kamukta, antarvasna
मेरा नाम शालिनी है मैं राजस्थान की रहने वाली हूं और मैं स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर हूं। हमारे स्कूल के बच्चों का एडमिशन हो रहे थे लेकिन एक बार मैंने कुछ ऐसे बच्चों के एडमिशन करवाए जो बहुत ही होनहार और अच्छे स्टूडेंट थे। एक बार की बात है जब मैं घर से स्कूल जा रही थी तभी रास्ते में मुझे दो बच्चे और उनकी मां दिखी। वह बहुत ही गरीब थे उसकी मां लोगों के घर काम किया करती थी मुझे उन पर बहुत तरस आ रहा था। मैंने स्कूल से आते समय उन बच्चों के लिए कुछ खाने पीने की चीजे दी और घर आते हुए वह खाने पीने का सामान उन बच्चों को दे दिया। दूसरे दिन जब मैंने उसकी मां को देखा तो वह लोगों के घर बर्तन मांज रही थी। उस दिन मुझे वह दोनों बच्चे नहीं दिखे मुझे लगा कि वह बच्चे अभी सोए होंगे और मैं वहां से सीधी अपने स्कूल की तरफ चली गई। मैंने घर आते समय सोचा की क्यों ना उन गरीब बच्चों की मां को कुछ कपड़े दे दूं।
अगले दिन जब मैं स्कूल जा रही थी तब मैं जल्दबाजी में थी। उस दिन मैं उन बच्चों की मां के लिए कपड़े लाना भूल गई फिर मुझे रास्ते में याद आया कि मुझे उस औरत के लिए कपड़े लाने थे। जब मैं दूसरे दिन स्कूल के लिए तैयार हुई है तो मैं उसके लिए और उसके बच्चों के लिए कुछ पुराने कपड़े लेकर गई। जब मैं उस जगह पर पहुंची तो वंहा पर बहुत भीड़ लगी हुई थी मैंने देखा उस औरत के रोने की आवाज़ आ रही थी। मैं फौरन ही उस औरत के पास गई और उससे पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो तब उसने मुझे बताया कि जिनके घर में वह काम करती है उन्होंने उसे काम से निकाल दिया और मेरे बच्चों पर चोरी का इल्जाम लगाया। मैंने उससे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया फिर उसने मुझे बताया कि मेरे बच्चों ने उनके घर से कुछ खाने की चीजें ले ली थी और मुझे लगा कि मेरे बच्चों को किसी ने यह खाने की चीज दी होगी लेकिन मुझे पता नहीं था कि इन बच्चों ने खुद ही निकाल कर यह खाने की चीजें लाए होंगे। अगर मुझे पता होता तो मैं उन्हें डांटकर वह खाने की चीजें वापस वही रखवा देती। उन्होंने इसी वजह से मुझे भी अपने घर से निकाल दिया और बच्चों को भी बहुत मारा। यह सब सुनकर मुझे बड़ा दुख हुआ फिर मैंने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। मैं उसे लेकर अपने स्कूल में आ गई और उसे बैठा कर उसको और उसके बच्चों को कुछ खिलाया ।
उसके बाद मैंने उससे बोला कि इन बच्चों को पढ़ा लिखा कर कामयाब बनाओ ताकि तुम्हें दूसरों के घर काम ना करना पड़े। उसने कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है जो कि मैं अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ा सकूं फिर मैंने उससे कहा कि तुम्हें पैसों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। तुम्हारे बच्चों को मैं इसी स्कूल में बिना फीस के पढाऊंगी और इन बच्चों का खर्चा भी मैं ही उठाऊंगी। तुम मेरे घर में ही रहना अपने बच्चों के साथ और मेरे घर का थोड़ा बहुत काम कर लेना। उसने मेरे पांव पकड़े और जोर जोर से रोने लगी। मैंने उसे उठाया और गले लगाया फिर अगले दिन मैंने उन बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया। जब तक मैं उन बच्चों को तैयार करती तब तक उनकी मां ने हमारे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था। हम सब ने फटाफट नाश्ता किया और स्कूल जाने लगे उन बच्चों को मैंने उनकी क्लास में बैठा दिया और टीचर को उन बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए कहा। फिर धीरे धीरे वह बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे हो गए थे वह हमेशा अपना काम पूरा रखते थे। जब वह बच्चे स्कूल से घर जाते तो अपनी मां को स्कूल की सारी बातें बताते और फिर अपनी मां को भी पढ़ना सिखाते। स्कूल जाने से वह बच्चे बहुत खुश थे काफी बच्चे उनके दोस्त बन गए थे। वह स्कूल के हर काम में आगे रहते थे जब हम स्कूल से घर जाते हैं तो बच्चों की मां घर का सारा काम करके रखती। हमारे लिए वह खाना भी बना कर रखती थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे पति का उसके साथ संबंध है। जब मैं घर में नहीं होती तब वह उसे चोदते थे यह बात मुझे बाद में पता चली।
