जवान होने का आभास हुआ

Hindi sex story, antarvasna मैं जयपुर जाने की तैयारी कर रही थी और अपने सामान को मैं पैक कर रही थी। मैंने अपना सामान पूरा पैक कर लिया था मेरे पास काफी सामान हो चुका था तभी मेरी रूममेट पायल मुझसे पूछने लगी सीमा क्या तुमने जयपुर जाने की तैयारी कर ली है? मैंने उसे कहा हां मैंने सारी तैयारी कर ली है सामान काफी बिखरा पड़ा था उसे समेटने में काफी समय लग गया। पायल ने मुझसे पूछा तो फिर तुम कब वापस आने वाली हो? मैंने पायल को कहा बस जल्द ही मैं वापस आ जाऊंगी। पायल ने मुझसे पूछा लेकिन तुम तो कह रही थी कि तुम अपने ऑफिस से रिजाइन कर के कुछ समय घर पर ही रहोगे। मैंने पायल से कहा पहले सोच रही थी कि मैं रिजाइन कर दूं लेकिन फिलहाल मेरा मन अब बदल चुका है मैं सोच रही हूं कि अपनी जॉब को जारी रखू और वैसे भी खाली रहना ठीक नहीं है।

पायल ने मुझे कहा हां तुमने बिलकुल सही सोचा। मैंने पायल से कहा क्या तुम भी घर जाने वाली हो? पायल कहने लगी नहीं फिलहाल तो मैं कहीं नहीं जा रही हूं मैं अभी दिल्ली में ही हूं। पायल अंबाला की रहने वाली है मैं जयपुर की रहने वाली हूं। हम दोनों की मुलाकात दिल्ली में ही हुई मुझे पायल का स्वभाव बहुत अच्छा लगा हम दोनों ने साथ में रहने के बारे में सोच लिया। मुझे पायल के साथ रहते हुए एक वर्ष हो चुका है और इन एक वर्षों में मैं पायल को अच्छे से समझ चुकी थी वह दिल की बहुत अच्छी है हम दोनों के बीच आज तक कभी भी किसी बात को लेकर विवाद नहीं हुआ। पायल ने मेरा हमेशा ही साथ दिया और मैंने भी पायल का हमेशा साथ दिया। मैं काफी समय से सोच रही थी मैं जयपुर में ही जॉब कर लूं लेकिन जयपुर में मुझे इतनी तनख्वाह नहीं मिल पा रही थी इसलिए मैंने अपना मन बदल लिया और फिलहाल में दिल्ली में ही जॉब करने के बारे में सोचने लगी। मै जयपुर अपने मम्मी पापा के पास आ गई थी मेरे मम्मी पापा बहुत खुश थे। मेरे भैया भी विदेश में नौकरी करते हैं मैंने अपनी मम्मी से कहा था कि मैं रिजाइन करने वाली हूं मेरी मम्मी का पहला सवाल यही था कि क्या तुमने अपने ऑफिस से रिजाइन कर दिया है?

