कॉलेज का पहला प्यार

antarvasna, desi kahani

मैं यूपी के कानपुर का रहने वाला युवक हूं। एक सामान्य परिवार से हूं। मेरी पिता एक किसान हैं। मेरी 12वीं की पढ़ाई होने के बाद मेरे पिता ने मुझे कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया। जो कि हमारे घर के नजदीक ही था।कॉलेज का पहला दिन कौन भूल सकता है. स्कूल के बाद घर से मिली आजादी की खुशी मनाने का दिन जो था। उस दिन कॉलेज की ओर बढ़ने वाला हमारा हर कदम दिल की धड़कन और भी बढ़ा देता था. खुशी और घबराहट की दोनों का संगम लिए कॉलेज कैंपस में घुसना आज भी भुलाए नहीं जाता।वो भी क्या दिन था। नए नए चेहरों के बीच उस दिन जिंदगी बड़ी अकेली लग रही थी। लेकिन ये नहीं पता था। कि आने वाले कुछ दिनों में ये सारे चेहरे ही हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाएंगे। पहली क्लास अटेंड करने से ज्यादा लड़कों का फोकस इस बात पर था कि क्लास में लड़कियां कितनी हैं, रेशियो के हिसाब से। हालांकि पहले दिन इससे ज्यादा रिसर्च करने की हिम्मत भी नहीं थी। मेरे बगल में बैठा लड़का बोल रहा था। अरे क्या चूचीया है।

हमारे आगे वाली सीट पर बैठी लड़की के गांड के छेद पर तो उसने हाथ फेर दिया था। और हमने भी उसके पीछे पीछे से उसी के बगल में बैठी लड़की के स्तनों पर अपने मुलायम हाथ फेर दिए थे। उस पहली क्लास में मुझे फिरोज मिला। उसने मुझसे पूछा अरे भैया कहां से हो। मैंने फिरोज को जवाब दिया कानपुर से फिरोज ने भी मुझे कहा अरे हम भी तो कानपुर से हैं। फिरोज ने मेरा नाम पूछा हमने कहा आशीष श्रीवास्तव नाम है। हमारा फिरोज़ बोला तुम्हारे पिता क्या करते हैं। हमने कहा हमारे पिता खेतीबाड़ी करते हैं। फिर हमने भी उससे पूछा तुम्हारे पिता क्या करता है। उसने कहा हमारी दुकानें हैं बाजार में मेरे पिता का कपड़ों का होलसेल का काम है। उसके बाद देखते ही देखते हमारी दोस्ती और मजबूत होती चली गई। हम जो कुछ भी घर चलाते वह फिरोज को जरूर खिलाते हैं। फिरोज भाई अपनी मां की हाथ की बनाई हुई खीर हमें बहुत खिलाता था। क्योंकि उसको पता था मुझे खीर बहुत पसंद है। हम तो पहले से ही एक नंबर के ऐयाश थे और फिरोज दो नंबर का वह हमसे एक कदम और आगे ही था। समय के साथ-साथ हमारी दोस्ती और गहरी होती चली गई। हम हर चीज को दो हिस्सों में बांटकर खाते थे। मैं उससे पूछे बिना कुछ भी नहीं करता था। हम दोनों बाथरूम मे मुठ भी साथ ही मारा करते थे। फिरोज भी हम पर जान छिड़कता था।

कॉलेज का पहला प्यार जिसे देखने के बाद पहली बार फिल्मों की तरह पीछे से संगीत सुनाई दी थी। हमें सब कुछ किसी रोमांटिक फिल्म की तरह हो रहा था। उसकी सफेद सलवार सूट और लाल दुपट्टा आज भी कई बार यादों के झोंके के साथ हमारे दिल को छू जाता है। उसके स्तनों के ऊभार दूर से ही चमक रहे थे। उसे देखकर मेरे तो लंड मैं हलचल होने लगी थी। और दिल से सीटियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। हम बहुत खुश हो रहे थे। अंदर ही अंदर। अब वक्त था कुछ करने का। उसे देख लिया,अब बारी थी ‘मिशन पहला प्यार को मुकाम तक पहुंचाने की। लेकिन उसके पहले ये पता करना था।कि लड़की सिंगल है या किसी और की  जुगाड़ तो नहीं है। कही कोई और इसकी योनि का रसपान तो नहीं कर रहा है। और से घनघोर रिसर्च के बाद हमारे दोस्तों ने बताया की ‘भाभी’ अभी भी सिंगल हैं। बस फिर क्या था…पहुंच गए दिल और लंड को फड़फड़ाते हुए। हमने उनके सामने रख दिया प्रपोजल हमेशा के लिए एक हो जाने का। प्रपोजल एक्सेप्ट होने के बाद दिल खुशी से भर गया।

