kamukta, hindi sex stories
मेरा नाम रोनक है मैं गाजियाबाद का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूं। मेरे पिताजी भी रिटायरमेंट के बाद गांव चले गए हैं और मेरी मां भी उन्हीं के साथ में गांव में रहती है। मैं यहां पर अकेला ही रहता हूं और मेरे साथ कोई भी नहीं है। इसलिए कई बार मैं अपने दोस्तों को अपने घर पर बुला लेता हूं और वह मुझसे मिलने मेरे घर पर ही आ जाया करते हैं। मेरी जब भी छुट्टी होती है तो वह लोग हमेशा ही मुझसे मिलने मेरे घर पर आ जाया करते हैं। मैं अपने दोस्तों पर अपनी जान छिड़कता हूं और उनके लिए कुछ भी कर सकता हूं। मेरे दोस्त भी मुझे बहुत मानते हैं और जब भी उन्हें किसी भी प्रकार की आवश्यकता होती है तो वह मुझे तुरंत ही फोन कर दिया करते हैं और मैं उनकी मदद कर दिया करता हूं।
मेरा एक दोस्त है उसका नाम अनुज है। एक दिन उसका मुझे फोन आया और कहने लगा मैंने एक लड़की पसंद कर ली है और वह मुझे बहुत-बहुत पसंद है। परंतु मेरे घरवाले उससे मेरी शादी नहीं करवाना चाहते थे और मैं उससे बहुत ज्यादा प्रेम करता हूं। क्योंकि वह लोग बहुत ज्यादा गरीब है। इस वजह से मेरी मां बिल्कुल नहीं चाहती कि मैं वहां शादी करूं और उन्होंने मुझे सख्त हिदायत दे दी है। यदि तुम उस लड़की से शादी करोगे तो हमारा घर छोड़ देना। मैंने तुम्हें इसीलिए फोन किया था कि मुझे इस वक्त क्या करना चाहिए और क्या चीज मेरे लिए सही रहेगा। मैंने अपने दोस्त से कहा कि जो तुम्हें सही लगता है तुम वही करो। यदि तुम उस लड़की से प्रेम करते हो और वह भी तुमसे सच्चा प्रेम करती है तो तुम उसके साथ शादी कर लो। उसके बाद उसने फोन रख दिया और कुछ समय बाद अब उन दोनों ने शादी कर ली। मैं भी उनके साथ कोर्ट में गया था और हम लोगों ने ही उनकी गवाही दी थी और उसके बाद उन दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद जब हम उनके घर गए तो अनुज के पिताजी बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए और कहने लगे कि मैं इस लड़की को बिल्कुल भी अपने घर पर नहीं रखना चाहता। यदि तुम्हें इसे अपने साथ रखना हो तो तुम इसे रख सकते हो। परंतु मेरे घर में तुम पैर भी मत रखना और ना ही तुम्हारी मुझे कोई आवश्यकता है। मैंने उसके पिताजी को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह बिल्कुल नहीं माने और अनुज ने भी अपने पिताजी से बात की। परंतु वह बिल्कुल भी नहीं माने और बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए। अब मुझे भी लगा कि उनके साथ बात करना व्यर्थ है।
मैंने अनुज को कहा कि तुम मेरे साथ मेरे घर पर ही रह लो, जब तक तुम्हारा कुछ बंदोबस्त नहीं हो जाता। अब मैं उसे और उसकी पत्नी प्रिया को अपने साथ अपने घर पर ले आया। जब मैं उन्हें अपने घर पर लाया तो उसकी पत्नी मुझे कहने लगी की आप ने हम पर बहुत ही ज्यादा उपकार किया है। हम आपका एहसान कभी नहीं भूल सकते। मैंने उन्हें कहा इसमें एहसान वाली कोई बात नहीं है। अनुज मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त है इसलिए मैंने उसकी मदद की है। अब अनुज और प्रिया मेरे साथ ही मेरे घर पर रहने लगे। अनुज भी नौकरी के लिए ट्राई कर रहा था और प्रिया भी घर का खाना बना दिया करती और साफ सफाई का काम कर लिया करती। मैं जब ऑफिस जाता तो वह दोनों घर पर ही रहते हैं और कभी कबार वह मेरे कपड़े भी धो दिया करती थी। मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था क्योंकि मैं काफी समय से अकेला ही रह रहा था। जिसकी वजह से मैं बोर भी होने लगा था और जब से वह दोनों मेरे साथ रहने आए हैं मुझे भी अच्छा लगने लगा है और मुझे ऐसा लगता है जैसे उन दोनों के आने से मैं काफी खुश हूं। हम तीनों बहुत ही मस्ती किया करते हैं और अनुज तो बहुत ही ज्यादा शरारती है। वह मुझे पहले से ही छेड़ता रहता था और मुझे पहले से ही बहुत परेशान करता था। परंतु मैं उसकी बात का कभी बुरा नहीं मानता था और ना ही मैंने कभी उससे कुछ गलत कहा। अनुज ने मुझे भी अपना रिज्यूम दिया था। तो मैंने उसका रिज्यूम अपने ऑफिस में लगाया हुआ था। यदि वहां पर कोई वैकेंसी होती तो मैं उसे अपने ऑफिस में ही जॉब दिला देता। परंतु हमारे ऑफिस में कोई भी वैकेंसी नहीं थी। इस वजह से उसे वहां पर जॉब नहीं मिल पा रही थी और मैंने अपने पुराने दोस्तों को भी उसका रिज्यूम सेंड किया हुआ था।
