kamukta, antarvasna मैं बिहार के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं मेरा नाम राधिका है। मेरे पिताजी की गांव में ही एक छोटी सी दुकान है और उनका सपना हमेशा से यह था कि मैं एक अच्छी जगह पढ़ाई करूं क्योंकि हमारे गांव में पढ़ाई का बहुत आभाव है इसलिए उन्होंने हमेशा ही मुझे कहा कि बेटा तुम पढ़ लिख कर किसी अच्छी जगह नौकरी करो मेरा तो यही सपना है और मैं उनका सपना पूरा भी करना चाहती थी क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत मेहनत की इसलिए मैं अपने स्कूल के समय से ही उन्हें कहती कि आप लोगों का बुढ़ापे का सहारा में ही बनुंगी, मेरे पिता ने भी मुझे कभी कोई कमी नहीं होने दी। हमारे स्कूल में बच्चों के पास साइकिल होती तो मेरे पिता ने भी मेहनत कर के मुझे एक साइकिल दिलवा दी, मुझे उस वक्त उस साइकिल की कीमत का तो ज्यादा अंदाजा नहीं था लेकिन मुझे इस बात का एहसास हो गया था कि मेरे पिताजी ने मुझे अपने खून पसीने की मेहनत से यह साइकिल दिलवाई है, उन्होंने कभी भी मुझे एहसास नहीं होने दिया कि मुझे किसी चीज की कमी हो और जब भी मुझे कभी कोई मुसीबत आती तो वह हमेशा मेरे साथ खड़े होते।
मेरी स्कूल की पढ़ाई भी अब पूरी हो गई थी और मैंने पुणे के कॉलेज में एडमिशन लेने की सोची क्योंकि मुझे एमबीए करना था और मैंने पुणे से ही अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने की सोची, मैंने जब प्रथम वर्ष में वहां दाखिला लिया तो मेरे पापा मेरे साथ कुछ दिनों के लिए पुणे में आए थे और उन्होंने मेरी रहने की सारी व्यवस्था की, मैं पुणे में हॉस्टल में रहती थी लेकिन मुझे हॉस्टल का माहौल कुछ ठीक नहीं लगा इसलिए कुछ समय बाद ही मैंने हॉस्टल से दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया, मैं जिस घर में रहती थी वहां पर मेरी क्लासमेट मेरे साथ रहती उसका नाम शिखा है। शिखा महाराष्ट्र की ही रहने वाली है और वह पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी, पुणे में हमारे क्लास में जितने भी बच्चे थे वह सब अच्छे घरानों से थे इसलिए मैं भी उनकी तरह ही बनने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरे पिताजी के पास जितना पैसा था वह उतने ही पैसों में मुझे पढ़ा रहे थे उन्होंने मेरी फीस तो भर दी थी लेकिन मेरे खर्चे भी अब बढ़ने लगे थे।
शिखा भी अच्छे घर से थी इसलिए वह मेरे लिए कभी कपड़े ले आती और कभी मेरी और जरूरतों को पूरा कर दिया करती, शिखा को मैं अपनी बहन की तरह मानती क्योंकि वह मुझे अपने साथ ही रखती थी और जब भी मुझे कुछ जरूरत होती तो वह मेरी जरूरतों को पूरा कर दिया करती। कॉलेज का पहला बर्ष तो मेरा अच्छे से बीत गया था और जब हम लोग अगले वर्ष में पहुंचे तो मुझे लगने लगा कि मुझे भी अब पैसों की आवश्यकता है और मुझे कुछ करना चाहिए इसलिए मैंने कॉलेज के बाद एक पार्ट टाइम नौकरी करने की सोची क्योंकि कॉलेज के बाद काफी समय मेरे पास बच जाया करता था, मैंने शिखा से इस बारे में बात की तो वह कहने लगी यदि तुम्हें नौकरी चाहिए तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं। शिखा ने एक दिन मुझे अपने एक भैया से मिलवाया उनसे मैं पहले भी एक दो बार मिल चुकी थी लेकिन मेरा उनसे इतना ज्यादा परिचय नहीं था परंतु उस दिन जब हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो