antarvasna, kamukta मेरा नाम सागरिका है मैं बिहार के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं, मेरी पैदाइश गांव में ही हुई थी लेकिन वहां पर अच्छी शिक्षा ना होने के कारण हम लोगों ने पटना जाने की सोची, मेरे पिताजी मुझे और मेरे भाई को पटना ले आए। मेरे पिताजी की आय उस वक्त इतनी ज्यादा नहीं थी लेकिन उन्होंने मेहनत कर के हमें एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवा दिया, हमारे स्कूल की फीस उस वक्त काफी ज्यादा थी और मेरे पिताजी की इतनी ज्यादा तनख्वाह होती नहीं थी परंतु उन्होंने हमारी पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखी, मेरी मां को भी ऐसा लगा कि शायद मेरे पापा के काम करने से घर का खर्चा उतना अच्छे से नहीं चल पा रहा है इसलिए उन्होंने भी सिलाई बुनाई का काम शुरू कर दिया और वह सिलाई बुनाई कर के जो पैसे कमाती उससे वह घर के राशन में लगा देते।
उन दोनों ने हमारे लिए बहुत बड़ा योगदान दिया और जब हम दोनों भाई-बहनों की पढ़ाई पूरी हो गई तो उसके बाद मुझे वकालत करने का मौका मिला, मैं एक बड़ी वकील बन गई लेकिन मेरे जीवन में इतनी कठिनाइयां होने के बावजूद भी मेरे माता-पिता ने कभी भी हार नहीं मानी और उन्होंने मुझे एक अच्छे स्कूल में पढ़ाया और एक अच्छी तालीम दी जिससे कि मैं आज एक अच्छी वकील हूं, मैं पढ़ाई में इतना ज्यादा खो गई थी कि मैंने अपनी निजी जिंदगी के बारे में कभी सोचा ही नहीं और शायद इसी वजह से मैं कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दे पाई लेकिन तब तक मेरी उम्र निकल चुकी थी और जब मुझे लगा कि मेरे सारे रिश्तेदारों के बच्चों की शादी हो चुकी है तो मैंने भी अपने पिताजी से शादी के बारे में बात की, वह कहने लगे बेटा यह फैसला तुम अब खुद ही लो क्योंकि हमने कभी भी तुम्हें तुम्हारी पढ़ाई के बीच परेशान नहीं किया और यदि तुम्हें कोई लड़का पसंद है तो तुम हमें बता सकती हो लेकिन मेरी उम्र निकल चुकी थी और मैंने कभी भी इस तरफ देखा भी नहीं था परंतु अब मुझे लगने लगा कि मुझे किसी जीवन साथी की जरूरत है और मैं उसी की तलाश में थी परंतु मुझे कोई भी अच्छा लड़का नहीं मिला। एक बार मैं अपनी स्कूटी से घर लौट रही थी तो रास्ते में मेरी स्कूटी खराब हो गई, मैं रास्ते के किनारे ही खड़ी थी तभी एक व्यक्ति मेरे पास आया और कहने लगे क्या आपकी स्कूटी खराब हो चुकी है?
मैंने उन्हें कहा हां मेरी स्कूटी खराब हो चुकी है वह कहने लगे मैं आपको आपके घर तक छोड़ देता हूं लेकिन मैंने उनके साथ जाना ठीक नहीं समझा क्योंकि मैं उन्हें पहचानती नहीं थी, उनकी उम्र 50, 55 वर्ष के करीब थी, मैंने उन्हें कहा मैं आपके साथ नहीं आ सकती क्योंकि मैं आपको पहचानती नही हूं, वह मुझे कहने लगे तुमने मुझे नहीं पहचाना लेकिन मैं तुम्हें पहचानता हूं, मै उसके चेहरे को बड़े ध्यान से देखने लगी लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि आखिर यह कौन हैं, वह मुझे कहने लगे तुम मुझे नहीं पहचान पाओगे, मैंने उन्हें कहा आप मुझे बताइए कि आप कौन हैं? वह मुझे कहने लगे मैं तुम्हारे गांव का चाचा हूं और मैंने तुम्हें पहचान लिया। जब उन्होंने मुझे अपना नाम बताया तो मुझे ध्यान आया कि हां यह मेरे गांव के ही चाचा हैं वह मुझे कहने लगे बेटा मैंने सुना है तुम अब वकील बन चुकी हो, मैंने उन्हें कहा हां चाचा मैं वकील बन चुकी हूं लेकिन आप हमारा गांव के लोगों से कोई संपर्क ही नहीं रह गया है इसलिए मैं आपको नहीं पहचान पाई इसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगती हूं, वह कहने लगे कोई बात नहीं यदि हम इतने वर्षों बाद किसी को मिले तो शायद मैं भी नहीं पहचान पाता लेकिन वह तो मुझे तुम्हारे पिताजी अक्सर मिलते रहते हैं तो उन्होंने मुझे तुम्हारी तस्वीर दिखाई थी इसलिए मैंने तुम्हें पहचान लिया। अब मुझे उन पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए मैं उनके साथ उनकी गाड़ी में बैठ गई, वह मुझसे पूछने लगे तुम्हारा काम तो अच्छा चल रहा है, मैंने उन्हें कहा जी चाचा जी सब कुछ अच्छा चल रहा है, वह मुझे कहने लगे कि तुमने शादी का फैसला नहीं लिया, मैंने उन्हें कहा चाचा अभी शादी के बारे में तो नहीं सोचा लेकिन यदि कोई अच्छा लड़का मिल जाएगा तो मैं शादी का निर्णय ले लूंगी, वह कहने लगे कोई बात नहीं बेटा शादी हो जाएगी। मैंने उनसे पूछा चाचा आप क्या करते हैं? वह कहने लगे मैं भी सरकारी विभाग में नौकरी करता हूं और जब मैंने तुम्हें देखा तुम्हारी स्कूटी खराब है तो मैंने सोचा तुम्हें मैं लिफ्ट दे दूं। मैंने चाचा से कहा चाचा आपने तो यह बड़ा अच्छा किया कम से कम इसी बहाने हमारी मुलाकात तो हो गई।
