Antarvasna, kamukta मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो मेरी पत्नी ने मुझे पानी का गिलास दिया मैंने पानी पिया तो उसके कुछ देर बाद मेरे मोबाइल पर फोन आने लगा, मैंने जब फोन देखा तो वह मेरी बहन का था मेरी बहन का नाम प्रीति है और उसकी शादी को वह लगभग पांच वर्ष हो चुके हैं। मैंने फोन उठाया तो प्रीति कहने लगी भैया आप कैसे हैं? मैंने प्रीति से कहा मैं तो ठीक हूं तुम बताओ तुमने आज मुझे कैसे याद कर लिया, प्रीति कहने लगी मैं तो आपको हमेशा याद करती हूं लेकिन आप ही मुझे भूल चुके हैं आप तो बिल्कुल भी फोन नहीं किया करते। मैंने प्रीति से कहा देखो ऐसी कोई बात नहीं है तुम्हें तो मालूम ही है कि मैं अपने ऑफिस के काम में कितना बिजी रहता हूं और जब शाम को घर लौटता हूं तो उसके बाद मैं खाना खा कर जल्दी ही सो जाता हूं क्योंकि मुझे ऑफिस जल्दी जाना होता है।
प्रीति कहने लगी भैया मैं आपको यह कहना चाहती हूं कि आपको कुछ दिनों के लिए हमारे घर पर आना होगा मैंने प्रीति से कहा लेकिन वहां आकर मैं क्या करूंगा तो वह कहने लगी हम लोगों ने घर में एक छोटा सा प्रोग्राम रखा है यदि आप आ जाएंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा मैंने प्रीति से कहा ठीक है मैं देखता हूं यदि मुझे समय मिला तो मैं जरूर आ जाऊंगा। प्रीति को यह बात अच्छे से मालूम है कि मैं उससे मिलने के लिए नहीं जाया करता क्योंकि उसके परिवार में जितने भी लोग हैं वह सब बड़े पैसे वाले हैं और मुझे उनसे मिलना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता इस वजह से मैं प्रीति से मिलने भी नहीं जाया करता हूं। उसके बाद मैंने फोन रख दिया लेकिन मेरी पत्नी मुझसे कहने लगी तुम्हें प्रीति से मिलने के लिए जाना चाहिए वह तुम्हें इतने प्यार से बुला रही है आखिरकार उसका तुम्हारे सिवा है ही कौन? मेरी मां का ध्यान तो काफी वर्षों पहले हो चुका था और उसके बाद मेरे पिताजी का स्वर्गवास भी कुछ समय पहले हो गया जिस वजह से मेरे ऊपर ही सारी जिम्मेदारियां आन पड़ी लेकिन उसके बावजूद भी मैंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा ही अपने काम के प्रति मैं पूरी ईमानदारी से काम करता रहा।
मैं बहुत ज्यादा दुखी हो चुका था जब मेरे पापा की मृत्यु हुई क्योंकि वह मुझे हमेशा ही समझाया करते थे और उनसे बात कर के मुझे एक अलग ही हौसला मिलता था लेकिन जब से उनकी मृत्यु हुई है तब से मैं जैसे पूरी तरीके से टूट चुका हूं मुझे बहुत ही ज्यादा बुरा भी लगता है क्योंकि मेरे पास कोई भी ऐसा नहीं है जो कि मुझे समझाए। मेरी पत्नी ने मुझसे जिद की तो मुझे लगा कि मुझे भी प्रीति से मिलने के लिए जाना चाहिए मैंने प्रीति को फोन किया और उसे कहा मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं वह कहने लगी क्या वाकई में आप मुझसे मिलने के लिए आ रहे हैं? मैंने प्रीति से कहा हां मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं और तुम्हारी भाभी भी आ रही हैं। यह बात सुनकर प्रीति बहुत खुश थी वह कहने लगी कि आप लोगों से मैं कितने समय बाद मिलूंगी मैं बहुत ज्यादा खुश हूं यह बात जब मुझे प्रीति ने कहीं तो मुझे भी लगा प्रीति हमें बहुत मिस करती है। कुछ दिन के बाद मैं और मेरी पत्नी प्रीति से मिलने के लिए चले गए हम लोग काफी