नौकरानी की गांड मे तीन लंड

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मेरा नाम अमन है मैं पुणे का रहने वाला हूं। मेरे पापा एक डॉक्टर है और वह एक बहुत अच्छे इंसान भी हैं। मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूं यह मेरे कॉलेज का दूसरा वर्ष है। मेरे जितने भी दोस्त हैं वह सब बहुत ही आजाद किस्म के हैं वह सिर्फ पाटिया ही करते हैं। पहले मैं ऐसा नहीं था मैं जब स्कूल में था तो मैं सिर्फ पढ़ाई में ध्यान देता था लेकिन जब से मैं कॉलेज में आया हूं और मेरी मुलाकात प्रदीप और आकाश के साथ हुई उसके बाद से तो मैं उनके जैसा ही बन गया हुआ। मैं भी उनकी तरह पाटिया करने लगा। मैं जिस सोसाइटी में रहता हूं वहां पर सारे लोग बहुत ही फुटेज हैं। मैं जब रात के वक्त घर आता हूं तो मैं चुपके से घर के अंदर घुसता हूं। मेरी मम्मी मुझे कुछ नहीं कहती लेकिन कभी कबार मेरे पापा मुझे डांट देते हैं और कहते हैं कि बेटा किसी गलत संगत में मत पड़ जाना। मैं उन्हें कहता हूं पापा आप चिंता मत कीजिए। प्रदीप और आकाश के पापा दोनों ही बिल्डर हैं और वह बहुत पैसे वाले भी हैं।

एक दिन हम लोग कॉलेज में बैठे हुए थे। हम लोग उस दिन बात करने लगे कि काफी समय से हम लोग कहीं बाहर नहीं गए हैं। आकाश कहने लगा लोनावला में हमारा बंगलो है। हम लोग वहीं पर कुछ दिनों के लिए चलते हैं। मैं पापा से बात कर लूंगा। वैसे तो पापा मुझे वहां जाने नहीं देते लेकिन मैं उन्हें कन्वेंस कर लूंगा और हम लोग वहीं चलते हैं। मैंने आकाश से कहा हां तुम जल्दी ही प्रोग्राम बना लो कॉलेज की भी तीन-चार दिन की छुट्टियां पड़ने वाली है हम लोग उस वक्त ही चलते हैं। वहां का मौसम भी अच्छा होगा और हम लोग एंजॉय भी कर लेंगे। प्रदीप एक्साइटेड होकर कहने लगा हां यार हम लोग वहां चलते हैं काफी दिन हो चुके हैं जब हम लोग कहीं घूमने भी नहीं गए। प्रदीप ने आकाश को कहा कि तुम अपने पापा को कन्वेंस कर लेना अप सब कुछ तुम्हारे ही कंधों पर है। मैंने भी आकाश को कहा कि तुम अपने पापा को कन्वेंस कर लेना। वह कहने लगा ठीक है मैं पूरी कोशिश करता हूं।

अब हम लोग इसी इंतजार में थे कि कब आकाश हमें लोनावला जाने के लिए कहेगा। हम लोग बहुत ही खुश हो रहे थे और कुछ ही दिनों बाद आकाश ने हमें खुशखबरी दी कि हम लोग लोनावला जा रहे हैं। हम लोग उस वक्त कैंटीन में बैठे हुए थे। मैंने आकाश और प्रदीप से कहा कि आज  तुम दोनों को मेरी तरफ से पार्टी। वह कहने लगे ठीक है तो फिर चलो कहीं बाहर चलते हैं। हम लोग अपने अड्डे पर चले गए। हम लोग हमेशा ही एक बार में जाते थे वहां पर सब लोग हमें पहचानते हैं और वहां हम लोग खूब जमकर मस्तियां करते थे। उस दिन का बिल मैंने ही पे किया। जब हम लोनावला जाने वाले थे उससे पहले मैंने अपने घर में अपने मम्मी पापा को कहा कि मैं प्रदीप और आकाश के साथ लोनावला जा रहा हूं मैं चार-पांच दिनों बाद लौटूंगा। पापा कहने लगे ठीक है तुम अपना ध्यान रखना। पापा ने सिर्फ मुझसे इतना ही कहा क्योंकि उनके पास ज्यादा समय नहीं होता और वह बात भी कम ही करते हैं। यह कहते हुए वह चले गए और कुछ दिनों बाद हम लोग भी लोनावला चले गए। जब हम लोग लोनावला गए तो मैंने प्रदीप और आकाश को कहा की यार आज तो बहुत मजा आ रहा है। वह कहने लगे कि तुम लोनावला तो चलो वहां जाकर तो और भी मजे करेंगे। हम लोग कार में थे और जब हम लोग लोनावला पहुंच गए तो वहां पर गार्ड ने गेट खोला और गार्ड ने जब गेट खोला तो वह कहने लगा साहब बस आप लोग यहीं बैठ जाइए। मैं घर की सफाई करवा देता हूं। आकाश ने कहा कि क्या पापा ने तुम्हें मेरे आने के बारे में नहीं बताया। वह कहने लगे कि बताया तो था लेकिन आप लोग बहुत जल्दी आ गए। हम लोग सोच रहे थे की आपको आने में थोड़ा वक्त लगेगा। आप लोग कुछ देर यहीं बैठ जाइए। हम लोग वहीं बाहर बैठे हुए थे और उस गार्ड ने घर की सफाई करवा दी। जब घर पूरी तरीके से साफ हो गया तो हम लोग अंदर जाकर बैठ गए। हम लोग अंदर बैठे हुए थे। प्रदीप आकाश से कहने लगा कि तुम्हारे पापा ने तो बहुत ही अच्छा बंगलो बनवाया हैं। मैं भी अपने पापा से कह कर अपने लिए यहीं कोई प्रॉपर्टी ले लूंगा। आकाश कहने लगा कि तुम इस बारे में मेरे पापा से बात करना वह तुम्हे जरूर यहां पर कोई अच्छी प्रोपर्टी दिलवा देंगे।

