डिवोर्सी महिला ने मुझे अपना तन सौपा

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम रवि है और मैं पुणे का रहने वाला हूं। मेरा परिवार पुणे में रहता है। मेरी शादी को अभी एक वर्ष ही हुआ है। मेरी शादी मेरे घर वालों की मर्जी से हुई है। मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूं और मेरी पत्नी भी नेचर से बहुत अच्छी है। मैं सरकारी विभाग में नौकरी करता हूं। मैं कुछ समय तक तो पुणे में ही नौकरी करता रहा लेकिन जब मेरी पोस्टिंग मुंबई हो गई तो मुझे बहुत तकलीफ होने लगी। मैं मुंबई में ही रहने की सोचने लगा लेकिन मेरे लिए मुंबई में रहना भी उचित नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना मैं हमेशा पुणे से ही अप डाउन कर लूं। मैं पुणे से ही मुंबई अप डाउन करने लगा हालांकि यह मेरे लिए काफी थका देने वाला था लेकिन मेरा परिवार पुणे में रहता है इसलिए यह मेरी मजबूरी थी कि मुझे पुणे से मुंबई आना पड़ता और मुंबई से पुणे जाना पड़ता।

मुझे ऐसा करते हुए काफी समय हो गया था। मेरी पत्नी मुझे कहने लगी कि आप ऐसे तो बहुत थक जाते होंगे। आप मुंबई में ही रहने के लिए क्यो नहीं देख लेते। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि यदि मैं मुंबई में रहूंगा तो घर की देखभाल कौन करेगा तुम्हें तो पता ही है कि पिताजी बिस्तर से उठ नहीं सकते और मां भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है उन्हें ज्यादा कोई जानकारी भी नहीं है। वह मुझे कहने लगी आप यह तो सही कह रहे हैं लेकिन आप भी तो बहुत थक जाते होंगे। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं मैं तो मैनेज कर लूंगा लेकिन मेरे लिए तो पहले तुम लोग ही हो। उसके बाद मेरी पत्नी ने भी मुझे कुछ नहीं कहा। मैं हमेशा ही पुणे से मुंबई आता हूं और शाम के वक्त मुंबई से पुणे चला जाता हूं। मैं जिस ट्रेन में जाता था उस ट्रेन में और लोग भी अप डाउन करते थे इसलिए उन लोगों से भी मेरी अच्छी बातचीत होने लगी थी। कुछ समय से एक महिला भी ट्रेन में हमेशा अप डाउन करने लगी। मैं उन्हें हमेशा देखा करता था लेकिन मेरे दिमाग में यह होता कि यह शादीशुदा है या उन्होंने शादी नहीं की।

एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया क्या आप मुंबई में नौकरी करती हैं। वह कहने लगी हां मैं मुंबई में नौकरी करती हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं अक्सर आपको इसी ट्रेन में देखता हूं। वह कहने लगी हां मैं पुणे में रहती हूं और अक्सर इसी ट्रेन से सुबह के वक्त जाती हूं। मैंने उनसे उस दिन पूछा क्या आपकी शादी हो चुकी है। वह कहने लगी कि हां मेरी शादी तो हो चुकी है लेकिन अब मेरा डिवोर्स भी हो गया है मैं पुणे में अकेली रहती हूं। जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मुझे थोड़ा बुरा लगा और कुछ मिनटों तक तो मैंने उनसे बात नहीं की फिर उन्होंने ही मुझसे बात करते हुए कहा कि क्या आप मेरी बात सुन कर थोड़ा सॉफ्ट हो गए। मैंने उन्हें कहा हां मुझे थोड़ा अजीब सा लगा। वह मुझे कहने लगे आप इतना मत सोचिए। मेरे और मेरे पति के बीच में रिलेशन बिल्कुल भी अच्छे नहीं थे। हम दोनों के हमेशा झगड़े होते थे और इसी झगड़े की वजह से मैंने उनसे दूरी बनाना ही उचित समझा। हम दोनों ने लव मैरिज की थी। हम दोनों कॉलेज में साथ में ही पढ़ते थे लेकिन जब हमारी शादी हुई तो उसके बाद वह बिल्कुल ही बदल गए। मुझे तो बिल्कुल यकीन नहीं हुआ कि वह शादी होने के तुरंत बाद ही इतना कैसे बदल जाएंगे। मैंने उनके लिए अपने माता पिता से भी झगड़ा किया था और इसी वजह से मैं अब अपने माता पिता के साथ भी नहीं रहती। मैंने उन्हें कहा यह तो आपके साथ बहुत बुरा हुआ। उन्हें आप का साथ देना चाहिए था। उस दिन ट्रेन में हमारी काफी देर तक बात हुई।  बाते करते करते हम लोग मुंबई पहुंच गए। मुझे भी अपने ऑफिस जल्दी जाना था इसलिए मैं वहां से अपने ऑफिस निकल गया। मैं जब शाम को लौटा तो शांति भी उसी ट्रेन से वापस लौट रही थी उन्होंने मुझे देखते ही कहा कि रवि जी आप भी इसी ट्रेन से जा रहे हैं। मैंने उन्हें कहा हां मैं इसी ट्रेन से वापस जा रहा हूं। हम दोनों जब साथ लौटे तो हम दोनों एक साथ ही सीट में बैठे हुए थे। वह मुझसे बातें करने लगी और उन्होंने कहा सुबह मैं आप से पूरी बात नहीं कर पाई थी। उन्होंने मुझे उसके बाद बताया कि उनके पति ने किसी और के साथ अपना रिलेशन शुरू कर दिया था और वह किसी और महिला के साथ ही रिलेशन में थे इसलिए शांति ने उनसे दूरी बना ली और अब अकेले रह रही हैं।

