स्वामी जी का आश्रम भाग ४

मेरी साफ सुथरी और चिकनी चूत जो स्वामीजी की चुदाई के बाद भी होंठ हिला रही थी. फिर विशेष ने अपना मुहं मेरी चूत पर रख दिया और चूत के होंठ चूमने लगा. उसने अपनी जीभ निकाली और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा और उसकी गरम जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी.

फिर वो बार बार अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को सहलाता और चूसता. में हर बार दुगने जोश से उसके सर को अपनी चूत पर धकेलती और में भी उससे बोलने लगी, ऊऊऊऊहह तुम बहुत मज़ेदार हो. इस चूत ने इतना मज़ा पहले कभी नहीं लिया, अम्म्म्ईईईईईई और चूसो मेरे राजा, ज़ोर से चूसो, आज मेरी चूत को ज़ोर से चाटो, बाद में पता नहीं फिर मौका मिले ना मिले, आह्ह्हहह यार तुम महान हो ऊऊहहऊओह हाँ बहुत मज़ा आ रहा है और बहुत अच्छा लग रहा है यार, तुम तो बहुत गरम हो.

फिर मेरी ऐसी बातें सुनकर वो और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत चूसने लगा और जीभ से चूत चोदने लगा. फिर में इतनी मस्ती से अपनी चूत चुसवा रही थी और में भूल गयी कि में एक शादीशुदा औरत हूँ और वो एक पराया मर्द है और थोड़ी ही देर में वो वक़्त आ गया और मेरी चूत में छटपटाहट होने लगी.

फिर मैंने ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरी चूत से पानी निकलने लगा. मेरी चूत के रस को विशेष अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा, उसकी इस हरक़त से में तो जोश में पागल हो गयी.

फिर मैंने उसके बालों को ज़ोर से पकड़ लिया और खींचने लगी, उसे दर्द भी हुआ होगा. उसने कुछ नहीं कहा और मेरा आम रस चूसता रहा और क़रीब पाँच मिनट के बाद विशेष ने मुझे नीचे लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया. उसने मेरी टाँगों को अपने कंधो पर रखा और लंड चूत के मुहं पर रख दिया. फिर अपने लंड को चूत के छेद पर सेट करने के बाद अंदर की तरफ धक्का दिया.

मेरी चूत का छेद उसके मोटे लंड को अंदर नहीं ले पाया, क्योंकि मेरी चूत का छेद पूरी तरह से फैल गया तो में दर्द से चीखने लगी, ऊऊईईईईईईई उह्ह्ह्ह माँ में मर गईईईईईई प्लीज बाहर निकालो अपने लंड को.

फिर उसने मेरे पैर कंधे से उतारे और फैलाकर अपने दोनों साईड पर कर दिए और फिर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया. उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाला तो लगा कि जैसे किसी ने गरम लोहे का सरिया मेरी छोटी सी चूत में घुसेड़ दिया हो. अब तक मेरी चूत बिल्कुल खुश हो चुकी थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी कुँवारी लड़की की चूत हो और मुझे दर्द भी होने लगा, लेकिन मुझे मज़ा भी लेना था.

फिर थोड़ी देर बाद मुझको मज़ा आने लगा, में भी विशेष को कहने लगी और में बोली कि चोदो मुझे जल्दी करो ओहह्ह्ह तुम बहुत ज़ालिम हो, लेकिन बहुत अच्छे भी अह्ह्ह थोड़ा आराम से करो और प्लीज़ अपने लंड पर तेल लगा लो, ऐसे सूखा लंड अंदर जाने से तकलीफ़ होती है. तुमने कहाँ से सीखा यह सब? मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है और मुझे ऐसा मज़ा कभी भी नहीं आया,

तुम एकदम अनुभवी हो चोदने में, अहह आराम से क्या आज ही मेरी चूत फाड़नी है? और क्या एक ही दिन में सब बर्बाद कर दोगे? मुझे घर भी जाना है और मेरे पति ने मुझे ऐसे देख लिया तो गजब हो जाएगा. में उन्हे क्या जवाब दूँगी साले? में तुम्हारे स्वामीजी की प्रिय भक्त हूँ

यार, कुछ तो रहम करो धीरे धीरे चोदो मुझे आअहह प्लीज़ में सच कह रही हूँ, मुझे दर्द हो रहा है प्लीज आराम से करो ना, लेकिन विशेष ने अपनी स्पीड कम नहीं की, क्योंकि अब मेरी चूत एक कुँवारी लड़की की चूत बन चुकी थी और उसे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर वो दोगुनी स्पीड से मुझे चोदता जा रहा था और में उससे मन्नते कर रही थी, आअहह यार आज मेरी चूत बहुत टाईट है और ज़ोर से पूरा अंदर डालो उूईईईईईई करो और ज़ोर से और विशेष रुक रुककर धक्के मारने लगा.

