चाचा के लड़के की गांड गुस्से में मारी

gay sex kahani, antarvasna

मेरा नाम सारक है और मैं दिल्ली में रहता हूं। मैं दिल्ली में ही अपनी एक कंसल्टेंसी कंपनी चलाता हूं और मुझे काफी वक्त हो चुका है यहां पर काम करते हुए। शुरुआत में मैंने जॉब की लेकिन धीरे-धीरे जब मुझे दिल्ली में समय बीतता गया तो मैंने अपनी खुद की एक कंपनी खोली। पहले मैं खुद अकेले ही काम किया करता था लेकिन अब मैंने अपने पास स्टाफ रख लिया है जो कि बहुत ही अच्छे से काम किया करते हैं और मैं उनके काम से बहुत खुश भी हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे सफलता बहुत जल्दी मिल गई है। जिसकी मुझे उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी। मैं अपने आप से बहुत खुश हूं और हमेशा यही सोचता रहता हूं कि मैंने बहुत अच्छा फैसला लिया जो मैं दिल्ली आ गया। अगर मैं गांव में रहता तो मेरी स्थिति बद से बद्दतर हो जाती और शायद मैं कभी कुछ कर भी नहीं पाता। क्योंकि वहां पर मुझे कोई भी समझाने वाला नहीं था और हमारे गांव का माहौल बहुत ही ज्यादा खराब है। वहां पर ज्यादा लोग पढ़े लिखे नहीं हैं और सिर्फ नशे की लत के आदी हैं। इस वजह से मैंने यह फैसला लेकर अच्छा किया और मुझे अपने आप पर बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता है कि मैंने यह फैसला बहुत जल्दी ले लिया और मुझे इतनी जल्दी सफलता मिल गई। अब मैं जिस भी चीज को चाहता हूं वह मुझे आसानी से मिल जाती है। क्योंकि मैं अच्छा कमा लेता हूं। उसकी वजह से मैं किसी भी प्रकार से पैसों के लिए मोहताज नहीं होता। मैं कभी भी यह नहीं सोचता कि यह चीज मैं नहीं कर सकता।

मैं अपने आप से बहुत खुश हूं। मुझे काफी समय हो चुका था दिल्ली में और मैं सोच रहा था कि मैं अपने गांव जाकर अपने माता-पिता से मिल आऊ। क्योंकि वह लोग गांव में ही रहना पसंद करते थे और मैंने उन्हें कई बार कहा भी कि मैंने दिल्ली में अपना घर ले लिया है तो आप लोग मेरे साथ दिल्ली में आ सकते हैं। परंतु वह चाहते ही नहीं थे और कहते थे हम गांव में ही अच्छे से हैं। क्योंकि वह लोग गांव के परिवेश में पले-बढ़े थे। इसलिए वह नहीं चाहते कि वो शहर आएं और उन लोगों से शायद शहर में एडजस्ट नहीं हो पाता। इसलिए मैंने उन्हें जिद नहीं की और वह लोग गांव में ही थे लेकिन मुझे अब उनकी बहुत याद आ रही थी और मैं सोच रहा था कि मैं उनसे मिलने चला ही जाता हूं। मैंने अपने पिताजी को फोन किया और उन्हें कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए घर आ रहा हूं। ताकि आपके साथ कुछ समय बिता पाऊं। जब मैंने उन्हें फोन किया तो वह बहुत ही खुश हुए और कहने लगे कि तुमने तो यह बहुत अच्छा फैसला लिया है। क्योंकि हम लोग भी कई दिनों से सोच रहे थे कि तुम्हें घर बुला ले। अब तुम्हारी बहन की भी शादी हो चुकी है और हमें भी थोड़ा अकेला सा लगने लगा है इस वजह से हम तुम्हें घर बुलाना चाहते थे। ताकि तुम कुछ समय तक घर में रहो और हमें भी अच्छा लगे।

अब यह बात जब मैंने उनसे कही तो वह दोनों बहुत खुश थे और कुछ दिनों बाद मैं अपनी कार लेकर अपने गांव चला गया। जब मैं अपने गांव गया तो सब लोग मुझे देखकर बहुत हैरान थे और कहने लगे कि तुमने बहुत जल्दी तरक्की कर ली है। वह मुझसे पूछने लगे कि तुमने इतनी जल्दी कैसे तरक्की की। मैंने कहा कि मैंने शहर में बहुत ही मेहनत की है। इस वजह से मुझे शहर में तरक्की मिली है। अब जब मैं अपने माता-पिता से मिला तो वह दोनों मुझे देख कर रोने लगे और कहने लगे कि हमें तुम्हारी बहुत याद आती है लेकिन हम तुम्हारे पास नहीं आ सकते। क्योंकि हम शहर में नहीं रह पाएंगे और तुम अपना काम छोड़कर गांव नहीं आ सकते। यह तुम्हारे लिए संभव नहीं होगा। मैंने उन्हें कहा कि मैं कुछ समय गांव में ही रहूंगा और आपके साथ अच्छे से समय बिताना चाहता हूं। अब जब मैं अपने चाचा के घर गया तो मेरे चाचा ने मुझे कहा कि तुमने तो बहुत तरक्की कर ली है लेकिन राजेश के तो बुरे हाल हो चुके हैं। वह तो कुछ काम भी नहीं करता है और दिनभर निकम्मों की तरह इधर से उधर घूमता रहता है। हम बहुत ही परेशान हो चुके हैं। अब वह लोग मेरे सामने राजेश का दुखड़ा रोने लगे और मुझे भी उन्हें देखकर बहुत दया आ रही थी। क्योंकि राजेश घर में बड़ा था और उसके दो छोटे भाई और हैं। अब राजेश को ही अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेनी थी लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा था। जब मुझे राजेश मिला तो मैंने देखा कि वह बहुत ही बदतर स्थिति में था।

