hindi sex stories, antarvasna
मेरा नाम अक्षय है मैं पुणे का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 28 वर्ष है। मैं कुछ समय पहले जॉब करता था, जॉब कर के ही मैं अपना गुजर बसर करता था लेकिन जब मेरा जॉब से मन हटने लगा तो मैंने सोचा कि मुझे अपना ही कोई काम कर लेना चाहिए लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं अकेला ही अपना काम खोलता इसीलिए मैं सोचने लगा कि मैं किसी के साथ पार्टनरशिप में अपना काम खोलूं। काफी समय तक तो मुझे कोई भी नहीं मिला लेकिन एक दिन जब मेरी मौसी हमारे घर पर आई हुई थी तो वह कहने लगी कि सोहन भी अपनी नौकरी से बहुत परेशान हो चुका है और वह अपना कुछ कारोबार खोलने की सोच रहा है यदि उसका साथ कोई दे तो वह उसके साथ मिलकर कुछ काम खोल सकता है। उसी दिन जब मैं शाम को घर लौट कर आया तो मेरी मम्मी ने मुझे बताया कि सोहन भी कुछ काम खोलना चाहता है यदि तुम दोनों मिलकर कुछ काम खोलो तो हो सकता है तुम अपने काम में सफल हो जाओ।
यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैंने उसी वक्त सोहन को फोन कर दिया, मैंने सोहन से कहा कि क्या तुम वाकई में कुछ काम खोलने की सोच रहे हो, वह मुझे कहने लगा हां मैं अपने ऑफिस से बहुत परेशान हो चुका हूं, मेरा बॉस हमेशा ही मुझ पर काम का बहुत प्रेशर बनाता है जिसकी वजह से मेरा अब काम करने का बिल्कुल मन नहीं है, मैं अब अपना ही कुछ काम खोलना चाहता हूं लेकिन मेरे पास पैसे कम पड़ रहे हैं, मैंने उससे कहा कि मैं भी यही सोच रहा था और आज मौसी घर पर आई तो उन्होंने मम्मी से बात की, मुझे लगा कि मुझे तुमसे बात करनी चाहिए, उसने मुझे कहा ठीक है हम लोग एक मीटिंग करते हैं और उसमें ही बात करते हैं कि हमें क्या करना चाहिए।
सोहन और मैं डोमिनोस में बैठ गए, जब हम लोग वहां पर बैठे हुए थे तो मैंने उसे बताया कि मैं एक रेस्टोरेंट खोलना चाहता हूं जो कि काफी अलग थीम पर बना है, वह मुझे कहने लगा कि लेकिन क्या तुम्हें उस चीज का तजुर्बा है, मैंने उसे कहा कि तजुर्बा तो नहीं है लेकिन यदि हम कुछ अलग कॉन्सेप्ट में खोलेंगे तो शायद हमारा काम चल सकता है, मैंने उसके लिए थीम भी तैयार की है और मैं काफी समय से इस पर बैठकर रिसर्च कर रहा था, वह मुझे कहने लगा ठीक है तुम मुझे वह थीम दिखाओ, मैंने उसे सारा कुछ थीम दिखाया और उसे बताया कि कम से कम हमें इतना बड़ा स्पेस चाहिए कि उसमें काफी कुछ सामान आ जाए और बैठने के लिए भी अच्छा हो, वह कहने लगा ठीक है मुझे तुम्हारा आईडिया पसंद आया और अब हम लोग इस पर मिलकर काम शुरू करते हैं। हम दोनों ने उस पर मिलकर काम शुरू कर दिया और हम लोग जगह ढूंढने लगे लेकिन काफी समय तक हमें कोई जगह नहीं मिली, फिर एक दिन मुझे मेरा एक पुराना दोस्त मिला जो की प्रॉपर्टी का काम करता है, मैंने उससे कहा कि मैं कोई जगह देख रहा हूं जहां पर अच्छा खासा स्पेस हो, वह मुझे कहने लगा ठीक है मेरे पास एक जगह है यदि तुम कल आकर मुझे मिलो तो मैं तुम्हें वह जगह दिखा सकता हूं। मैंने अगले दिन सुबह ही सोहन को फोन कर दिया और हम दोनों उस लोकेशन पर चले गए, वह लोकेशन मुझे बहुत पसंद आई और सोहन को भी वहां पर अच्छा लगा, हम दोनों ने वह जगह फाइनल कर ली, उसके बाद हमने वहां पर काम शुरू करवा दिया। मैं जैसा चाहता था बिल्कुल वैसा ही मैंने रेस्टोरेंट डिजाइन करवाया, उसे देख कर मैं बहुत खुश था और सोहन भी बहुत खुश हो रहा था, सोहन ने भी बीच में कुछ बदलाव करवाए जो कि मुझे अच्छे लगे, मुझे लगा कि वह भी यदि अपने आइडिया देगा तो अच्छा रहेगा। हम दोनों ने मिलकर उसका पूरा काम करवा लिया और उसके बाद हम लोगों ने जो स्टाफ हायर किया वह भी अच्छा था, मैंने उनसे पहले ही कह दिया था कि तुम लोगों को पैसे की कोई भी दिक्कर नहीं होगी लेकिन मुझे काम बिल्कुल अच्छा चाहिए, मैं क्वालिटी में कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करना चाहता, वह लोग भी अच्छे तजुर्बे दार थे इसलिए उन लोगों ने कहा कि आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। मैंने भी रेस्टोरेंट की ओपनिंग करवा दी जिस दिन मैंने ओपनिंग करवाई उस दिन मेरी फैमिली के मेंबर और सोहन की फैमिली के मेंबर भी आए हुए थे और मैंने कुछ दोस्तों को भी बुलाया था, सब लोग बहुत खुश थे।