जब मेरा घर आ गया तो मैंने चाचा से कहा चाचा मैं आपको धन्यवाद कहती हूं यदि आपको कभी भी कोई जरूरत हो तो आप मुझे बता दीजिएगा, चाचा कहने लगे ठीक है बेटा मुझे कभी भी जरूरत होगी तो मैं तुम्हें जरूर फोन कर दूंगा, मैंने उन्हें कहा आप घर में नहीं बैठेंगे? वह कहने लगे नहीं मैं अभी चलता हूं फिर कभी आऊंगा, अभी मुझे कहीं जाना है, यह कहते हुए चाचा जी चले गए, जब मैं घर में आई तो मैंने पापा को उनके बारे में बताया तो पापा कहने लगे वह तो बड़े ही अच्छे व्यक्ति हैं और यदि किसी को भी कभी उनकी आवश्यकता होती है तो वह जरूर उनकी मदद करते हैं, मैं उन्हें बचपन से जानता हूं और वह बड़े ही नेक दिल इंसान हैं। पिताजी ने उनकी काफी तारीफ की तो मुझे भी लगा कि वह अच्छे हैं, हमारा हमेशा की तरह अपने काम पर जाना होता था उसी दौरान मेरी मुलाकात उन्ही चाचा से हो गई, चाचा कहने लगे अरे बेटा आज तो तुम मिल गए अच्छा हुआ मैं तुम्हें ही याद कर रहा था, मैंने चाचा से कहा हां चाचा कहिए क्या परेशानी है, वह कहने लगे कि हमारे घर के पास एक जमीन है जो कि मेरे एक मित्र ने ली थी लेकिन उस पर किसी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है और उसी के लिए मैं तुमसे मदद लेना चाहता हूं।
मैंने उन्हें कहा कोई बात नहीं चाचा आप कि मैं मदद कर देती हूं आप उनके खिलाफ मुकदमा दायर करवा दीजिए, मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया और उसके बाद चाचा कहने लगे बेटा यदि तुम भी घर पर आकर उस जगह को देख लो तो तुम्हें भी अंदाजा हो जाएगा, मैंने कहा ठीक है चाचा मैं आपके साथ चलती हूं। मैं चाचा के साथ उनके घर पर चली गई उन्होंने मुझे वह जमीन दिखाई तो वह कहने लगे कि यही वह जमीन है जिस पर कुछ लोगों ने अपना कब्जा कर लिया है। जब हम लोगों ने वह जगह देख ली तो चाचा जी कहना लगे आओ बेटा घर पर बैठते है। हम दोनों उनके घर पर बैठ कर बात कर रहे थे और उसी बीच चाचा ने मेरी मेरी शादी की बात छेड दी। चाचा कहने लगी तुम तो इतनी सुंदर हो तुम्हें कोई लड़का अभी तक कैसे नहीं मिल रहा यदि मैं जवान होता तो मैं तुमसे शादी कर लेता। चाचा की यह बात सुनकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा लेकिन उनकी बातों से मुझे अच्छा भी लग रहा था, इतने बरसों बाद मैंने कभी किसी की तरफ सेक्सी नजरों से देखा था। चाचा कहने लगे बेटा तुम वाकई में बहुत सुंदर हो मैंने चाचा से कहा चाचा तो फिर आप मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते। चाचा कहने लगे मैं तुम्हारे साथ कैसे शादी कर सकता हूं तुम तो रिश्ते में मेरी बेटी हो उनके पास आकर बैठ गई और उनकी छाती को मैं सहलाने लगी, जब उनका शरीर भी गरम हो गया तो वह मेरे होठों को चूमने लगे और कहने लगे तुम्हारे होंठ बड़े मुलायम और अच्छे हैं। जब हम दोनों पूरी तरीके से गरम हो गए तो उन्होंने मेरे कपड़े उतारते हुए मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जब उनका मोटा लंड मेरी योनि के अंदर बाहर होता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी के लंड को अपनी योनि में लिया था। जिस प्रकार से उन्होंने मुझे चोदा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं पूरे चरम सीमा पर पहुंच गई थी जैसे ही चाचा का वीर्य पतन हुआ। उन्होंने अपने लंड को मेरी योनि से बाहर निकाल लिया, वह मुझे कहने लगे क्या तुम्हारी अभी तक सील नहीं टूटी थी। मैंने उन्हें कहा नहीं चाचा मैं तो कब से कुंवारी बैठी हुई थी आज आपने ही मेरी इच्छा को पूरा किया। उस दिन चाचा का लंड मुझे अपनी चूत में लेने में बहुत अच्छा लगा और उस दिन के बाद मुझे बुड्ढो के लंड लेने की आदत हो चुकी थी, मुझे बुजुर्ग लोगों के लंड लेने में बहुत मजा आता है क्योंकि वह पूरी तरीके से अनुभवी होती है। मैं चाचा के साथ तो कई बार सेक्स कर चुकी थी, मैने उसके अलावा और भी कई लोगों के साथ सेक्स का आनंद लिया है।