मैंने उसे कहा कि तुम गांव में अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो। वह मुझे कहने लगा कि मुझे कुछ भी नहीं आता तो मैं कहां जाऊं। मैंने उसे कहा कि तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हें अपने साथ ले चलता हूं और तुम मेरे ऑफिस में ही कुछ काम कर लेना। वह पहले माना नहीं। क्योंकि उसे अब निकम्मों की तरह जगह जगह घूमने की आदत हो चुकी थी और वह इधर से उधर घूमता रहता था लेकिन अब वह मान गया और मेरे साथ शहर चलने को राजी हो गया। जब यह बात मैंने अपने पिताजी को बताई तो वह बहुत खुश हुए और कहने लगे कि तुम राजेश को अपने साथ ले जाओ। नहीं तो वह अपनी जिंदगी खराब कर लेगा। अब कुछ दिनों तक मैं घर में अपने माता-पिता के साथ बहुत ही अच्छे से समय बिता रहा था लेकिन मुझे काफी दिन हो गए थे और मेरा काम भी छूट रहा था। इस वजह से मैंने अपने पिताजी से कहा कि मैं दिल्ली जा रहा हूं और मुझे बहुत दिन हो चुके हैं। यदि आप मेरे साथ चलना चाहते हैं तो आप जल्दी से समान पैक कर लीजये लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया और कहने लगे की हम घर में ही ठीक हैं। अब मैं राजेश को अपने साथ दिल्ली ले गया। वह दिल्ली आया तो वह कहने लगा तुम तो बहुत ही अच्छी जगह रहते हो और वह मेरे साथ मेरे ऑफिस भी आया। मैंने उसे ऑफिस में ही अपने काम पर लगा दिया और वह बहुत ही खुश हुआ। अब वह बहुत ही अच्छे से काम करने लगा और मैं भी उसे देखकर बहुत ही खुश था।

वह मेरे साथ ही रहता था और बहुत ज्यादा मेहनत भी कर रहा था। एक दिन हम दोनों लेटे हुए थे और वह बहुत ज्यादा बकचोदिया करने लगा। मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था वह इस तरीके से मुझे परेशान कर रहा था। मैंने उसे चुप होने के लिए कहा लेकिन वह बिल्कुल भी चुप नहीं हो रहा था। मैंने तुरंत ही उसे पकड़ लिया और अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाल दिया। वह छटपटाने लगा और अपने मुह से मेरे लंड को बाहर निकालने लगा। लेकिन थोड़ी देर बाद वह मेरे लंड को चूसने लगा और अच्छे से उसे अंदर बाहर करता जाता। मेरा लंड चूसते ही वह भी बहुत ज्यादा मजे में आ चुका था। मैंने उसकी गांड को चाटना शुरु कर दिया उसके गांड में हल्के हल्के बाल थे जो कि बाहर निकले हुए थे। थोड़ी देर बाद मैने अपने लंड को उसकी गांड मे डाल दिया। जैसे ही मैंने उसकी गांड में लंड डाला तो वह चिल्लाने लगा।

मैंने उसे कहा कि तुम्हारे काम ही खराब है घर में भी तुम्हारी वजह से सब परेशान है और तुम यहां मुझे परेशान कर रहे हो। एक तो मैंने तुम्हें अपने साथ काम दिलाया और उल्टा तुम मेरी गांड मार रहे हो। अब मैं तुम्हें बताता हूं गांड मारना कैसा होता है। अब मैं उसकी बड़ी तेजी से गांड मार रहा था और उसकी गांड से खून भी आ चुका था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। जब मैं उसकी गांड में अपने लंड को अंदर बाहर करने पर लगा हुआ था वह बहुत तेज चिल्ला रहा था। जब मेरा लंड उसकी गांड के अंदर सेट हो गया तो वह भी अब मेरे लंड पर अपनी गांड से धक्के देने लगा। वह कहने लगा मुझे भी अब मजा आने लगा है तुम ऐसे ही मुझे झटके मारते रहो और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। अब मैं उसे बड़ी तेजी से ऐसे ही झटके मारे जा रहा था जिससे कि वह बहुत ही मजे मे आने लगा। वह अपनी गांड को मुझसे मिलाया जा रहा था मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था  वह जिस प्रकार से वह अपनी गांड को मुझसे मिला रहा था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो रहा थी और वह भी बहुत ज्यादा खुश था। मै उसे अब धक्के मार रहा था जिससे कि मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैंने इतनी तेज तेज उसे झटके मारे की उसका शरीर पूरा गरम हो गया और उसकी गांड से आग निकलने लगी। उसकी गांड से इतनी ज्यादा गर्मी निकाल रही थी कि मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और मेरा वीर्य उसकी गांड में जा गिरा। उसके बाद से मैं हमेशा ही उसकी गांड मारता रहता हूं।

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