वैसे यहां बात पहले डेट की हो रही थी तो वापस उसी पर फोकस करते हैं. पहले डेट के दिन पता चला कि इसका सीधा कनेक्शन पेट और लंड से होता है। भले ही आप अपने मोहल्ले के सड़कछाप गोलू चपातीवाला के यहां रोज के ग्राहक क्यों ना हों। लेकिन वो डेट ही क्या जिसमें आप अपनी प्रेमिका को महंगे रेस्त्रां में ले जाकर पेट पूजा ना कराएं। पैसे तो हमारे पास थे नहीं उठना है। पर हमने फिरोज से ले लिए थे। फिरोज ने कहा दे देना बाद में करती भी क्या हम लेकिन क्या करें प्यार अंधा जो होता है। हमारी प्रेमिका का नाम सोनम  था। आप सुमन भी उस दिन बन ठन के आई हुई थी। हमारी तो नजर उसके स्तनों के सूट से बाहर निकले हुए निप्पल पर जा रही थी। फिर भी हमने अपने आपको काफी काबू में रखा। सोनम ने बोला हम बाथरूम होकर आते हैं। हमें पूरा शक हो गया था सोनम की चड्डी गीली हो चुकी है। जैसे ही वह उठने के लिए हुई उसके स्तनों ने बाहर की तरफ देखना शुरु कर दिया क्योंकि उसके सूट का गला कुछ ज्यादा ही बड़ा था। उसके गोल गोल स्तन देखकर हमें तो लगा जैसे अपना लंड वहां पर सट्टा दें और हिला हिला कर अपना पानी उसके स्तनों पर गिरा दे। हम यह सोच ही रहे थे तब तक सोनम भी वापस आ चुकी थी। सोनम आकर हमारे बगल में बैठ गई। इस बार उसके चेहरे पर कुछ अलग ही तरह की रौनक लग रही थी।

हम दोनों की बातों में लगे हुए थे तभी होटल के कर्मचारी ने कहां साहब खाना लगा दूं। हमने सोनम से पूछा सोनम ने कहा ठीक है खाना लगा दो। हमने खाना मंगवा लिया। हम दोनों ने खाना शुरू किया। हम दोनों खाना खाएंगे रहे थे इतने में सोनम को चम्मच नीचे गिर गया। सामने से होटल कर्मचारी दूसरा चम्मच लेकर आया। जब तक को कर्मचारी चम्मच लेकर आ रहा था तब तक मैं नीचे झुका। जैसे ही मैंने चीजों को सोनम के सूट पर मेरा मुंह लगा। जो उसकी चूत से सटा हुआ था। हमारा भी दिमाग खराब हो गया हमने भी जोर से दांत काट दिया। सोनम की चिल्लाहट निकल पड़ी। और हम टेबल पर आ गए। फिर तो जैसे सोनम की भी इच्छा सातवें आसमान पर थी। उसने भी टेबल के नीचे अपना हाथ किया और हमारे लंड को पकड़ लिया। हमारे भी मुंह से ऊह की आवाज निकल आई। हम दोनों ने पूरा खाना भी नहीं खाया। क्योंकि हम समझ चुके थे हमें क्या चाहिए। मैं बिल कटाने के लिए काउंटर पर गया वहां बैठे मैनेजर को पूछा यहां कोई रूम मिलेगा। उसने कहा हां हमारे यही पर रूम है। मैंने उससे रेट पूछा उसने मुझसे ₹500 लिए फिर मैं सोनम को लेकर होटल के कमरे में चला गया। हमने कमरे की कुंडी लगा दी। और सोनम के पूरे कपड़े उतार दीए। शुरु शुरु में थोड़ा थोड़ा असहज महसूस कर रही थी। लेकिन बात बाद में वह भी खुलती चली गई। अब देखते ही देखते हैं हमने भी उसे होटल के गदेदार बिस्तर पर लेटा दिया और उसको कसकर पकड़ लिया। वह भी हमारे सीने से कस कर लिपट गई। क्योंकि वह नई चूत थी। फिर हमने उसके सूट को उतारा किनारे पर रखे टेबल पर रख दिया।

