खोला सुरभि कहने लगी अरे आप कैसे आ गए। मैंने उसे कहा मैंने मोहन को फोन किया था मोहन ने कहा सुरभि घर पर है तो तुम चले जाओ मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा। उसने मुझे बैठने के लिए कहा मैं सोफे पर बैठ गया सुरभि मेरे सामने ही बैठी हुई थी। वह मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी मैं भी उसकी आंखों में आंखें डालकर देखने लगा उसने जब अपने स्तनों के ऊपर हाथ फेरना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा वह अपने स्तनों को दबाने लगी। मैं यह सब देखकर चौक गया मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया उसने जब मेरे लंड को देखा तो वह मेरी तरफ आई और मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा था। काफी समय बाद किसी ने मेरे लंड को इतने अच्छे से सकिंग किया था मैंने उसे वही सोफे पर लेटा दिया और उसके स्तनों को मैंने बहुत देर तक चूसा उसकी योनि का भी मैंने बहुत देर तक मजा लिया।

मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि पर रगडना शुरू किया तो वह मचलने लगी मैंने जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह चिल्ला उठी। मैंने धक्का देते हुए उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया उसके मुंह से जो चीख निकली उससे मैं समझ गया कि उसे दर्द हो रहा है मैं उसे लगातार तेजी से धक्के देते जाता। उसने अपने दोनों पैरों से मुझे कसकर जकड लिया वह कहने लगी तुम और भी तेजी से धक्के दो मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारता जाता। मेरे धक्के इतने तेज होते कि उसका पूरा शरीर हिल जाता लेकिन उसे बहुत ही मजे आ रहे थे जब वह झड़ गई तो उसने मुझे कसकर अपने दोनों पैरों के बीच में जकड लिया मैं उसे तेजी से धक्के देता जाता। मैने बड़ी तेजी से उसे चोदा जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह मुझे कहने लगी तुमने तो आज मोहन की कमी पूरी कर दी और तुम्हारे मोटे लंड को अपनी योनि में लेने में मुझे बढ़ा ही मजा आया।

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