हम दोनों ने काम शुरू कर दिया और काम भी अच्छा चलने लगा, काम भी जब अच्छा चलने लगा तो हम दोनों अपना काफी समय वहां पर देने लगे थे, धीरे-धीरे काम इतना अच्छा बढ़ गया कि मैंने इतनी उम्मीद भी नहीं की थी की इतनी जल्दी काम अच्छा चलने लगेगा। उसी बीच जब भी मैं सोहन को काम सौंप कर जाता तो उस दिन काम अच्छा नहीं होता, मैंने सोचा कि मुझे इस बारे में सोहन से बात करनी चाहिए, जब मैंने सोहन से बात की तो सोहन मुझसे नाराज हो गया और ना जाने उसके दिल में ऐसी क्या बात बैठ गई कि वह मुझसे अब ज्यादा बात नही करता था, वह मुझसे कम ही बात करता था। मैंने उससे कहा कि यदि तुम ऐसा करोगे तो काम अच्छा नहीं चलेगा और इसका असर काम पर भी पड़ने लगा था, मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था मैं भी बहुत परेशान हो गया था। अक्सर हमारे रेस्टोरेंट में एक व्यक्ति आते थे उनसे मेरी अच्छी बातचीत होने लगी थी, मैंने उन्हें जब यह सब बात बताई तो वह मुझे कहने लगे कि तुम यह रेस्टोरेंट मुझे सेल कर दो, मैं इसे चला लूंगा लेकिन काम तुम ही संभालोगे, मुझे भी लगा कि मुझे ऐसा ही करना चाहिए, मैंने वह रेस्टोरेंट उन्हें दे दिया और जितने भी पैसे मिले वह आधे पैसे मैंने सोहन को दे दिए जिससे की सोहन को भी बुरा ना लगे।
मैं रेस्टोरेंट का काम देखने लगा था और मेरा भी उसमें शेयर था, कभी कभार उनकी पत्नी मोनिका रेस्टोरेंट में आ जाती थी। मेरी मोनिका भाभी के साथ बहुत अच्छी जमती थी। हम दोनों आपस में बहुत ही खुलकर बातें करते, मुझे नहीं पता था कि हम दोनों के बीच इतनी अच्छी बातें होने लगेगी। एक दिन मैंने मोनिका भाभी के जांघो पर हाथ रख दिया, जब मैने उनकी जांघो पर हाथ रखा तो वह मुझे कहने लगी, तुम यह क्या कर रहे हो? मै पूरे मूड में था, वह उस दिन बडी टोटा पीस बनकर आई हुई थी। मैंने उन्हें कहा मै आज आपको छोड़ने वाला नहीं हूं। उन्होंने भी जैसे उस दिन मुझसे अपनी चूत मरवाने की इच्छा जाहिर कर दी, वह मुझे कहने लगी ठीक है आज हम दोनों सेक्स करेंगे। मैं उनके साथ बैठा हुआ था, उस दिन वह मुझे खुश करने के मूड में थी, रेस्टोरेंट में भीड कम होने लगी, मैंने अपने स्टाफ के एक लड़के से कहा तुम थोड़ी देर काउंटर मे बैठ जाओ वह काउंटर में बैठ गया। मैं मोनिका भाभी को लेकर रेस्टोरेंट के अंदर वाले रूम में चला गया, जहां पर हम लोग आराम किया करते थे। वह मुझे कहने लगी लगता है आज तुम मेरी चूत मारकर ही मानोगे, वह भी तैयार बैठी थी। उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए हिलाना शुरू कर दिया, वह बड़ी तेज गति से अपने मुंह में लेने लगी। मोनिका भाभी मुझसे कहने लगी जैसे मैं तुम्हारा लंड चूस रही हू, वैसे मैं अपने पति का भी नहीं चूसती लेकिन ना जाने मुझे अंदर से क्या हो गया। वह काफी देर तक मेरे लंड को चुसती रही। मैंने जब उनके बदन को देखा तो मैंने उनके बदन को चाटना शुरू किया और पूरे बदन को मैंने ऊपर से लेकर नीचे तक चाटा। जब हम दोनों कंट्रोल से बाहर हो गए तो उन्होंने मुझे वहीं बिस्तर पर लेटाया और कहने लगी तुम आराम से लेटे रहो। वह मेरे ऊपर से लेटी हुई थी, उन्होंने मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर समा लिया। जैसे ही मेरा लंड उनकी योनि के अंदर घुसा तो मुझे मजा आ रहा था, वह मेरे ऊपर नीचे हो रही थी। वह अपने चूतडो को हिला रही थी, जिससे कि मेरे अंडकोष भी दुखने लगे थे और मुझे बड़ा तेज दर्द हो रहा था लेकिन मुझे उतना ही मजा भी आता। मै ज्यादा देर तक उनकी बडी चूतडो को नहीं झेल पाया, जैस ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मुझे एहसास हुआ यह तो बडी ही ठरकी किस्म कि हैं। उन्होंने मेरे लंड को बड़े अच्छे से अपनी योनि में लिया हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और दोबारा से काउंटर पर आ गए। उसके बाद से तो हम दोनों के बीच कई बार सेक्स संबंध बन चुके हैं।