शिखा ने अपने भैया के बारे में मुझे बताया, वह किसी कंपनी में मैनेजर थे। मैंने उनसे कहा कि भैया मुझे यदि आप कहीं पार्ट टाइम नौकरी दिलवा दे तो मेरा खर्चा भी चल जाया करेगा, वह कहने लगे ठीक है मैं अपने किसी दोस्त से तुम्हारी नौकरी की बात करता हूं जैसे ही मुझे कहीं नौकरी के बारे में पता चलता है तो मैं तुम्हें तुरंत बता दूंगा। शिखा के भैया कुछ देर हमारे साथ बैठे रहे और उसके बाद वह अपने ऑफिस चले गए, शिखा मुझसे कहने लगी कि तू चिंता मत कर भैया पक्का कहीं ना कहीं तेरे लिए जॉब देख लेंगे, मैंने सिखा से कहा हां यार मुझे तो जॉब की बहुत ज्यादा जरूरत है क्योंकि तुम्हें तो पता है कि अब खर्चे कितने बढ़ने लगे हैं और थोड़े पैसे भी मुझे पार्ट टाइम नौकरी से मिल जाए तो मैं अपना रहने का खर्चा उठा सकती हूं, शिखा कहने लगी चलो यह तो तुमने बहुत अच्छा सोचा।
मेरा कॉलेज चार बजे छूट जाया करता था और उसके बाद मेरे पास समय बच जाता था, एक दिन शिखा के भैया का फोन आया और वह कहने लगे कि रेस्टोरेंट में नौकरी है यदि तुम वहां नौकरी कर सकती हो तो मैं तुम्हारी वहां बात करूं, मैंने उन्हें कहा हां भैया मैं वहां काम कर लूंगी, वह कहने लगे वहां पर तुम्हें पांच घंटे काम करना पड़ेगा, पांच बजे से दस बजे तक तुम्हारी शिफ्ट होगी, मैंने उन्हें कहा हां भैया यह काम तो मैं जरूर करूंगी क्योंकि चार बजे मेरा कॉलेज छूट जाता है और उसके बाद मेरे पास समय बच जाता है। उन्होंने मुझे कहा मैं तुम्हें वहां का एड्रेस भेज देता हूं तुम वहां पर चले जाना और मेरा रेफरेंस दे देना, मैंने उन्हें कहा हां भैया आप एड्रेस भेज दीजिए मैं कल ही वहां चली जाऊंगी। जिस दिन मैं सुबह सुबह इंटरव्यू देने गई तो वह मुझसे बहुत इंप्रेस हुए और उन्होंने मुझे काम पर रख लिया मेरा काम वहां पर अकाउंट्स का था मैंने कुछ दिनों तक तो काम के बारे में समझा और उसके बाद मैं ही सारा काम देखने लगी, पांच बजे से दस बजे तक की शिफ्ट में मैं काम करती मुझे उसके बदले कुछ पैसे मिल जाए करते थे जिन पैसों से मैं अपने रहने का खर्चा उठाती और रहने का किराया भर दिया करती, अब मुझे घर से पैसे मांगने की जरूरत भी नहीं पड़ती लेकिन फिर भी पापा घर से पैसे भिजवा ही दिया करते, मैंने उन्हें मना भी किया था लेकिन उसके बाद भी वह हर महीने मेरे अकाउंट में पैसे भिजवा दिया करते मैं उन पैसों को संभाल कर रखती क्योंकि मुझे पता था कि कभी ना कभी उन पैसों की जरूरत जरूर पड़ेगी, मेरे पास वह पैसे जमा हो जाते थे।
एक दिन शिखा का बर्थडे था तो मुझे उसे कुछ गिफ्ट देना था मेरे पास वह पैसे बचे थे, उन पैसो से मैंने शिखा को गिफ्ट दिया, जब उसने वह गिफ्ट देखा तो वह खुश हो गई और कहने लगी कि यह तो बहुत महंगा है, मैंने उसे कहा क्या मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकती, शिखा खुश होकर कहने लगी तुमने तो मुझे सबसे महंगा गिफ्ट दिया है। उसने मुझे गले लगा लिया मैं भी बहुत खुश थी क्योंकि शिखा ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है उसी की वजह से मैं पार्ट टाइम नौकरी कर पाई और जब भी मुझे जरूरत होती तो शिखा हमेशा मेरे साथ ही रहती, शिखा का मुझ पर बहुत एहसान था। अब हमारे एग्जाम आने वाले थे इसलिए मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी, मैंने उन्हें कह