बाबूजी ज़रा धीरे चोदो

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मेरा नाम शेखर है और मैं कॉलेज में पढ़ने वाला एक छात्र हूं। मेरी उम्र 24 वर्ष है। मैं बरेली में रहता हूं। मेरी एक बहन है उसका नाम सारिका है। वह कॉलेज में बहुत ही ज्यादा फेमस है और हर जगह वह प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती है जिस वजह से सारे टीचर उससे बहुत प्रभावित हैं और सब लोग मुझे कहते हैं कि तुम भी अपनी बहन की तरह कुछ अच्छा करो। वह इलेक्शन में उठी थी तो इलेक्शन में भी वह जीत गई और कॉलेज की अध्यक्ष बन गयी। मुझे सब उसकी वजह से जानते हैं। क्योंकि वह कॉलेज की एक बहुत ही अच्छी स्टूडेंट है और जितने भी हमारे डिबेट कंपटीशन और जितने भी प्रतियोगिताएं होती हैं उन सब में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है लेकिन अब वह कॉलेज की अध्यक्ष है इस वजह से वह इन सब चीजों के लिए समय नहीं दे पाती। वह मुझे बहुत समझाती रहती है और कहती है कि तुम भी कॉलेज में इन सब चीजों में हिस्सा लिया करो तुम्हें बहुत ही अच्छा लगेगा। जब तुम प्रतियोगिताओं में हिस्सा लोगे तभी तुम्हारे अंदर कुछ करने का जुनून आएगा लेकिन मेरी इच्छा बिल्कुल भी नहीं होती थी। मुझे कुछ अलग ही करना है लेकिन मुझे अभी तक वह चीज समझ नहीं आई की मुझे करना क्या है। पहले बचपन में मुझे क्रिकेट का शौक था लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया तो मुझे क्रिकेट का शौक भी खत्म हो गया और अब तो ना मेरा मन पढ़ाई में लगता है और ना ही मेरा मन किसी भी प्रतियोगिता में लगता है।

इस वजह से मेरे घर वाले भी मुझसे बहुत ही परेशान रहते हैं और वह यह कहते रहते हैं कि तुम अपनी जिंदगी में क्या करोगे। क्योंकि जब मेरी बहन इतना अच्छा कर रही है उसके बाद सब लोग मुझ पर ही उंगलियां उठाते हैं और अब सब लोग मुझे लूजर कहने लगे हैं लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुझे करना क्या चाहिए। मेरा मन किसी भी काम में नहीं लग रहा है और ना ही मुझे पढ़ाई का बिल्कुल कोई शौक है। इस वजह से मेरी बहन मुझे हमेशा समझाती रहती है। सारिका मुझसे सिर्फ 6 महीने ही बड़ी है लेकिन वह मुझसे एक क्लास आगे हैं और वह कॉलेज में मेरी सीनियर है। उसके बावजूद भी वह मुझे समझाती रहती है। वह मेरी हर जगह मदद करती है लेकिन मेरा मन वाकई में किसी चीज़ में नहीं लग रहा था। मैंने उसे यह बात बताई भी इसलिए उसने मुझे कहा कि तुम कुछ दिनों के लिए कहीं घूम आओ। मैंने उसे कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है और पापा पैसे देने वाले है नहीं। इसलिए सारिका ने ही मुझे पैसे दिए और मैं कुछ दिनों के लिए घूमने चला गया। मैं कुछ दिनों के लिए गोवा चला गया और मैं वहां बैठकर अपने बारे में सोच रहा था कि मुझे करना क्या है लेकिन जब मैं गोवा गया तो मैंने वहां बहुत ज्यादा शराब पी लिया और मैं बहुत ही नशे में था।

मेरी बहन ने जब मुझे फोन किया तो वह मुझ पर गुस्सा हो गई और कहने लगी कि तुम वहां शराब पीने के लिए गए हो या फिर कुछ सोचने के लिए गए हो। तुम्हें जिंदगी में करना क्या है। मैंने उसे कहा कि मैं आया तो अपने बारे में सोचने के लिए था लेकिन मैंने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली। उसके बाद मैंने उसका फोन काट दिया और अगले दिन जब मैंने उसे फोन किया तो वह और भी ज्यादा गुस्से में थी और मुझे कहने लगी कि तुम्हारे काम हमेशा ही गलत है। तुम सुधरने वाले बिल्कुल भी नहीं हो। इसी वजह से तुमसे पिताजी बहुत ही दुखी रहते हैं और अब मुझे भी तुम पर विश्वास नहीं रह गया है। मैंने तुम्हें पैसे दिए थे ताकि तुम अपना समय वहां पर अच्छे से बिता सको और कुछ अच्छा कर पाओ। मैंने उसे सॉरी कहा और कहा कि मैं घर आ जाता हूं। अब मैं घर वापस चला गया। जब मैं घर वापस आया तो सारिका बहुत ही ज्यादा गुस्से में थी और मुझे कहने लगी कि तुम किसी भी काम में अच्छे नहीं हो और ना ही तुम्हारा मन किसी भी चीज़ में लग रहा है। मैंने तुम्हें पैसे दिए थे ताकि तुम कुछ दिनों के लिए घूम आओ और तुम्हें थोड़ा अच्छा लगे और तुम्हें यह चीज समझ आ जाएगी तुम्हें जीवन में करना क्या है लेकिन तुम तो हमेशा ही उल्टे काम करते रहते हो और तुम्हें बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा। पिताजी तुमसे कितना ज्यादा दुखी हैं।

