kamukta, hindi sex stories मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं जहां पर रोजगार का कोई भी साधन नहीं है, मेरे पिताजी एक माली थे जो कि अब इस दुनिया में नहीं है और मेरी मां लोगों के घर में झाड़ू पोछा कर के घर का गुजारा चलाती थी लेकिन जब से मैं काम पर लगा हूं तब से मैंने अपनी मां को यह सब करने से मना कर दिया है हालांकि मैं ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाया लेकिन मैं अपने छोटे भाई और बहन को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता हूं और यही मेरा हमेशा से सपना था, मैं उन्हें बड़े स्कूल में तो नहीं पढा पाया लेकिन मैंने अपने भाई बहन का दाखिला एक अच्छे स्कूल में करवा दिया जो कि अंग्रेजी माध्यम का है, मैं जब भी उन दोनों को देखता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है।
मुझे काम के सिलसिले में अपने चाचा के पास जाना पड़ा मेरे चाचा जी शहर में रहते हैं उन्होंने मेरी बहुत मदद की और कहा बेटा आज तुम पर यह घर का सारा दारोमदार है तुम्हें यह घर की जिम्मेदारी लेनी है इसलिए तुम अच्छा करोगे तो तुम्हारे पीछे तुम्हारे भाई-बहन का जीवन भी सुधर जाएगा, मैं अपने चाचा जी से कहा कि चाहे मेरा जीवन पूरा बरबाद क्यों ना हो जाए लेकिन मैं अपने भाई बहन का जीवन पूरी तरीके से बदलना चाहता हूं और इसीलिए मैं अपने चाचा जी के साथ काम पर चला गया, मेरे चाचा जी दिल्ली में एक छोटी दुकान पर काम करते हैं उन्हें वहां पर काफी समय हो चुका है इसलिए उन्होंने अपने मालिक से कहकर मेरी नौकरी एक कोरियर कंपनी में लगवा दी मैं वहां पर पियूंन का काम करने लगा मुझे शुरुआत में तो यह सब काम बिल्कुल भी रास नहीं आया क्योंकि ऑफिस में जितने भी लोग होते वह सब मुझ पर ऐसे रौब जमाते जैसे कि उन लोगों ने मुझे खरीद लिया हो, मुझे यह बहुत बुरा लगता था मैंने जब यह बात अपने चाचा से की तो चाचा कहने लगे बेटा शुरुआत में ऐसा लगता है लेकिन जब तुम्हें पैसे मिलेंगे तो तुम इन सब चीजों के बारे में भूल जाओगे और तुम यह क्यों नहीं सोचते कि तुम्हारे पीछे तुम्हारे भाई-बहन भी हैं और अब तुम्हें ही उन लोगों का ख्याल रखना है।
मैंने उसके बाद कभी भी चाचा जी से यह बात नहीं कि मैं चुपचाप अपने काम पर जाता और शाम को घर लौट आता, मेरी यही जीवन चर्या बन चुकी थी जब मुझे पहली बार तनखा मिली तो मैंने इतने पैसे अपने हाथ में कभी नहीं देखे थे मैं वह पैसे देखकर खुश हो गया और उस दिन मैंने अपने चाचा जी से कहा कि आज मैं बाहर से आप लोगों के लिये खाना पैक करवा कर लाऊंगा, मैंने अपनी चाची को भी फोन कर दिया था उस दिन मैं बहुत ही ज्यादा खुश था जब मैं घर पर खाना लेकर गया तो उस दिन चाचा जी और चाची जी हम सब लोगों ने साथ में खाना खाया मेरे दोनों चचेरी बहन भी बहुत ज्यादा खुश थी और वह कहने लगी भैया आज तो आपने बहुत ही बढ़िया खाना पैक करवा कर लाया है। चाचा जी मुझे कहने लगे कि अब तो तुम खुश हो, मैंने चाचा जी से कहा हां चाचा जी मैं बहुत खुश हूं आपने बिल्कुल सही कहा था जब पैसे मिलेंगे तो तुम सब चीजों को भूल जाओगे, यह मेरी पहली शुरुआत थी और मैं अपने घर पर पैसे भेजने लगा। एक दिन मेरी मुलाकात ऑफिस में ही एक व्यक्ति से हुई वह व्यक्ति बड़े ही शातिर किस्म के थे उन्हें देख कर मुझे