दिया कि सर मैं एग्जाम के बाद नौकरी पर आ पाऊंगी, वह कहने लगे कोई बात नहीं, उन्होंने कुछ समय बाद ही दूसरी लड़की को काम पर रख लिया, मैं अब अपने पेपर की तैयारी करने लगी और जब हमारे एग्जाम हो गए तो मैं एग्जाम में पास भी हो गयी मेरे नंबर भी ठीक आए थे लेकिन मेरे पास अब काम करने के लिए कुछ भी नहीं था और जो पैसे पिताजी घर से भेजा करते वह पैसे खर्च हो जाया करते क्योंकि मेरा खर्चा भी बढ़ने लगा था लेकिन मैं पापा से नहीं कह सकती थी कि वह कुछ पैसे मुझे और दें। हमारे कॉलेज की टाइमिंग भी अब बढ़ चुकी थी इसलिए मेरे पास काम करने का समय भी नहीं था और ना ही मुझे ऐसी कोई नौकरी मिल पा रही थी जिसमें कि मैं काम कर पाती इसलिए मैं अब सिर्फ कॉलेज जाती और कॉलेज से घर आती मेरे खर्चे बढ़ने लगे थे और पैसों के लिए मुझे तकलीफ होने लगी थी। शिखा मुझे कहती तुम चिंता ना करो लेकिन मुझे तो पैसों को लेकर बहुत टेंशन होती थी।
मेरे कॉलेज की एक लड़की मुझे मिली वह मुझे कहने लगी आजकल तुम बहुत ज्यादा टेंशन में दिखाई देती हो। मैंने उसे कहा हां टेंशन की तो बात है क्योंकि पैसों की बहुत दिक्कत होने लगी है मुझे नहीं पता था कि वह एक कॉल गर्ल है जो कि पार्ट टाइम में कॉल गर्ल का काम करती है। उसने मुझे अपने घर पर बुलाया और अपनी असलियत बताइ मुझे उसकी असलियत से कोई दिक्कत नहीं थी। उसने मुझे कहा यदि तुम भी यह काम करना चाहती हो तो तुम्हें उसके अच्छे पैसे मिल सकते हैं। मैंने उसे कहा लेकिन मुझे यह सब करने में डर लगता है वह कहने लगी इसम डरने जैसी कोई भी बात नहीं है तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो मैं पिछले 2 सालों से यह काम कर रही हूं। मैंने उससे सोचने का वक्त मांगा और उस रात में बड़ी बेचैन थी मैं रात भर सोचती रही लेकिन मेरे पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं था क्योंकि मैं अपने पापा पर और बोझ नहीं बनना चाहती थी और मेरे खर्चे भी दिन-ब-दिन बढ़ने लगे थे इसलिए मैंने कॉल गर्ल बनने की ठान ली। मैं अपनी पहली बुकिंग पर चली गई वहां पर मुझे एक अधेड़ व्यक्ति मिले जिन्होंने अपने घर पर मुझे बुलाया था। मैंने उन्हें देखा तो मुझे अजीब सा महसूस हुआ लेकिन मुझे तो अब यह काम करना ही था मैं उनके साथ बैठ गई।
उन्होंने मुझे कहा मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने मुझे पैसे देते हुए कहा तुम मुझे खुश कर दो मैं तुम्हें हमेशा अपने पास बुला लिया करूंगा। मैंने भी उन्हें खुश करने में कोई कमी नहीं रखी मैंने उनके कपड़े उतारे और उनके लंड को तब तक सकिंग करती रही जब तक उनका लंड पूरी तरीके से खड़ा नहीं हो गया जब उनका लंड पूरी तरीके से कठोर हो गया तो मैंने उन्हें नीचे लेटा दिया। यह मेरा पहला ही मौका था मैं उनके ऊपर बैठ गई मैंने अपनी चूत में लंड को लिया तो मेरे वर्जिनिटी खत्म हो गई और मेरी चूत से खून निकलने लगा मुझे काफी दर्द हो रहा था वह मेरे क्लाइंट थे इसलिए मैं उनके सामने अपने दर्द को बयां नहीं कर सकती थी। वह मुझे अपनी बाहों में लेकर जोरदार झटके मारने लगे उनके झटको से मेरा पूरा शरीर हिलने लगा। मेरी चूत टाइट थी इसलिए वह ज्यादा समय तक मेरे साथ संभोग नहीं कर पाए मेरे अंदर उन्होंने अपने माल को गिरा दिया। उसके बाद वह अक्सर मुझे अपने घर पर बुला लिया करते, मैं उन्हें खुश कर दिया करती।