मुझसे कुछ दिनों तक सारिका ने बात नहीं की और वह कहने लगी कि अब तुम मुझसे बात भी मत करना। मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था उससे बात करना। क्योंकि मैं अपनी गलती पर शर्मिंदा था। इस वजह से मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन मैं सारिका से बात करना ही चाहता था और उसे समझा रहा था कि मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई और आगे से कभी भी इस प्रकार की कोई गलती नहीं होगी। उसके बाद कॉलेज में जितने भी प्रतियोगिताएं होती है उन सब में सारिका मेरा नाम लिखवा देती है और मैं अब उनमे हिस्सा लेने लगा हूं। हालांकि मैं कभी भी किसी प्रतियोगिता में विजेता नहीं रहा लेकिन फिर भी वह मेरा नाम लिखवा ही देती थी और वह बहुत खुश होती थी। वह कहती थी कि चलो कम से कम तुमने हिस्सा तो लिया किसी प्रतियोगिता में। नहीं तो तुम पीछे दुबक कर बैठे रहते हो। अब मुझ में भी थोड़ा सा कॉन्फिडेंस आने लग गया था और मैं भी अपने आप को बहुत अच्छा महसूस करने लगा था। मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं अब अच्छा कर रहा हूं और धीरे-धीरे मेरे अंदर कुछ करने की इच्छा जगने लगी। यह शायद सारिका की वजह से हुआ। क्योंकि सारिका मुझसे बात नहीं कर रही थी। अब मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और इस चीज से सारिका भी बहुत खुश थी और मेरे पिताजी भी बहुत खुश है।

अब सब लोग मुझसे खुश हो चुके थे तो एक दिन मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था। उस दिन सारिका मेरे बगल में आकर लेट गई और ना जाने उसे बहुत ज्यादा गहरी नींद आ गई। मैं भी उसी के साथ सो गया मैं उसे चिपक कर सो रहा था। जब मैं उस से चिपका हुआ था तो उसकी गांड मुझसे बार-बार टकरा रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं अपने मन को बहुत मना रहा था कि सारिका मेरी बहन है लेकिन मेरा लंड उस चीज को नहीं मान रहा था। मैंने उसके सलवार को नीचे करते हुए उसकी गांड को चाटना शुरू कर दिया और उसकी योनि को भी अच्छे से चाट रहा था। उसकी चूत इतनी मुलायम और नरम थी मुझे बहुत मजा आ रहा था। जब मैं उसे अपने मुंह में लेकर चाट रहा था तो उसकी चूत से पानी गिरने लगा। मैंने अपने लंड को उसकी चूत मे जैसे ही डाला तो वह चिल्ला उठी और उसकी नींद खुल गई। लेकिन तब तक मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था। अब मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। ऐसा करते करते मैंने उसे अपने नीचे लेटा दिया और उसकी चूतडे मेरे लंड से टकरा रही थी। वह चिल्लाया जा रही थी अब उसे भी बहुत मज़ा आने लगा और वह मेरी उंगली को अपने मुंह में लेकर समाती जाती। जब वह अपने मुंह में मेरी उंगलियों को ले रही थी तो मेरी भी उत्तेजना उतने ही ज्यादा बढ़ने लगे और मैं उसे बड़ी तेज तेज धक्के दिए जा रहा था। मैंने उसे इतनी तेज तेज धक्के मारे कि उसका शरीर अब पूरा गरम हो गया और उसकी चूतडे भी पूरी लाल हो गई थी। उससे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह झड़ चुकी थी। लेकिन मेरा भी झडा नहीं था। मैंने उसे इतना कस कर पकड़ लिया कि वह हिल भी नहीं पा रही थी और मैं उसे अब तेजी से चोदने पर लगा हुआ था। मैंने उसे इतनी तेज तेज धक्के मारे कि उसके मुंह से आवाज आना भी बंद हो गया था। वह अपनी चूतडो को मेरी तरफ करके लेटी हुई थी। थोड़ी देर बाद वह कहने लगी कि मैं तो तुम्हें एक लूजर समझती थी पर तुम्हारा लंड तो कुछ ज्यादा ही मोटा है और तुमने तो मेरी चूत को अच्छे से फाड़ दिया लेकिन मुझे काफी आनंद आ रहा है जब तुम मुझे चोद रहे हो। जब सारिका ने यह बात कही तो मैंने उसे और भी तेजी से चोदना शुरू कर दिया। मैने उसे इतनी तेज तेज धक्के मारे कि उसका पूरा शरीर टूटने लगा था और मेरे शरीर से भी मेरा माल निकलने लगा और मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर ही जा गिरा।

 

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