एक दिन मुझे मेरे एक दोस्त का फोन आया और वह कहने लगा कि हमारे यहां पर वैकेंसी है। तुम अनुज को हमारे ऑफिस में भेज दो। जिससे कि वह ऑफिस में जॉब कर पाए। मैंने उसे तुरंत ही अगले दिन उसको ऑफिस में इंटरव्यू के लिए भेज दिया। जब वह ऑफिस में इंटरव्यू देने गया तो उसका सलेक्शन हो गया और उसे एक अच्छा सैलरी पैकेज भी उस कंपनी के द्वारा मिला और जब वह घर आया तो बहुत ही खुश था और कहने लगा कि तुम्हारी बदौलत मुझे यह नौकरी मिली है। तुमने मुझ पर बहुत ही एहसान किए हैं। मैंने उससे कहा कि दोस्ती में कोई एहसान वाली बात नहीं होती और अनुज भी बहुत ही ज्यादा खुश था। अब अनुज भी अपने ऑफिस जाने लगा और प्रिया घर का सारा काम देखा करती थी। वह घर का बहुत ही अच्छे से काम किया करती थी। वह घर के कामो में ही व्यस्त रहती थी। जिससे मुझे भी बहुत ही अच्छा लगता था। मैं भी जब घर आता था तो घर का माहौल बहुत ही अच्छा रहता था और अनुज भी अपने काम में बहुत बिजी होने लगा।
मैं भी अपने काम के सिलसिले में बहुत बिजी रहता था और अनुज भी अक्सर बिजी रहता था। अनुज ऑफिस के काम से बाहर जाने लग गया। एक दिन उसे ऑफिस के काम के सिलसिले में जाना पड़ा उसने मुझे कहा कि तुम प्रिया का ख्याल रखना और वह यह कहते हुए चला गया। उस दिन रात को बहुत ही तेज बारिश हो रही थी और बिजली भी बहुत तेज तेज कड़क रही थी जिससे कि प्रिया को बहुत डर लग रहा था। वह मेरे कमरे में आ गई मैं अपने कमरे में नंगा लेटा हुआ था मैंने सिर्फ अपना अंडरवियर पहना हुआ था उसमे भी मेरा लंड खड़ा हो रखा था। वह कहने लगी कि बहुत तेज बिजली कड़क रही है मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा है। मैंने उसे कहा तुम मेरे बगल में ही सो जाओ और जब वह मेरे बगल में सोई तो मैंने जैसे ही अपना हाथ उसके शरीर पर रखा तो वह मूड मे आने लगी। अब उसने भी मुझे कसकर पकड़ लिया। जब उसने मुझे कस कर पकड़ा तो मैंने उसके होठों को किस करना शुरू किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए। जब मैंने उसका बदन देखा तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके मुंह में डाल दिया। उसने उसे अपने गले तक ले लिया और अच्छे से चूसने लगी। उसे बहुत ही मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को चुसती जाती। मैंने उसकी योनि को थोड़ी देर तक चाटा और उसके बाद मैंने उसके दोनों पैरो को खोलते हुए अपने लंड को उसकी योनि में घुसेड़ दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मैं अब उससे ऐसे ही चोदने पर लगा हुआ था। मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के दिया जाता। जिससे कि उसका शरीर पूरा गरम होने लगा और वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी अब मैं उसे बड़ी तेज झटके दिए जा रहा था। उसका शरीर भी पूरा गर्म होने लगा। वह मुझे कहने लगी आप मुझे बहुत ही अच्छे से चोद रहे हो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जब आप मेरी चूत मे अपने लंड को डाल रहे हो। वह भी बहुत ज्यादा खुश थी और मैं उसे ऐसे ही झटके दिए जा रहा था। मैं उसे बड़ी तेज गति से चोद रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था उसके साथ सेक्स करने मे। मै उसकी टाइट योनि को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरा वीर्य गिरने वाला था। मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकालते हुए प्रिया के मुंह के अंदर डाल दिया और उसने मेरा सारा का सारा वीर्य निगल लिया। उसने एक ही झटके में मेरे वीर्य को अपने गले के अंदर ले लिया। मुझे प्रिया के साथ सेक्स करके बहुत मजा आया और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए। जब तक अनुज नहीं आया तब तक मैंने उसकी चूत बहुत ही अच्छे से मारी।