15 मिनट के बाद में झड़ गयी, लेकिन विशेष का लंड अभी भी खड़ा ही था और वो पूरे ज़ोर से हिलाता रहा तो दस मिनट के बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और साथ ही विशेष के लंड से भी पानी निकलने लगा. उसने अपने शरीर को कड़क किया और वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.

फिर मैंने उसे ज़ोर से जकड़ लिया और बोली कि ओह्ह्ह माँ इतना गरम वीर्य. अब तो रुक जाओ, मेरी जान निकल चुकी है. फिर विशेष करीब दो मिनट तक मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ता रहा, वो थक गया और मेरे ऊपर ही लेट गया और जब थोड़ी देर बाद हम उठे तो मैंने देखा कि मेरी जांघो पर और पलंग पर खून लगा हुआ था और विशेष ने मेरी चूत फाड़ दी थी.

अपनी ऐसी हालत देखकर में एकदम घबरा गयी तो विशेष ने कहा कि कोई बात नहीं, कभी कभी ऐसा होता है. चलो अब में चलता हूँ, स्वामीजी बुला रहे है, तुम भी तैयार होकर बाहर आ जाना, लेकिन इसे पहले अच्छे से धो लेना, ताकि खून बहना बंद हो जाएगा और वो चला गया, लेकिन में इतना थक गई थी कि में दोबारा सो गयी. में दो घंटे के बाद उठी और वॉशरूम गई तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था.

फिर भी मैंने अपने आपको संभाला, ताकि किसी को कोई शक ना हो जाए, में उठी और बाथरूम में गयी. फिर मैंने महसूस किया कि मेरी चूत का होंठ फूल गया था और मुझसे ठीक से चला नहीं जा रहा था और में किसी तरह से दीवार का सहारा लेकर बाथरूम तक पहुँची और शावर चालू करके नहाने लगी तो मेरी चूत से अभी तक वीर्य निकल रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता कि वो स्वामीजी का था या विशेष का.

पिछली बातों को याद करके मेरी आँखो से आँसू बहने लगे और मैंने चूत को अंदर उंगली डाल डालकर अच्छे से साफ किया और खुद को साफ करने के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी तो बाहर स्वामीजी अपने सभी शिष्यो के साथ बैठे हुए थे और जैसे ही में बाहर आई तो स्वामीजी मेरे पास आए और स्वामीजी मुझसे बड़े प्यार से बोले कि पूजा सफल हुई,

अभी के लिए दोष दूर हो गया है और तुम चिंता मत करो, तेरा काम हो गया है. पुत्री अगर काम हो जाए तो एक किलो लड्डू हनुमान जी को चड़ाने ज़रूर आना और स्वामीजी ने बहुत नम्रता से मेरे आँसू साफ किए और प्रसाद कहकर उन्होंने मेरे हाथों में कुछ मिठाइयां दी और कहा कि वो में खुद भी खाऊँ और अपने घर में सबको खिलाऊँ. में 5 बजे वहां से निकलकर वापस अपने घर आ गयी.

फिर में पूरे टाईम मन में ग्लानि हो रही थी और में सोच नहीं पा रही थी कि क्या यह बात में अपने पति को बताऊँ कि नहीं. में सोचने लगी कि अब से में उस स्वामी के पास नहीं जाउंगी, शाम को जब मेरे पति आए तो वो बहुत खुश लग रहे थे. फिर उन्होंने कहा कि उन्हे किसी बड़ी कंपनी में मैनेजर की नौकरी मिल गई है और उनकी पगार 50,000/- महीने है और यह बात सुनकर में हैरान रह गयी.

फिर मैंने सोचा कि यह तो चमत्कार हो गया, अब मुझे स्वामीजी पर विश्वास हो गया. अगले दिन से मेरे पति हर रोज नौकरी पर जाने लगे थे और में स्वामीजी के पास गयी और उन्हे खुश खबरी सुनाई. फिर उन्होंने कहा कि यह में जानता ही था कि एक बार कालदोष हट गया तो सब ठीक हो ही जाएगा, लेकिन तुम चाहती हो कि यह ऐसा ही चलता रहे तो तुम अक्सर आती रहा करो, में मन से तुम्हारे लिए पूजन करता रहूँगा. में फिर से स्वामीजी की बातों में आ गयी और अब हर महीने स्वामीजी के आशाराम के दर्शन करने जाती हु. वैसे दर्शन का मलतब तो आप समझ ही रहे होंगे|

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