जब एक बार मैं ऐसे ही घर जल्दी आ गई तो मैंने देखा वह उसके ऊपर लेटे हैं और उसे चोद रहे हैं लेकिन उस दिन तो उन्होंने बात को टाल दिया लेकिन मैंने अब सोच लिया था कि मैं अपने पति को रंगे हाथ पकड़ कर रहूंगी। एक दिन मैंने उन्हें रंगेहाथ उसके साथ पकड़ लिया मैंने अपने पति से पूछा तुम एक नौकरानी के साथ में ऐसा कैसे कर सकते हो। वह कहने लगे कि तुम मेरी इच्छा पूरी ही नहीं करती हो तुम अपने काम में बहुत बिजी रहती हो। इस वजह से मुझे उसके साथ सेक्स संबंध बनाने पडे और मुझे बहुत अच्छा लगता जब वह मेरे साथ सेक्स संबंध बनाती है हमेशा अच्छे से चोदता हूं। तुम तो कभी भी मुझसे अपनी चूत नहीं मरवाती हो तो मैं क्या करूं अब तुम ही बताओ मुझे कहीं ना कहीं तो अपनी भड़ास निकालने की थी और यह सब मैंने खुद अकेले से नहीं किया है इसमें इस औरत की भी हां है। मैंने अब उससे पूछा क्या तुमने भी मेरे पति का साथ दिया है वह कहने लगी जी मालकिन मैंने भी उनका साथ दिया है क्योंकि मुझे भी मन होने लगा था कि मैं भी किसी के साथ सेक्स करूं मेरी भी कुछ इच्छाएं हैं।
मैंने अपने पति से कहा ठीक है तुम देख लो तुम्हें जैसा करना है मैंने उन्हें ज्यादा कुछ नहीं बोला। एक दिन ऐसा ही दोबारा से हो गया और मैं घर जल्दी से पहुंच गई मैंने देखा कि बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ है और मेरे पति उस औरत के ऊपर लेटे हुए हैं। उन्होंने उसे नंगा किया हुआ था और उसकी चूत मे अपने लंड को डाल रखा था और ऐसे ही झटके दिए जा रहे थे। मैं यह सब देखती जा रही थी और मेरे अंदर की सेक्स भावना भी जागृत हो गई। वह उसे बड़े ही अच्छे तरीके से चोद रहे थे जिससे कि मेरा मन भी होने लगा कि मैं भी अपनी चूत उनसे मारवाऊ। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो उन्होंने उस औरत के पैरो को अपने कंधे पर रखा था और उसे धक्के मार रहे थे। मैंने उन्हें कहा कोई बात नहीं तुम अपना कार्यक्रम जारी रखो वह ऐसे ही उसे झटके मार रहे थे और वह बड़ी तेज चिख रही थी जब उनका वीर्य गिर गया तो वह मुझे कहने लगे तुम्हें क्या हो गया है।
मैंने उन्हें कहा कि मुझे भी तुमसे अपनी चूत मरवानी है। मैंने तुरंत अपने कपड़े खोल लिऐ और उन्होंने मेरे होठों को किस करना शुरू कर दिया। मुझे उन्होंने कसकर पकड़ लिया। वह औरत मेरे पति के लंड को चूस रही थी और मेरे पति मुझे किस कर रहे थे। यह सब नजारा देखने वाला था उन्होंने मुझे अब घोड़ी बना दिया और घोड़ी बनाने के साथ ही मेरी चूत को चाटना शुरू किया और बहुत देर तक मेरे साथ ऐसे ही करते रहे। मेरे चूत से पानी का रिसाव होने लगा था उसके बाद उन्होंने भी अपने लंड को चूत पर सटाकर अंदर डाल दिया। जैसे ही उन्होंने अपना लंड डाला तो मुझे ऐसा लगा कि ना जाने कितने समय बाद मेरी इच्छा पूरी हो रही है और वह बड़ी ही तीव्र गति से मुझे चोद रहे थे। मुझे अब एहसास होने लगा था कि मेरे पति को भी वाकई में मैंने सेक्स की कमी कर रखी है इसीलिए उन्होंने उस औरत के साथ सेक्स संबंध बनाए और उसने भी इसी वजह से मेरे पति के साथ सेक्स संबंध बनाया है। मुझे यह सब थोड़ा अजीब सा भी लग रहा था लेकिन अच्छा भी था क्योंकि कभी मैं घर में नहीं होती तो वह मेरे पति की इच्छा को पूरी कर सकती थी। वह ऐसे ही बड़ी तेजी से मुझे झटके मारे जा रहे थे उनका लंड अंदर बाहर हो रहा था उनका वीर्य गिरने वाला था और मैं भी झड़ चुकी थी। उन्होंने मेरे बालों को पकड़ते हुए अपने लंड पर मेरे मुंह को लगा दिया और मैं ऐसे ही सकिंग करने लगी। काफी देर बाद उनका माल मेरे मुंह के अंदर हि गिर गया और मुझे ऐसा लगा ना जाने कितने समय बाद मैने उनके माल को अपने मुंह में लिया है मुझे उस दिन बहुत ज्यादा शांति मिली और बहुत अच्छा भी लग रहा था। जब मैंने उनकी प्यास को बुझाया वह मुझसे कहने लगे कि तुम्हें समझ आ चुका होगा कि सेक्स की भूख इतनी ज्यादा होती है।