मैंने उन्हें कहा नहीं मम्मी अभी तो मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन नहीं किया है। यह सुनकर मेरी मम्मी कहने लगी बेटा तुमने तो मुझसे कहा था कि तुम इस बार अपने ऑफिस से भी रिजाइन कर दूंगा। मम्मी कहने लगी कुछ समय तुम हमारे पास ही रहोगी? मेरे पापा कहने लगे तो क्या फिर तुम जल्द ही दिल्ली लौट जाओगे। मैंने पापा से कहा हां पापा में जल्दी ही दिल्ली चली जाऊंगी मैं ज्यादा दिनों तक घर पर नहीं रह पाऊंगी। मेरे पिता जी कहने लगे चलो कोई बात नहीं जब तुम्हें ठीक लगे तुम अपने ऑफिस रिजाइन कर देना। मेरे पापा ने मुझे हमेशा ही सपोर्ट किया है मेरी मम्मी चाहती नहीं थी कि मैं दिल्ली जाऊं लेकिन फिर भी पापा ने मुझे कहा कि तुम दिल्ली चली जाओ और मैं दिल्ली चली गई। उसी शाम मेरी मम्मी मुझे कहने लगी बेटा आज हमें शादी में जाना है तो तुम तैयार हो जाना। मैंने अपनी मम्मी से पूछा किसकी शादी है? मम्मी कहने लगी तुम सुधा आंटी को जानती हो। मैंने उनसे कहा क्या आप उन्ही सुधा आंटी की बात कर रही हैं जो बैंक में नौकरी करती हैं। मम्मी कहने लगी हां बेटा मैं उन्हीं की बात कर रही हूं उनके लड़के की शादी है हमें वहां पर जाना है। मैंने मम्मी से कहा ठीक है मैं तैयार हो जाऊंगी लेकिन मुझे तैयार होने में काफी समय लगने वाला था कम से कम मुझे तैयार होने में एक घंटा लग चुका था। पापा ऑफिस आ गए थे और कहने लगे तुम महिलाओं को तैयार होने में ना जाने कितना समय लगता है। पापा तैयार होकर हॉल में बैठे हुए थे हम लोग भी तैयार हो चुके थे अब हम शादी में जाने की तैयारी करने लगे। मैंने पापा से कहा पापा मैं अभी आती हूं मैं अपने रूम में दौड़ती हुई गई और मैंने अपना फोन ले लिया। मैं वहां से पार्किंग की तरफ गई पापा और मम्मी कार में ही बैठे हुए थे मैं भी कार में बैठ गई और हम लोग शादी समारोह में चले गए। जब मैं शादी में गई तो मम्मी ने मुझे सुधा आंटी से मिलवाया सुधा आंटी मेरे हाल चाल पूछने लगी।

वह मुझे कहने लगी बेटा तुम दिल्ली से कब आई? मैंने उन्हें बताया आंटी मै दिल्ली से आज ही आई हूं। सुधा आंटी कहने लगी बेटा चलो अच्छा हुआ तुम आज दिल्ली से आ गई तो तुम भी शादी में आ गई मुझे बहुत खुशी हुई। उसके बाद मम्मी मेरे साथ बैठ गई हम लोग बैठे हुए थे और आपस में बात कर रहे थे। पापा के कोई परिचित मिल चुके थे तो पापा उनके साथ बात कर रहे थे तभी पायल का मुझे फोन आया और मैं पायल से बात करने लगी। पायल मुझसे पूछने लगी सीमा तुम जयपुर पहुंच गई? मैंने पायल से कहा मैं जयपुर पहुंच गई थी लेकिन तुम्हें फोन करना मेरे दिमाग से निकल गया। पायल कहने लगी चलो कोई बात नहीं मैंने पायल को बताया कि मैं अभी शादी में आई हुई हूं। वह कहने लगी चलो अच्छा हुआ तुम आज सही समय पर चली गई तुम्हें शादी में जाने का मौका भी मिल गया। मैं मम्मी के साथ बैठी हुई थी हम दोनों बात कर रहे थे तभी मम्मी की कोई परिचित आंटी हमें मिली। मैं उन्हें जानती नहीं थी लेकिन मम्मी उनके साथ बात करने लगी मैंने अब फोन रख दिया था। मैं मम्मी और उन आंटी की बातें सुन रही थी तभी आंटी ने मुझसे पूछा बेटा तुम दिल्ली में क्या करती हो? मैंने उन्हें बताया मैं वहां पर एक कंपनी में हूं और मार्केटिंग का काम देखती हूं। आंटी कहने लगी बेटा बहुत अच्छी बात है हम लोग आपस में बात कर ही रहे थे तभी सामने से एक सावला से लड़का आया उसकी कद काठी अच्छी खासी थी। उसका रंग सांवला था लेकिन दिखने में बहुत ही अच्छा लग रहा था उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उससे उसी वक्त बात कर लूं।