समय बाद प्रीति से मिलने गए थे इसलिए हम लोगों ने काफी सामान ले लिया था और उसके बच्चे के लिए भी हम लोगों ने गिफ्ट लिया था मैं नहीं चाहता था कि कोई भी उनके घर में हमें कम समझे इसलिए मुझसे जितना हो सकता था मैंने किया मैं और मेरी पत्नी काफी समय बाद प्रीति से मिले थे। प्रीति जब हमें मिली तो उसने हमें गले लगा लिया और मुझे भी ऐसा लगा कि शायद प्रीति हमें बहुत ज्यादा मिस करती है उसने हमें बैठने के लिए कहा वह बहुत ही ज्यादा भावुक हो गई थी उसकी आंखों को मैंने देखा तो उसकी आंखें नम थी वह मुझे पूछने लगी भैया आप क्या लेंगे तो मैंने उसे कहा मैं कुछ भी नहीं लूंगा तुम अपना ध्यान रखो। तब तक प्रीति का बच्चा हमारे सामने आया और हमने उसे भी गिफ्ट दिया वह बहुत ज्यादा खुश था, जब प्रीति की सास मुझे मिली तो वह कहने लगे रोहन क्या चल रहा है मैंने उन्हें कहा बस कुछ नहीं ऐसे ही समय बिता रहे हैं आप सुनाइए आप लोग ठीक हैं तो वह कहने लगे हां हम लोग तो सब सही हैं, तुम अब हमारे घर की तरफ आते ही नहीं हो मैंने उन्हें कहा मुझे समय ही नहीं मिल पाता है इसलिए आना भी नही हो पाता है।
उनकी बातों से उनके बड़प्पन का एहसास हो रहा था कि वह कितने घमंड में बात कर रही हैं इसलिए मैंने भी उनसे ज्यादा बात नहीं की लेकिन मैं प्रीति से इतने समय बाद मिलकर खुश था मैंने कभी सोचा ना था कि मैं प्रीति से मिलने के लिए जाऊंगा लेकिन मेरी पत्नी के कहने पर ही मैं प्रीति से मिलने के लिए गया। मैंने प्रीति से पूछा तुम कोई प्रोग्राम की बात कर रही थी वह कहने लगी हां दरअसल छोटू का भी बर्थडे है और हमने सोचा एक छोटी सी पार्टी रख लेते हैं जिसमें की हमारे परिचित आ जाए इसलिए मैंने आपको फोन किया था। मैं और मेरी पत्नी हॉल में ही बैठे हुए थे तब मुझे प्रीति ने कहा भैया आप और भाभी मेरे साथ चलिए वह हमें लेकर अपने रूम में चली गई और वहां पर हम लोग बात करने लगे प्रीति मुझे कहने लगी भैया मैं तो आपको बहुत ज्यादा मिस करती हूं और अपने पुराने दिन याद करती हूं जब हम लोग कितने आराम से रहा करते थे और आप मेरा कितना ध्यान रखते थे। मैंने प्रीति से कहा लेकिन अब तुम्हारी शादी भी तो हो चुकी है और तुम्हारे पति कमलेश भी तो तुम्हारा बहुत ध्यान रखते हैं वह मुझे कहने लगी हां वह तो मुझे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं उन्होंने मुझे कभी भी कोई कमी महसूस नहीं होने दी लेकिन मुझे यह लगता है कि आप मुझसे अब पहले की तरह बर्ताव नहीं करते, मैंने प्रीति से कहा ऐसा कुछ भी नहीं है मैं अपने जीवन में पूरी तरीके से व्यस्त हो गया हूं इसीलिए शायद तुम्हें यह लग रहा होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।
मैं और प्रीति एक दूसरे से बात कर के आपने पुरानी यादों को ताजा करने लगे जब प्रीति वहां से चली गई तो उनके और भी रिश्तेदार मुझे मिले उनसे मिलकर मुझे ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था। मैं प्रीति की सास को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता क्योंकि वह हमेशा ही मेरे लिए बुरा भला कहती रहती है और यह बात मुझे प्रीती हमेशा बताती है क्योंकि प्रीति की जो जेठानी है उन्हें दहेज में बहुत कुछ मिला था परंतु हम लोग इतना दहेज ना दे सके इस वजह से उनकी शिकायत हमेशा मुझसे ही रहती है इसीलिए