लगा कि शायद वह मुझसे अपनी असलियत छुपा रहे हैं वह मुझे कहने लगे कि तुम मेरे साथ आ जाओ मैं तुम्हें हर महीने तनखा दे दिया करूंगा लेकिन मुझे उन पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था क्योंकि उनके चेहरे से ही मुझे लग रहा था कि वह शायद मुझे झूठ कह रहे हैं इसलिए मैंने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और उसके बाद मैं अपने काम पर ही लग गया क्योंकि मेरी कद काठी और मेरा शरीर काफी अच्छा है जिस वजह से जो भी मुझे देखता है वह सब कहते हैं कि तुम्हारी पर्सनैलिटी तो बहुत अच्छी है क्या तुम जिम जाते हो, मैं उन्हें कहता हूं कि मैं आज तक कभी भी जिम नहीं गया यह सब गांव में कसरत का नतीजा है गांव में मैं जमकर कसरत किया करता था और मेरा खानपान भी बहुत अच्छा था लेकिन जब से मैं शहर आया हूं तब से तो खाने-पीने का कोई ठिकाना ही नहीं है और ना ही खाने में वह स्वाद है।
मैं अपनी नौकरी से खुश था और मुझे इस से ज्यादा कुछ भी नहीं चाहिए था लेकिन जब मैं और लोगों को देखता और जब मेरे ऑफिस में ही मेरे बॉस अपनी बड़ी सी गाड़ी में आते तो मैं सोचता कि क्या कभी मेरे पास भी इतनी बड़ी गाड़ी होगी लेकिन मुझे तो अब अपने सपने हकीकत होते नजर आ रहे थे और मैं अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करना ही चाहता था उसके लिए मैंने अपने चाचा जी से पूछा तो चाचा जी कहने लगे कि बेटा मैं तो इतना ज्यादा बड़े लोगों को नहीं जानता तुम्हें तो पता ही है कि मैं भी एक छोटी सी नौकरी करता हूं और उससे ही इतने सालों से मैं अपने परिवार का पालन पोषण करता आया हूं, मेरे चाचा जी कहने लगे वैसे तुम कुछ और भी काम कर सकते हो क्योंकि तुम्हारी पर्सनैलिटी बड़ी ही अच्छी है। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं किसी और जगह इंटरव्यू दूँ क्या पता मेरा किसी अच्छी जगह पर हो जाए, मैं हर सुबह अखबार में इश्तहार देखता एक दिन मैंने अखबार में देखा उस दिन अखबार में एक बार में बाउंसर की पद के लिए वैकेंसी थी मैं उस दिन वहां पर चला गया उन्होंने जब मुझे देखा तो उन्होंने मुझे कहा कि तुम कल से ही आ जाना उन्होंने मुझे रख लिया था और मुझे वहां पर अच्छी तनख्वाह भी मिलने लगी मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया क्योंकि मैंने कभी भी सोचा नहीं था कि मुझे इतनी अच्छी तनख्वाह मिल सकती है।
मैं अगले दिन ही वहां पर काम से जाने लगा उन्होंने मुझे कहा कि तुम्हें यहां से एक ड्रेस दे दी जाएगी, मैं वह ड्रेस पहन कर अगले दिन बार में खड़ा हो गया जब मैंने देखा वहां पर बहुत ही अमीर घर के लोग आ रहे हैं तो मैं सिर्फ उन्हें देखता ही रहा क्योंकि मेरी नौकरी ऐसी थी कि मुझे तो सिर्फ अपना काम करना था मेरा काम बाहर लोगों के सामान को चेक करना था, मुझे वहां काम करते हुए एक महीना हो चुका था और जब एक महीने बाद मेरी तनख्वाह मुझे मिली तो मैं बहुत ज्यादा खुश था मैंने अपने घर पर जब अपनी मां को पैसे भेजे तो मेरी मां कहने लगी लगता है तुम्हें अब अच्छी नौकरी मिल चुकी है, मैंने अपनी मां से कहा हां मुझे अच्छी नौकरी मिल चुकी है। मेरी मां बहुत खुश थी मैंने काफी समय बाद अपनी मां से फोन पर बात की थी और उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मैंने जब अपने भाई बहन