desi kahani, hindi sex story
मेरा नाम गौरव है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 40 वर्ष है। मैंने बचपन से ही अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और इन्ही संघर्षों की बदौलत मैंने अपने जीवन में काफी कुछ हासिल भी कर लिया था। मैंने अपनी मेहनत के बलबूते ही अपने लिए एक घर भी लिया था लेकिन मेरा काम ना चलने की वजह से मुझे वह घर बेचना पड़ा। मेरा काम सही नहीं चल रहा था और उसी बीच मैंने सोचा कि मैं यह घर बेच देता हूं। मैंने वह घर बहुत कम दामों पर बेचा और मैं किराए पर रहने के लिए चला गया। जब हम लोग किराए पर रहने के लिए गए तो वहां पर मैं अच्छे से एडजस्ट नहीं कर पा रहा था क्योंकि वहां काफी रोक टोक थी और जो हमारे मकान मालकिन थी उनका व्यवहार भी हमारे प्रति बिल्कुल अच्छा नहीं था। शुरुआत में तो वह लोग हमारे साथ बहुत अच्छे से रहते थे लेकिन बाद में उनके पति हमेशा ही मेरे बच्चों को डांट देते। मुझे भी यह बात बुरी लगने लगी लेकिन मैंने एक दिन उनके साथ बात की और उन्हें कहा कि सर आप इस तरीके से मेरे बच्चों को डांटेंगे तो यह अच्छा नही है। मैंने उस दिन उन्हे समझाया लेकिन उसके बाद भी वह मेरे बच्चों को डांटते थे। मुझे भी लगने लगा कि जल्दी से मुझे कुछ करना होगा लेकिन मेरा काम भी अच्छा नहीं चल रहा था और मैं बहुत परेशान भी हो गया। मेरे ऊपर काफी बोझ पढ़ने लगा। पर मैंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी इसीलिए मैंने सोचा इस बार चलो एक बड़ा रिस्क उठा लिया जाए।
मैंने कप प्लेट बनाने की मशीन डलवा दी। मैंने जहां उसकी फैक्ट्री खोली थी वहां पर मेरे काफी अच्छे दोस्त भी बनने लगे थे और वह लोग हमेशा मुझसे अच्छी बात करते हैं और मेरा सपोर्ट भी करते। जब मेरा माल बन कर तैयार होने लगा तो मैं खुद ही मार्केटिंग करने लगा। शुरुआत में मैंने बहुत भागा दौड़ी की लेकिन धीरे-धीरे जब मेरा काम चलने लगा तो मैंने थोड़े बहुत पैसे भी जमा करना शुरू कर दिया और मेरा काम भी ठीक-ठाक चलने लगा। एक दिन मेरी पत्नी मुझे कहने लगी अब तो हम लोग यहां पर रहकर बहुत परेशान हो गए हैं। तुम जल्दी से कहीं हमारे लिए दूसरा घर देख लो। मुझसे तो यहां बिल्कुल नहीं रहा जाएगा। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए कहीं और रहने का प्रबंध करवा देता हूं।
मैंने वहां से घर छोड़ दिया और मैं दूसरी जगह चला गया। मैं जब दूसरी जगह गया तो वहां पर मैंने पहले ही सारी चीजें बता दी थी और वह लोग काफी अच्छे भी थे। मैं उनके घर पर रहकर बहुत खुश था। मेरे बच्चे और मेरी पत्नी भी वहां पर खुश थी। मुझे काम को लेकर कोई भी चिंता नहीं थी। मैं अपने काम में पूरा ध्यान दे पा रहा था और मेरी पत्नी मेरे बच्चों को संभालती। अब समय धीरे धीरे बीतने लगा और काफी हद तक मैंने अपना काम भी पूरा जमा लिया था। मेरे पास अब अच्छे ऑर्डर आने लगे थे और बड़े बड़े ऑर्डर मैं उठाने लगा। एक दिन शाम को मैं काम से घर लौटा तो मेरी पत्नी कहने लगी आज मम्मी का फोन आया था वह पूछ रहे थे तुम लोग कैसे हो। मैंने उन्हें कह दिया कि हम लोग अच्छे हैं। वह मुझे कहने लगे कि यदि तुम्हें पैसों की आवश्यकता हो तो तुम बता देना। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैंने आज तक कभी भी तुम्हारे परिवार वालों से पैसे नहीं लिए हैं तो अब मैं उनसे कैसे पैसे ले सकता हूं और मेरा काम भी अब अच्छा चलने लगा है। तुम्हें तो मैंने सारी कुछ बातें बता ही दी थी। मेरी पत्नी मुझे कहने लगी मुझे भी तुम्हारे विचार के बारे में पता है इसलिए मैंने मम्मी को साफ मना कर दिया और कहा कि नहीं हमें पैसों की कोई आवश्यकता नहीं है। अब वह अपना काम अच्छे से करने लगे हैं और काम भी पहले से बेहतर चलने लगा है। मेरी पत्नी की यही समझदारी मुझे बहुत पसंद है वह हमेशा ही मेरी बातों को बिना कहे ही समझ लेती है। अब मुझे घर की कोई चिंता नहीं थी और मेरा काम भी अब ठीक चलने लगा था। एक दिन मैं सुबह के वक्त काम पर जा रहा था तो मैंने देखा मैं जिस घर में पहले रहता था वह मकान मालकिन किसी पुरुष के साथ जा रही है। मैंने भी उनके पीछे अपनी बाइक दौड़ा दी। मैं उनके पीछे अपनी बाइक को दौड़ा रहा था और वह भी बड़ी तेजी से आगे की तरफ बढ़ रहे थे। मैंने हेलमेट पहना हुआ था इसलिए उन्होंने मेरा चेहरा नहीं देखा। वह उस व्यक्ति से बहुत ही चिपक कर बैठी थी। मैं सोचने लगा कि यह तो बड़ी ही शराफत का चोला ओढ़े रहती हैं परन्तु यह तो बड़ी ही चरित्रहीन महिला हैं।