वह भी हमारे साथ बैठ गया आंटी ने मेरा परिचय सुबोध के साथ करवाया। सुबोध ने मुझसे हाथ मिलाया तो वह मुझसे कहने लगा आपसे मिलकर अच्छा लगा। हम दोनों एक दूसरे के बगल में ही बैठे हुए थे एक दूसरे से हम लोग बात करने लगे तभी मम्मी और आंटी ना जाने कहां चली गई लेकिन मुझे सुबोध की कंपनी मिल चुकी थी इसलिए हम दोनों आपस में बैठकर बात कर रहे थे। सुबोध से मुझे बात करना काफी अच्छा लग रहा था सुबोध ने मुझे बताया कि वह जयपुर में ही अपनी कंपनी चलाता है। मुझे सुबोध से मिलकर बहुत अच्छा लगा सुबोध ने मेरा नंबर भी ले लिया जब हम लोग घर लौटे तो मैं बहुत खुश थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इतनी खुश क्यों हूं लेकिन सुबोध के साथ बात करके शायद मुझे अच्छा लगा था और उसकी कंपनी मुझे बहुत पसंद आई। पहली बार कोई लड़का मुझे इतना भाया था मैं उससे बात करके बहुत खुश थी। रात भर मेरी आंखों के सामने सुबोध का चेहरा आता रहा मैंने अगले दिन जब पायल को यह बात बताई तो पायल ने मुझे कहा लगता है तुम्हें प्यार हो गया है। मैंने पायल से कहा नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है तो पायल मुझे कहने लगी मुझे तो ऐसा ही आभास हो रहा है कि तुम्हें सुबोध के साथ प्यार हो चुका है। मैं पायल से बात कर रही थी तभी मेरे फोन पर कॉल आ रहा था मैंने जब देखा तो वह सुबोध का कॉल था। मैंने पायल से कहा मैं अभी फोन रखती हूं तुम्हें बाद में कॉल करूंगी लेकिन जब तक पायल ने फोन कट किया तो तब तक सुबोध का फोन भी काट चुका था।

मैंने सुबोध को कॉल किया सुबोध कहने लगा क्या आज हम लोग मिल सकते हैं? मैंने सुबोध से कहा क्यों नहीं हम लोगों शाम को मिले। हम लोगों ने कैंडल लाइट डिनर किया मुझे सुबोध का साथ बहुत अच्छा लगा उस रात जब मैं घर पहुंची तो मैंने सुबोध से काफी देर तक बात की। हम दोनों की बात काफी देर तक होती रही मैं अब दिल्ली आ चुकी थी लेकिन सुबोध से अब भी मेरी बातें होती रहती थी। पायल अपने घर अंबाला चली गई इसी बीच एक दिन मुझे सुबोध का फोन आया और वह कहने लगा मैं दिल्ली आया हूं। मैंने उसे कहा तुम कहां रुके हो? वह कहने लगा मैं होटल में रुका हूं सुबोध मुझसे मिलने के लिए आया तो हम दोनों साथ में बैठ कर बात करने लगे। मैंने सुबोध से कहां आज रूम की हालत कुछ ठीक नहीं है इसके लिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहती हूं। सुबोध कहने लगा ऐसा कुछ भी नहीं है हम दोनों बात कर ही रहे थे तभी मैंन सुबोध के हाथ में छुआ। मुझे अंदर से ऐसा लगा जैसे कि मेरे अंदर से बिजली दौड़ने लगी हो। मैंने सुबोध को किस कर लिया सुबोध बहुत ज्यादा खुश हो गया सुबोध ने भी मेरे बालों को पकड़ते हुए मुझे काफी देर तक किस किया। उसके किस से मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं नशे में हो चुकी हूं धीरे धीरे हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए।

हम दोनों नग्न अवस्था में थे जब सुबोध ने मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। उसको भी बहुत अच्छा लग रहा था जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी कमसिन योनि के अंदर डाला तो मेरी सील टूट चुकी थी और मेरी जवानी उफान मानने लगी थी। मुझे ऐसा एहसास हो रहा था जैसे कि मैं अब जवान हो चुकी हूं। सुबोध के धक्के काफी तेज होते जा रहे थे मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी मैं अपनी मादक आवाज से सुबोध को अपनी ओर आकर्षित करती जाती। सुबोध मुझे उतने ही तेज गति से धक्के दिए जा रहा था, मेरी योनि का मजा सुबोध ने काफी देर तक लिया। मैंने सुबोध को अपनी बाहों में ले लिया और उसके कमर पर मैंने नाखूनों के निशान भी मार दिए जिससे कि वह उत्तेजित हो चुका था। जैसे ही उसने अपने वीर्य की बूंदों को मेरे स्तनों पर गिराया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ। अब भी भी हम दोनों एक साथ रिलेशन में हैं।

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