मैं उन दोनों की बात सुन रहा था तभी मैंने कहा कि कब से हम लोग यहीं बैठे हुए हैं। कम से कम टीवी तो ऑन कर दो। जब आकाश ने टीवी ऑन की तो मैं कुछ देर तक टीवी देख रहा था और कभी अपने मोबाइल में देखता। हम लोग बैठे हुए थे। वह दोनों भी अपने मोबाइल में गेम खेल रहे थे। जब काफी देर हो गई तो मैंने कहा कि हम लोग कहीं बाहर चलते हैं मुझे भूख भी लग रही है। आकाश कहने लगा कि तुम यहीं रुको मैं देखता हूं यहां पापा ने एक मेड को रखा है। मैं उससे खाने के लिए बोलता हूं। आकाश और प्रदीप उस मेड के पास चले गए और उन्होंने उसे खाने के लिए कह दिया।  वह हमारे लिए खाना बना रही थी। जब वह खाना बनाकर हमारे लिए लाई तो उस वक्त हम लोग टीवी देख रहे थे। मुझे बहुत जोर की भूख लगी थी मैं तो सीधा ही खाने पर झपट पड़ा। मैंने जब खाना खा लिया तो मैं आराम से लेटा हुआ था।  प्रदीप और आकाश भी खाना खा कर सो चुके थे। मेरी जब आंख खुली तो आकाश और प्रदीप सो रहे थे। वह मेड बर्तनों उठा कर टोकरी में डाल रही थी। मैंने उसे कहा तुम क्या कर रही हो। वह कहने लगी साहब में सफाई कर रही हूं। उसकी गांड देखकर में अपने आपको नहीं रोक पाया। मेरा लंड खड़ा हो रखा था। मैंने उसे अपने पास बैठा लिया और कहा आओ मेरे पास बैठो। मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। मैंने जब उसकी जांघ पर हाथ रखा तो वह मुझे कहने लगी साहब आप यह क्या कर रहे हैं।

मैंने अपने बटवे से 500 का नोट निकाल और उसके हाथ में रख दिया। मैंने उसे कहा देखो मैं अभी सो कर उठा हूं। तुम मेरे लंड को चूसो और उसे सुला दो। वह कहने लगी सिर्फ आपके लंड को ही चूसना है। मैंने उसे कहा हां बस तुम मेरे लंड को चूसो। उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे चूसने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पहले मैं सोच रहा था उससे अपने लंड को ही सकिंग करवाऊंगा लेकिन मेरा मूड खराब होने लगा और मैंने उसे और 500 रू दे दिए और कहा अब मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं। वह मुझे कहने लगी इतने पैसों में तो आप सिर्फ मेरी चूत मार पाएंगे। मैंने उसे कहा ठीक है मै तुम्हारी चूत मार लेता हूं। उसने अपनी सलवार को नीचे किया और कहने लगी साहब आप मेरी चूत में लंड डाल दीजिए। मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाला तो वह मुंह से सिसकियां लेने लगी। मैं उसे बहुत तेजी से चोद रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह कहती साहब ऐसे ही झटके देते रहिए। मैंने उसके साथ कुछ देर तक संभोग किया और जब मेरी इच्छा पूरी हो गई तो मैं कुछ देर बैठ गया लेकिन मेरी गांड मारने की इच्छा थी। मैंने उसे एक हजार रूपए दिए और कहा मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं। उसने मेरे लंड को चूसकर मेरा लंड खड़ा कर दिया और उसपर सरसों का तेल लगाया। जैसे ही मेरा लंड चिकना हो गया तो मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर लगाते हुए अंदर की तरफ प्रवेश करवा दिया। मेरा लंड उसकी गोरी गांड के अंदर जा चुका था। मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैंने उसे बहुत तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए। मैंने उसकी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकडा हुआ था। वह अपनी गांड को पीछे की तरफ कर रही थी और मुझे पूरे मजे दे रही थी। मैंने कुछ मिनट तक उसकी गांड बड़े अच्छे से मारी। जैसे ही मेरा वीर्य गिरने वाला था उसी वक्त प्रदीप की आंख खुल गई मेरा तो कार्यक्रम समाप्त हो चुका था लेकिन उसके बाद प्रदीप और आकाश ने उसकी चूत और गांड मारी। जितने दिन तक हम लोग फार्म हाउस में रुके उतने दिनों तक हमने उसके यौवन का रसपान किया। उसने हमें कोई कमी नहीं होने दी और हम तीनों को उसने बहुत अच्छे से खुश कर दिया।

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