से बात की तो वह लोग भी अब पहले से ज्यादा खुश थे मैंने दोनों से पूछा तुम्हारी पढ़ाई तो ठीक चल रही है, वह लोग कहने हमारी पढ़ाई ठीक चल रही है, उन्होंने मेरा भी हाल-चाल पूछा तो मैंने उन्हें बताया हां मैं भी ठीक हूं। मैं अपने चाचा चाची के साथ ही रहता था मेरे चाचा की बदौलत ही यह सब संभव हो पाया था यदि मैं अपने चाचा के साथ दिल्ली नहीं आता तो शायद मुझे अच्छी नौकरी नहीं मिलती। मेरे चाचा का एहसान में कभी भी जिंदगी में नहीं भूल सकता था। एक दिन मुझे बार में वही व्यक्ति मिले जो मुझे उस वक्त मिले थे जब मैं प्यून की नौकरी किया करता था। उन्होंने मुझे देखते ही पहचान लिया वह कहने लगे क्या तुमने यहां पर ज्वाइन कर लिया है। मैंने उन्हें कहा हां सर मैंने अब यहीं पर नौकरी शुरू करती है। वह कहने लगे चलो तुमने बहुत अच्छा किया उन्होने मुझे अपना कार्ड पकडाया और कहने लगे तुम्हें जब भी ज्यादा पैसे कमाने हो तो तुम मुझे बता देना। मैंने उनसे कहा क्यों नहीं पैसे तो सबको चाहिए लेकिन उसके लिए करना क्या होगा। वह मुझे कहने लगे बस तुम्हें कुछ पैसे वाली अमीर मल्लिकाओ को खुश करना होगा। मैंने उन्हें कहा लेकिन मुझे उनके पास कौन लेकर जाएगा तो वह कहने लगे मैं तुम्हें उनके पास लेकर जाऊंगा।
जब तुम्हे उनके पास जाना होगा तो मैं ही तुम्हें भेजूंगा तुम्हें बस उन्हें खुश करना है और उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होने देनी है। मैंने उनसे पूछा लेकिन लड़कियां कैसे होंगे वह कहने लगे लड़कियां तो एक से एक माल होंगे तुम एक बार मेरे साथ काम शुरू करो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा तुम्हें कभी भी पैसों को लेकर सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैंने भी सोचा चलो एक बार तो काम कर ही लेते हैं उन्होंने मुझे एक महिला के पास भेजा उसकी उम्र 30 वर्ष की रही होगी लेकिन वह दिखने में बड़ी माल थी उसने मुझे देखते ही कहा कि तुम्हारी कद काठी तो बड़ी गजब की है तुम्हें आज मुझे खुश करना होगा। मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और उसकी चूत को चाटने लगा उसके स्तनों को भी मैंने बहुत देर तक चाटा उसके स्तनों से मैंने खून निकाल दिया था और उसकी चूत से भी मैंने पूरा पानी बाहर निकाल दिया। मैंने जब अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा, मैंने जब अपने लंड को उसकी टाइट चूत के अंदर घुसाया तो उसे दर्द महसूस होने लगा। वह कहने लगी तुम्हारा लंड बड़ा मोटा है मैंने उसे तेज गति से धक्का देना शुरू कर दिया वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी। मैं उसे तेजी से धक्के मारने लगा मैंने उसकी गांड मारी तो वह कहने लगी आज तो तुमने मुझे खुश कर दिया है तुम मेरा नंबर ले लो मैं तुम्हें कभी भी पैसे की कमी नहीं होने दूंगी। मैंने उसका नंबर ले लिया, उसकी गांड मैंने उस दिन बड़े अच्छे से मारी मैंने जब उसका नंबर लिया तो उसके बाद वह मुझे अक्सर फोन कर के बुलाने लगी। मेरे पास आज पैसे की कोई कमी नहीं है, मैंने अपने परिवार को भी अपने पास बुला लिया। मेरे चाचा जी और चाची का मुझ पर बहुत एहसान है इसलिए मैंने उन्हें घर खरीद कर दे दिया जिससे कि वह लोग भी बहुत खुश है मैंने आज तक किसी को नहीं बताया कि मैं क्या काम करता हूं।