मैंने जैसे ही अपनी बाइक को उनकी बाइक के बराबर में किया तो मैंने देखा कि वह तो कोई 30 35 वर्ष का युवक है। मैं समझ गया कि इनके चरित्र में ही खोट है। मैंने भी सोच लिया कि देखता हूं यह लोग आज कहां तक जाते हैं। मैं भी उनके पीछे चलता रहा लेकिन जब कुछ ही दूरी पर वह लोग रुके तो वह एक बस स्टॉप पर बैठ गया और वहीं पर वह लोग बात करने लगे। मैंने सोचा कि यह लोग यहां पर क्या बात कर रहे हैं। मैं भी एक कोने में चुपचाप खड़ा हो कर देख रहा था वह दोनों आपस में बड़े गले मिलकर बात कर रहे थे और जिस प्रकार से वह दोनों एक दूसरे से चिपक कर बात कर रहे थे उससे तो मैंने उनके चरित्र का अंदाजा लगा ही लिया था। कुछ देर तक वह लोग वहीं खड़े थे। फिर सामने से एक पुरुष आया। वह उन्हे अपनी कार में बैठाकर ले गया। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था कि हो क्या हो रहा है लेकिन मैंने भी सोचा था कि आज तो मैं इन की गांड फाड़ कर ही रहूंगा।
वह पुरुष उन्हे लेकर चला गया मैं उनके पीछे ही था। वह एक फ्लैट में उन्हें लेकर चला गया। जब वह दोनों फ्लैट में जा रहे तो मैं भी उनके पीछे पीछे ही था। उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और मैं बाहर खड़ा होकर आवाज सुनने लगा। अंदर से चोदम पट्टी की आवाज आ रही थी सारा माजरा मेरे समझ में आ गया। मुझे समझ में आ गया कि यह एक जुगाड़ हैं और मुझसे बड़ी शराफत का ढोंग करती थी। मैंने दरवाजा खटखटाना शुरू किया और जैसे ही उन्होने अंदर से दरवाजा खोला तो उनकी गांड के घोडे खुल गए। वह चुपचाप बैठ गई। मैंने उन व्यक्ति से कहा आप चुपचाप बैठे रहिए। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है और ना ही मैं आपको पहचानता हूं लेकिन मुझे इनसे बात करनी है। वह मुझे कहने लगा मैंने तो इनके पूरे पैसे दिए हैं। मुझे चोद लेने दो। मैंने उन्हें कहा आप मजे ले लीजिएगा मैं आपको मना नहीं कर रहा लेकिन पहले मुझे इनसे बात करनी है आप मुझे एक घंटे का समय दीजिए। आप एक घंटे बाद वापस लौट आइए। वह बड़े सज्जन पुरुष थे वह चुपचाप वहां से उठ कर चले गए। अब मैं उनसे बात कर रहा था उन्होंने अपनी नजर झुकाई हुई थी। मैंने जब उनके स्तनों पर हाथ लगाया तो वह कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो? मैंने कहा अब तुम मुझे शराफत का पाठ पढ़ा रही हो तुम्हारे चरित्र में ही खोट है। मैंने उनके स्तनों को दबाना शुरू किया और कहा तुमने मेरे बच्चों को बहुत परेशान किया था तुम्हारे पति भी कम नही है। मैंने उनके स्तनों को काफी देर तक दबाया। जब मैंने उसके होठों को चूसा तो वह मुझे कुछ नहीं कह रही थी क्योंकि उसे पता था यदि उसने मुझे कुछ कहा तो यह उसके लिए ही उल्टा हो जाएगा। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसो। वह मुझे कहने लगी नहीं मैं तुम्हारे लंड को सकिंग नहीं कर सकती। मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसो नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे मोहल्ले में तुम्हारी बदनामी कर दूंगा। उसने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे उसने आइसक्रीम खा ली हो। वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से सकिंग कर रही थी। मैंने वही टेबल पर रखी हुई सरसों की बोतल उठाई और अपने लंड पर उस तेल को ऐसा लगाया जैसे कि मेरी उससे बहुत गहरी दुश्मनी हो। मैंने उसकी पैंटी को नीचे उतारा और उसकी गांड के अंदर लंड को डाला। जब मेरा लंड उसकी गांड के अंदर घुसा तो उसकी चीख निकल गई। वह चिल्लाकर मुझे कहने लगी तुम इतनी तेज मेरी गांड मत मारो। मैंने उसकी गांड बहुत देर तक मारी। जब मेरा वीर्य पतन हुआ तब मेरा मन भर चुका था। उसके कुछ समय बाद वह पुरुष भी आ गए फिर मैं वहां से चला गया।