जैसे ही उसने अपने अंतर्वस्त्र उतारे तभी ना जाने कहां से कमरे की घंटी बजी हमें लगा पता नहीं कौन होगा। मूड सारा खराब कर दिया। हमने सोनम से कहा तुम चादर ओढ़ लो। हम देख कर आते हैं कौन है दरवाजे पर हम दरवाजा खोलने के लिए गए जैसे ही हमने दरवाजा खोलो। हमने देखा और कोई नहीं हमारा दोस्त फिरोज था। हमें गुस्सा भी आ रहा था। लेकिन फिरोज हमारा जिगरी दोस्त था तो हम कुछ बोल ना सके। फिर हमने फिर उसको कहा आओ अंदर बैठ जाओ। जैसे ही फिरोज अंदर आया। सोनम थोड़ा असहज महसूस करने लगी क्योंकि वह नग्नावस्था में थी। फिर सोनम को फिर उसने देखा और हल्की सी मुस्कुराहट देखा वहीं पास पर रखी कुर्सी पर बैठ गया। हमने भी अपने सारे कपड़े उतारे हुए थे शिवाय अपने अंडरवियर के फिर फिरोज बातें करने लगा और बोलने लगाओ आज घर में झगड़ा हो गया है मेरा तो मैं तुझे ढूंढते-ढूंढते यहां होटल तक पहुंच गया। थोड़ी देर बाद फिरोज मुझे साइड में ले गया और बोलने लगा। बहन चोद आज तू दोस्ती भूल गया है, साले अकेले-अकेले ही मजा लेगा हमें मजा नहीं दिलाएगा। पहले मैंने उसे काफी मना किया किंतु बाद में मना ना कर सका।

हम लोग जैसे ही कमरे की तरफ है सोनम ने वह चादर हटा दी और बोलने लगी मैंने सब सुन लिया है। फिर उसने कहा तुम दोनों की इतनी गहरी दोस्ती है मेरी वजह से यह टूटनी नहीं चाहिए। हां मैं तुम दोनों को अपनी बाहों में ले लेती हूं। हम दोनों ने उसके 1-1 स्तन को पकड़ा और उसका रस निकालने लगे। जो थोड़ी देर में सोनम भी गर्म होने लगी। उसने एक एक करके हम दोनों के लंड को अपने मुख् के अंदर लेना शुरू कर दिया। अब उसकी योनि से भी तरल पदार्थ निकलने लगा था। फिरोज नेमुझे कहा चल तू शुरू कर दे पहले क्यों किया तेरा पहला प्यार है। उसके बाद हम दोनों ने सोनम को बिस्तर पर प्यार से सुला दिया। उसका शरीर किसी जलपरी की तरह लग रहा था। फिर मैंने सोनम की नई नवेली योनि में प्रवेश कराना शुरू कर दिया। काफी मुश्किल हो रहा था। क्योंकि वहां आज तक किसी का भी प्रवेश नहीं हुआ था। उसके बाद तो मैंने इतनी जोर के अपने लंड को धक्का मारा। सोनम की सील टूट गई। और मैंने उसका उद्घाटन किया। क्योंकि उसका बहुत टाइट था तो मेरा 5 मिनट में ही झड़ चुका था जो कि मैंने उसके योनि के अंदर गिरा दिया था। योनि तो गंदी हो चुकी थी। फिर उसने फैसला किया कि वह सोनम की गांड में डालेगा। और उसने भी उसकी गांड में अपने लंड को बड़ी मुश्किल से प्रवेश करवाया इस प्रकार की फिरोज ने उसका उद्घाटन किया। उसने भी उसके गांड में अपना माल गिरा दिया। और इस प्रकार मेरी दोस्ती भी बची रहे और सोनम आज भी मेरा पहला प्यार है।

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