वह सबके सामने मुझे बेइज्जत करने से भी नहीं कतराती लेकिन मुझे भी अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि कमलेश मेरी बहन प्रीति का बहुत ध्यान रखता है और मुझे कमलेश पर पूरा भरोसा है कि वह उसे कभी भी कोई तकलीफ नहीं होने देगा इसीलिए मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि कम से कम कमलेश मेरी बहन प्रीति का ध्यान रखता है मुझे बहुत अच्छा लगता है कि कमलेश प्रीति का ध्यान रखता है। उनके घर में पार्टी की तैयारी होने लगी और कमलेश ने सारा अरेंजमेंट करवा दिया था सब कुछ बहुत ही अच्छे से संपन्न हो गया मैंने प्रीति से कहा हम लोग परसों निकल जाएंगे तो प्रीति कहने लगी कि आप लोग कुछ और दिन तक रुक जाइये लेकिन मैं वहां रुकना नहीं चाहता था। उस रात में और मेरी पत्नी रूम में बात कर रहे थे तभी प्रीति की सास आ गई और वह मुझे कहने लगी अरे आप तो कमरे में ही बैठे हुए हैं आइए बाहर हॉल में बैठते हैं।
मैने उन्हे कहा नहीं हम लोग यही ठीक हैं वह कुछ देर तो हमारे साथ बैठे रही जब वह चली गई तो मैंने अपनी पत्नी को अपनी बाहों में ले लिया। काफी समय बाद हमारे बीच में इतना रोमांटिक माहौल बना था मैं उसे गवाना नहीं चाहता था, मैंने जब उसके होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैं काफी देर तक अपनी पत्नी के होठों को चूमता रहा जब हम दोनों के अंदर पूरी तरीके से गर्मी आ गई तो मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया। मैं उसे घोड़ी बनाकर चोद रहा था लेकिन मुझे क्या पता था प्रीति की सास यह सब खिड़की से देख रही है। मैं बड़ी तेजी से अपनी पत्नी को झटके दिए जा रहा था जब मेरा वीर्य गिरा तो वह मुझे कहने लगी मुझे थकान हो रही है, मैंने उसे कहा तुम आराम कर लेट जाओ। जब वह सो गई तो उसकी सास ने दरवाजा खटखटाया मैंने दरवाजे को खोला तो वह अंदर आ गई और मेरे पास बैठ गई। मैं समझ नहीं पाया कि वह इतनी रात को क्यों आई है वह कहने लगी आपको मैने परेशान कर दिया।
मै उन्हे जाने के लिए भी नहीं बोल सकता था लेकिन जब उन्होंने मुझे सारी बात बताई तो मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया। वह मेरी गोद में आ कर बैठ गई जैसे ही वह मेरी गोद में आकर बैठी तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। वह मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और अपनी प्यास को मिटाने लगे उन्होंने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा। मेरी पत्नी बिस्तर में आराम से लेटी हुई थी मैंने जैसे ही अपने लंड को उनकी गांड में डाला तो वह चिल्लाते हुए कहने लगी तुमने तो मेरी गांड फाड़ दी। मुझे उनकी गांड मारने में बड़ा मजा आ रहा था मैंने उन्हें घोड़ी बना रखा था और बड़ी तेज गति से धक्के दिए जा रहा था। उन्हें धक्के मारने में मुझे बहुत मजा आता जैसे ही उनके अंदर मेरा माल जा गीरा तो वह मुझे कहने लगी आज तो तुमने मेरी इच्छा पूरी कर दी इतने समय बाद किसी ने मेरी इच्छा पूरी की। वह मुझसे बहुत ज्यादा खुश थी, मैं भी उनकी गांड मारकर बहुत ज्यादा खुश था इसलिए वह मेरी तारीफ करने लगी। मेरी बहन प्रीति बड़ी ही आश्चर्यचकित थी उसकी सासू मेरी तारीफ कैसे कर सकती है लेकिन उसे तो पता ही नहीं था कि मेरे लंड का जादू चल पड़ा है और वह मेरे लंड की भूखी थी।