मैंने उन्हें कहा आप अकेले कैसे रह लेती हैं आप तो बड़ी ही हिम्मत वाली महिला है। वह कहने लगी अब मुझे आदत हो चुकी है। मैंने उनसे पूछा आपके डिवोर्स को कितना वक्त हो चुका है। वह कहने लगी मेरे डिवोर्स को दो साल हो गए हैं। मुझे भी उनको लेकर पूरी हमदर्दी थी और हम दोनों अक्सर पुणे से साथ में ही आते और साथ में ही हम लोग मुंबई से पुणे वापस जाते।  मैं उन्हें एक दो बार अपने घर पर भी ले गया। वह मेरी पत्नी से मिलकर बहुत खुश थी और कहने लगे तुम्हारी पत्नी बहुत अच्छी है और तुम उससे कितना प्यार करते हो। काश ऐसा ही प्यार मेरे पति भी मुझे करते तो मुझे इतना अकेलापन महसूस नहीं होता। मुझे अब ऐसा लगने लगा था जैसे उन्हें मेरी जरूरत है। मुझसे जितना हो सकता था मैं शांति को अपना कंधा देने की कोशिश करता लेकिन एक दिन मेरे कंधे पर सब शांति ने सर रखा तो उसने मुझे ही अपना सब कुछ मान लिया और उसने अपना तन मन धन मुझे सौंप दिया। जब मैं एक दिन उनके घर पर गया तो वह मुझे अपने पति की तस्वीर दिखा रही थी। मुझे कह रही थी देखो हम लोग पहले कितने प्रेम से रहते थे जब से झगड़े होने लगे तो स्थिति ही बदल गई। वह मेरे पास आकर बैठ गई। उन्होंने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया। मैंने कहा यह मेरी मर्यादाओं के खिलाफ है।

वह कहने लगी इसमें मर्यादा कहां से आ गई क्या तुम मेरी इच्छा पूरी नहीं कर सकते। उन्होंने अपनी बड़ी सी गांड को मेरे ऊपर रख दिया। जब वह मेरे ऊपर बैठी तो मेरा लंड हेलोरे मारने लगा। मैं अपने आपको कितनी देर तक रोकता मेरे अंदर से जब सेक्स की भूख ज्यादा बढ़ने लगी तो मैंने उनके कपड़े फाड़ दिए। जैसे ही उनकी बड़ी गांड को मैने अपने हाथों से दबाया तो वह उत्तेजित हो गई और मुझे भी उनकी गांड दबाने में बहुत मजा आने लगा। मैंने उन्हें कहा आपकी गांड मुझे दबाने में बहुत मजा आ रहा है। वह कहने लगी मैंने तुम्हें अपना सब कुछ सौप दिया है तुम्हें जो अच्छा लगता है तुम वह ले लो। मैंने भी अपने कपड़े उतारे तो उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ऐसे लिया जैसे वह भूखी शेरनी हो और कई समय से लंड की प्यासी बैठी हो। वह मेरे लंड को बड़ी तेजी से अपने मुंह के अंदर ले रही थी। उन्होंने मेरे लंड को जब अपने गले में लिया तो मेरे अंदर की गर्मी बाहर आने लगी। मैंने शांति को बिस्तर पर लेटा दिया और उनके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाला तो उनकी योनि बहुत टाइट थी। मुझे उन्हें चोदने में बहुत मजा आ रहा था। जिस प्रकार से वह मेरा साथ देती मैं उतना ही तेजी से झटके मारता जाता। काफी समय तक मैंने उनके साथ संभोग किया जब हम दोनों एक दूसरे के साथ संभोग कर के संतुष्ट हो गए तो मैंने उन्हें कहा मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं। मैं कुछ देर लेट गया। जब आधे घंटे बाद मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड को सकिंग कीजिए। शांति ने मेरे ने बहुत अच्छे से मेरे लंड को सकिंग किया। वह मेरे लंड को अच्छे से चुसती रही। मेरा लंड गीला हो गया तो मैंने भी उनकी गांड के अंदर लंड को डाल दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाला तो वह अपनी गांड को मुझसे मिलाने लगी। उनकी गांड मेरे लंड से टकराती तो मेरे अंदर की ताकत बाहर की तरफ निकालती। मैंने उन्हें बड़ी तेजी से झटके देने शुरू कर दिए। मैं उन्हें इतनी तेज गति से धक्के मार रहा था। मेरे अंदर की गर्मी बहुत तेजी से बाहर आ रही थी। मैं उनके बदन की गर्मी को झेल नहीं पाया। जैसे ही मेरा वीर्य उनकी बड़ी गांड के अंदर प्रवेश हुआ तो वह बहुत खुश हो गई। उसके बाद तो जैसे उन्होंने मुझे अपना ही मान लिया।

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